vyakti me sukh dukh me samaj ki kya bhumika hoti hai

मित्र मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसे अपनी हर आवश्यकता की पूर्ति के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। हम समाज में रहते हैं। लोगों से मिलकर ही समाज का निर्माण होता है। हर व्यक्ति के सुख-दुख में उसका समाज ही उसके साथ खड़ा होता है। हमारे पड़ोसी हमारी हर संभव सहायता करते हैं। वे हमारा पहला परिवार होते हैं। संकट की घड़ी में वे हमें सँभालते हैं तथा खुशी के पल हमारे साथ मिलकर बाँटते हैं। 

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