Vinamrata sare sadguno ki niv hai

 मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।

विनम्रता सारे सद्गुणों की नींव है। यह कथन बिल्कुल सत्य है। विनम्रता की सभी धर्मों में मुक्त रूप से प्रशंसा की गई है। इसे मनुष्य के लिए उपयुक्त माना गया है। उनके अनुसार मनुष्य के पास धन न हो परन्तु यदि वह विनम्रता के गुण से युक्त है, तो उससे बड़ा धनी कोई नहीं है। विनम्रता मनुष्य को विनम्र तथा विवेकी बनाता है। लोगों द्वारा उसका आदर किया जाता है। वह लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बनता है। विनम्रता के व्यवहार से मित्रों में बढ़ोतरी होती है और शत्रुओं की संख्या में कमी होती है। विनम्र व्यक्ति किसी व्यक्ति विशेष पर प्रभाव नहीं छोड़ता अपितु हर उस व्यक्ति पर अपना प्रभाव छोड़ता है, जो उसके संपर्क में आता है। लोग उससे मित्रता करके स्वयं को धन्य मानते हैं। यह विनम्रता की महिमा है कि वह मरने के बाद भी अमर हो जाता है। राम एक विनम्र और सदाचारी व्यक्ति थे। उन्होंने अपने सद व्यवहार से सबको अपना सेवक बना लिया था। जो भी उनके पास आता वह उनसे प्रेम करने लगता था। यहाँ तक की रावण ने भी मरते समय उनकी मुक्त रूप से प्रशंसा की है। हमें चाहिए कि हम अपने जीवन में विनम्रता को अपनाएँ और अपना तथा देश का कल्याण करें।
 

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