visthapan ki samaasya per nibandh

भारत जिस रफ्तार से 'विकास' और आर्थिक लाभ की दौड़ में भाग ले रहा है उसी भागमभाग में शहरों और गाँवों में हाशिए पर रह रहे लोगों को विस्थापन नाम की समस्या को झेलना पड़ रहा है और जो भी थोड़ा बहुत सामान या अन्य वस्तु उनके पास हैं वो सब उनसे छिन जाता है। बिजली व पानी आदि अन्य समस्याओं से जूझने के लिए नदियों पर बनाए गए बाँध द्वारा उत्पन्न विस्थापन सबसे बड़ी समस्या आई है। इन सबसे पहले हमको यह समझना जरूरी है की विस्थापन की समस्या क्या है? यह समस्या कब और कैसे उत्पन्न होती है? विस्थापन का अर्थ होता किसी को उनके स्थान से हटाकर किसी अन्य स्थान पर बसाना। यह समस्या तब आती है जब सरकार या कोई और विकास के नाम पर पूरे नगर व गाँव को बरबाद कर देते हैं और उन्हें कहीं और जाने के लिए मजबूर कर देते हैं। इससे सरकार उनकी ज़मीन और रोजी रोटी को तो छीन लेती है पर उन्हें विस्थापित करने के नाम पर अपने कर्त्तव्यों से तिलांजलि दे देती है। वे कुछ करते भी हैं तो वह लोगों के घावों पर छिड़के नमक से ज़्यादा कुछ नहीं होता। भारत की दोनों अदालतों ने भी इस पर चिंता जताई है। इसके कारण जनता में आक्रोश की भावना ने जन्म लिया है। टिहरी बाँध इस बात का ज्वलंत उदाहरण है। लोग पुराने टिहरी को नहीं छोड़ना चाहते थे। इसके लिए कितने ही विरोध हुए, जूलूस निकाले गए पर सरकार के दबाव के कारण उन्हें नए टिहरी में विस्थापित होना पड़ा। अपने पूर्वजों की उस विरासत को छोड़कर जाने में उन्हें किस दु:ख से गुजरना पड़ा होगा उस वेदना को वही जानते हैं। सरकार को चाहिए कि इस विषय में गंभीरता से सोचे व विस्थापन की स्थिति न आए ऐसे कार्य करने चाहिए।

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हाल के समय में विस्थापन की समस्या ने विकराल रूप ले लिया है। विस्थापन की समस्या पहले भी मौजूद थी परंतु भूमंडली करण के दौर में पिछले दस-पंद्रह वर्ष के दौरान यह तेजी से बढ़ी | बिजली व पानी आदि अन्य समस्याओं से जूझने के लिए नदियों पर बनाए गए बाँध द्वारा उत्पन्न विस्थापन  इसके कारण जनता में आक्रोश की भावना ने जन्म लिया है।

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can u please giv a longer  nibandh

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