what is the summary of sudama charit?

हमारे मित्र ने सुदामा चरित की व्याख्या दी हुई है। हम आपको सारांश दे रहे हैं। वह इस प्रकार है-

'सुदामा चरित' में नरोत्तमदास जी ने मित्र की विशेषता का उल्लेख किया है। सुदामा श्री कृष्ण के बहुत अच्छे मित्र थे। सुदामा अत्यधिक गरीब थे। उनकी पत्नी उनको कृष्ण के पास आर्थिक सहायता के लिए भेजती है। प्रथम पद में द्वारपाल कृष्ण को बताता है कि एक दीन-हीन ब्राह्मण आपको पूछ रहा है। वह अपना नाम सुदामा बता रहा है। दूसरे पद में कृष्ण सुदामा की दशा देखकर दुखी हो जाते हैं। तीसरे पद में कृष्ण भाभी द्वारा भेजे गए उपहार को सुदामा से माँगते हैं। चौथे पद में कृष्ण बचपन की बात याद दिलाते हुए सुदामा से भाभी की भेजी सौगात ले लेते हैं। पाँचवें पद में सुदामा अपने मित्र कृष्ण से दुखी है क्योंकि उन्होंने उनकी कोई सहायता नहीं की है। छठे पद में सुदामा अपने गाँव में बने विशाल भवनों को देखकर भ्रमित हो जाते हैं। सातवें पद में सुदामा की राजसी शोभा और कृष्ण की कृपा का वर्णन किया गया है। इस काव्यांश में मित्रता का बहुत अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया गया है। कवि इस रचना के माध्यम से अपने भगवान श्री कृष्ण के गुणों और कृपा का बखान करते हैं।

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(1) सुदामा के पहले दोहे में सुदमा द्वारिका गए हैं और द्वारपाल श्री कृष्ण को सुदामा के आने का और उनकी दीन-हीन दशा का वर्णन करता है।
(2) श्री कृष्ण सुदामा के पैरों में लगे हुए काँटों को देखकर बहुत दुखी होते हैं और अपने आँखों के आसुओं से उन्हें साफ करते हैं।
(3) श्री कृष्ण भाभी द्वारा भेजी गई सौगात सुदामा से माँगते हैं।
(4) श्री कृष्ण सुदामा को सौगात ना देने के लिए ताना मारते हैं। जैसे तुम्हें गुरूकुल में गुरूमाँ द्वारा दिए गए चनों को चुपके से खा लिए था वैसे ही भाभी द्वारा दी गई मेरी सौगात को खाना चाहते हो और वह सुदामा से भाभी की दी सौगात ले लेते हैं।
(5) सुदामा श्री कृष्ण के व्यवहार पर बहुत दुखी हैं की उन्होंने मुझे बिना कुछ दिए द्वारिका से भेज दिया । वह अपनी पत्नी पर भी नाराज़ हैं कि उन्होंने उसे श्री कृष्ण के पास मदद माँगने भेज दिया।
(6) अपने गाँव आकार उन्हें श्री कृष्ण कि मित्रता का प्रमाण मिलता है। श्री कृष्ण अपने मित्र के पुरे गाँव को ही द्वारिका के समान धन-धान्य से भरपुर कर देते हैं। सुदामा अपने गाँव को नहीं पहचान पाते।
(7) इस दोहे में श्री कृष्ण की कृपा दृष्टि को दर्शाया गाया है। सुदामा का जीवन बहुत संपन्न और वैभवशाली हो गया है।
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