what is the summary of 4 chapter
नमस्कार मित्र!
'आत्मकथ्य' कविता में कवि उन लोगों की जिज्ञासा को शांत करने का प्रयास करता है, जो उसे उसकी आत्मकथा लिखने के लिए उत्साहित करते हैं। कवि इस कविता में अपने मन की वेदना की अभिव्यक्ति बड़े सरल तरीके से करता है। उसका जीवन कष्टों और दुखों से भरा हुआ है। ऐसे में वह कैसे अपनी आत्मकथा को लिखे। उसके जीवन में ऐसा कोई पल नहीं है, जिसे लिखने से किसी और को प्रसन्नता हो। यदि उसके पास लिखने के लिए कुछ है तो वह अपने द्वारा की गई गलतियाँ और दूसरों के द्वारा किया गया धोखा है। इसे लिखकर वह स्वयं को मज़ाक का पात्र नहीं बनाना चाहता है। यह सब पढ़कर किसी को कोई लाभ भी नहीं मिलने वाला है। लोगों को दूसरों के जीवन की गाथा पड़ने में आनंद आता है। परंतु कवि की कहानी में यह आनंद भी नहीं है। कभी उसके जीवन में अच्छे पल भी आए होगें। लेकिन वह उसे इतने प्रिय हैं कि वह किसी को बताना भी नहीं चाहता है। अत: वह अपनी कथा को नीरस और दुखद मानता है। इसे पढ़ने से किसी को कुछ हासिल नहीं होगा। इस कविता में कवि ने बड़ी सरलता से यथार्थ को स्वीकार किया है तो दूसरी ओर विनम्रता का सहारा लेकर लोगों से कथा नहीं लिखने के लिए क्षमा भी मांगी है।
ढेरों शुभकामनाएँ!