vartaman Samay Mein Atithi Ko Dekhkar Logon ke man mein kya kya vichar utpann Hote Hain

प्रिय मित्र!
आपके प्रश्न के लिए हम अपने विचार दे रहे हैं। आप इसकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।

अतिथि देवो भव: अर्थात अतिथि देवता है। भारतीय संस्कृति में अतिथि को देवता के समान माना गया है। किंतु आज के परिवेश में यदि हम देखें, तो  इस उक्ति में बहुत फर्क आ गया है। आज के समय में जिन्दगी भागदौड़ वाली है। हर आदमी व्यस्त है, तो अतिथि के लिए किसके पास समय है। सभी लोग सोचते हैं कि अतिथि जल्दी से जल्दी जाए और हम अपने काम पर निकलें। अतिथि आने पर लोग यह सोचते हैं यह किस लिए आ गया है। अरे क्यों आ गया। टेलीफोन कर देता हम टेलीफोन पर ही सारी बात निपटा लेते। आज के परिवेश में अतिथि का सम्मान अलग-अलग प्रकार से किया जाता है। आजकल लोगों के हालात अच्छे हों या बुरे हों। पैसे की कमी हो या पैसे वाले हों। अतिथि का खर्च उठाना बहुत भारी पड़ जाता है। अब तो अतिथि को देखकर सभी कहते हैं कि अतिथि तुम शीघ्र वापस अपने घर चले जाओ।

 

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