What is the meaning of the line "मैं हाय न जल पा़या तुझ में मिल"? Pls somebody explain...

Meaning of this also "जलमय सागर का उर जलता, विघुत ले घिरता है बादल!" pls

. संसार रूपी पतंगा पश्चाताप कर रहा है और अपने दुर्भाग्य को रो रहा है कि मैंने इस प्रेम भक्ति की लौ में स्वयं के अहंकार को क्यों नहीं मिटा पाया। यदि मैं अपने अहंकार को मिटा पाता तो शायद अब तक परमात्मा से मेरा मिलन संभव हो चुका होता।

2 जल से भरे सार का ह्दय ईश्वर से विलग हुआ विरह की अग्नि में जल रहा है तथा भाप बनकर आकाश में बादल का रूप ले लिया है। अर्थात सागर रूपी समस्त संसार ईश्वर भक्ति न होने से परेशान व दुखई हैं। उनके ह्दय की वेदना निकल कर बादल का रूप ले चुकी है। वे दुखी हो कर जल रहे हैं मानो बादलों के बीच बिजली चमक रही हो।

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