What the writer wants to say in this chapter ( Ek...........aur ek maina) ?

हज़ारी प्रसाद द्विवेदी जी इसके अंदर पशु-पक्षियों के प्रति मानवीय प्रेम को दर्शाना चाहते हैं। साथ वह पशु-पक्षियों के प्रेम, करुणा और भक्ति को भी दर्शाते हैं। वह इस बात को गलत साबित कर देते हैं, जो कहते हैं कि मनुष्य में ही मानवीय भाव व्याप्त होते हैं। उनके अनुसार पशु-पक्षियों में भी मानवीय भावनाएँ कूट-कूटकर भरी होती हैं।

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