what is tatsam, tadbhav, deshaj, aagat?

(क)तत्सम शब्द :- तत्सम का अर्थ है तत् (उस) + सम (समान) उस संस्कृत के समान। तत्सम शब्द, वे शब्द कहलाते हैं जो संस्कृत भाषा से लिए गए है व बिना किसा बदलाव के हिंदी भाषा में प्रयुक्त किए जा रहे हैं; जैसे - सूर्य, मस्तिष्क, अग्नि, नृत्य आदि। 

(ख) तद्भव शब्द :- तद्भव का अर्थ है 'तत्' (उससे) + 'भव' (पैदा हुए) अर्थात् उस संस्कृत से पैदा हुए शब्द। वे शब्द जो संस्कृत भाषा के शब्द से विकसित (पैदा हुए) हुए है, तद्भव शब्द कहलाते हैं; जैसे - (1) कुक्कुर से कुत्ता

() देशज :- देशज का अर्थ है - देश + ज अर्थात् देश में जन्म लेने वाले। जो शब्द क्षेत्रीय प्रभाव के कारण परिस्थिति व आवश्यकतानुसार बनकर प्रचलित हो गए हैं, वे देशज कहलाते हैं;

उदाहरण - लड़का, चिड़िया, डिबिया आदि।

() विदेशी या आगत  :- भारत के इतिहास में विदेशी देशों का बड़ा साथ रहा है। कभी व्यापार की दृष्टि से तो कभी शासन की दृष्टि से हम सदा विदेशियों के संपर्क में बने रहें, उनकी भाषा के बहुत से शब्द स्वत: ही हिंदी भाषा में सम्मिलित (मिल) हो गए व आज वे प्रयुक्त होने लगे हैं, ऐसे शब्द विदेशी या विदेशज शब्द कहलाए। हमारी भाषा में अंग्रेज़ी, उर्दू, फ्रांसीसी, फ़ारसी, अरबी, चीनी आदि भाषाओं के अनेक शब्द मिल गए हैं

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