what does the poet mean by-'sushum setu'?

मित्र इस व्याख्या से आपको इन शब्दों का अर्थ समझ में आ जाएगा। कृपया इसे देखें-

कवयित्री कहती है कि मैंने प्रभु से मिलने का जो रास्ता अपनाया था। वह सही न था। आरम्भ में प्रभु भक्ति का सीधा सरल रास्ता ही अपना रही थी परन्तु जब इसमें आगे बढ़ी तो मैंने सीधी राह (मार्ग) के स्थान पर गलत रास्ता अपना लिया। वह अपनी बात को आगे स्पष्ट करती हैं, मैंने योग का रास्ता अपनाया था। योग में मैंने ध्यान लगाया परन्तु मेरा सारा समय बर्बाद हो गया; अर्थात्‌ सुषुम्ना नाड़ी रूपी पुल में अपना सारा ध्यान केन्द्रित कर दिया। उसे केन्द्रित करते-करते अर्थात्‌ खड़े-खड़े मेरा सारा समय (जीवन) बर्बाद हो गया। और जब ईश्वर से मिलने का मौका आया तो मेरी जेब में एक कौड़ी भी नहीं थी। अब मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं माझी (नाव वाले) को क्या दूँ कि वो मुझे नदी के पार छोड़ दे। अर्थात्‌ मेरे अन्दर इतनी शक्ति ही नहीं बची है कि आगे और योग साधना कर पाती और ईश्वर को प्राप्त कर लेती।

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