where is punrukti alankar

मित्र इस अंलकार में एक ही शब्द की उसी अर्थ में पुनः आवृत्ति होती है। अर्थात एक ही शब्द एक से अधिक बार आता है परन्तु हर बार उसका अर्थ वही रहता है। इसलिए इसे पुनरुक्ति प्रकाश अंलकार कहते हैं।

जैसे-

1. प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अँग-अँग बास समानी।

 

ऊपर दिए काव्यांश में अँग शब्द की दो बार उसी रूप में आवृत्ति हुई है। अतः यहाँ पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

 

2. इन नए बसते इलाकों में

 जहाँ रोज़ बन रहे हैं नए-नए मकान

 मैं अकसर रास्ता भूल जाता हूँ

ऊपर दिए काव्यांश में नए शब्द की दो बार उसी रूप में आवृत्ति हुई है। अतः यहाँ पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

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