What is the summary of "Geet Ageet" of hindi sparsh part 1 (9th A)

कवि ने गीत-अगीत कविता में गीत और अगीत के मध्य तुलना की और जाने का प्रयास किया है कि क्या गीत है और क्या अगीत। कवि के अनुसार जो गीत प्रकृति द्वारा गया जाता है या जिसे सुना नहीं जा सकता, मात्र महसूस किया जाता है, उसे कवि ने अगीत कहा हैः जैसे नदी का बहना, गुलाब की चुप्पी, तोती का अपने तोते के स्वर को सुनकर गौरवान्तित होना, युवती का अपने प्रेमी का गीत सुनकर भाव-विभोर होना सबमें अगीत है। गीत सुनकर जिस प्रकार मनुष्य मंत्रमुग्ध हो जाता है और सुधबुध भूल जाता है, वैसे ही अगीत को महसूस करके कवि अपनी सुधबुध खोकर सबकुछ भूल जाता है। इसलिए कवि ने गीत की तुलना अगीत से की है। कवि को अगीत में भी गीत जैसा आनंद आता है इसलिए कवि प्रश्न कर बैठता है कि क्या सुंदर है गीत या अगीत।

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