What is answer
प्रिय मित्र!
आपके प्रश्न के लिए हम अपने विचार दे रहे हैं। आप इसकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।
बदलते वातावरण के दुष्परिणामों के लिए हम मनुष्य ही जिम्मेदार हैं। सृष्टि के अन्य जीव प्रदूषण नहीं करते हैं। केवल मनुष्य ही अपने स्वार्थ के लिए वातावरण की प्रकृति को बदल रहा है। प्रदूषण कई प्रकार के होते हैं जिनमे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनी प्रदूषण मुख्य हैं। वायुमंडल की रक्षा करने वाली ओजोन परत भी धीरे-धीरे पतली होती जा रही है। मनुष्य तकनीक के नाम पर नए-नए उपकरणों का प्रयोग कर रहा है और इससे वातावरण को हानि हो रही है। बड़े-बड़े कारखाने धुंआ उगलते हुए वातावरण को बर्बाद कर रहे हैं। मनुष्य को पर्यावरण चक्र में संतुलन बनाए रखने में अपनी सर्वश्रेष्ठ भूमिका निभानी चाहिए। हमें अपना वायुमंडल हमेशा प्रदूषण रहित रखना चाहिए ताकि हमें शुद्ध हवा, साफ पानी और स्वच्छ आकाश मिलता रहे। पर्यावरण का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है अन्यथा प्रकृति का कोप बढ़ जाता है।
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बदलते वातावरण के दुष्परिणामों के लिए हम मनुष्य ही जिम्मेदार हैं। सृष्टि के अन्य जीव प्रदूषण नहीं करते हैं। केवल मनुष्य ही अपने स्वार्थ के लिए वातावरण की प्रकृति को बदल रहा है। प्रदूषण कई प्रकार के होते हैं जिनमे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनी प्रदूषण मुख्य हैं। वायुमंडल की रक्षा करने वाली ओजोन परत भी धीरे-धीरे पतली होती जा रही है। मनुष्य तकनीक के नाम पर नए-नए उपकरणों का प्रयोग कर रहा है और इससे वातावरण को हानि हो रही है। बड़े-बड़े कारखाने धुंआ उगलते हुए वातावरण को बर्बाद कर रहे हैं। मनुष्य को पर्यावरण चक्र में संतुलन बनाए रखने में अपनी सर्वश्रेष्ठ भूमिका निभानी चाहिए। हमें अपना वायुमंडल हमेशा प्रदूषण रहित रखना चाहिए ताकि हमें शुद्ध हवा, साफ पानी और स्वच्छ आकाश मिलता रहे। पर्यावरण का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है अन्यथा प्रकृति का कोप बढ़ जाता है।