Write 5 examples for each ras

मित्र!
हमारे मित्र ने बहुत अच्छे उदाहरण दिए हुए हैं। आप इनसे सहायता ले सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप हमारी वेबसाइट में हिन्दी व्याकरण के भाग रस में देखें आपको वहाँ से उदाहरण मिल जाएँगे।

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1)ये रेशमी ज़ुल्फ़ें, ये शरबती आँखें
इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी
​2)जो ये आँखे शरम से, झुक जाएंगी 
सारी बातें यहीं बस, रुक जाएंगी
जो ये आँखे शरम से, झुक जाएंगी
सारी बातें यहीं बस, रुक जाएंगी
चुप रहना ये अफ़साना,कोई इनको ना बतलाना कि
इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी
इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी
​3) ज़ुल्फ़ें मग़रूर इतनी, हो जाएंगी
दिल तो तड़पाएंगी, जी को तरसाएंगी
ज़ुल्फ़ें मग़रूर इतनी, हो जाएंगी
दिल तो तड़पाएंगी, जी को तरसाएंगी
ये कर देंगी दीवाना, 
कोई इनको ना बतलाना कि
इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी
इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी

4)लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है
लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है ,फिर वो झड़ी है 
वही आग फिर सीने में जल पड़ी है
लगी आज सावन की ...​
5)कुछ ऐसे ही दिन थे वो जब हम मिले थे
चमन में नहीं फूल दिल में खिले थे​ |
वही तो है मौसम मगर रुत नहीं वो
मेरे साथ बरसात भी रो पड़ी है​
  • 2
Karun ras example- haye ram kase jhele hum apni lajja apna shok,gaye humare hi hathon se apna rashtrapita parlok.
  • 6
हास्य रस 
1)
जो  भी दोहा  पाठ  में, ताली  नहीं  बजाए। 
उस नर को विद फैमिली, पुलिस पकड़ ले जाए॥ 
2) कोई  कील  चुभाए तो , उसे  हथौड़ा  मार।  
     इस युग में तो चाहिए, जस को तस व्यवहार ॥
​3) पैसा पाने का तुझे बतलाता हूँ प्लान ।
      कर्ज़ा लेकर बैंक से हो जा अन्तर्धान ॥
​4) धन चाहे मत दीजिए, जग के पालनहार ।
      पर इतना तो कीजिए मिलता रहे उधार ॥
5)सत्यवान पर है गिरी , इस युग में है गाज ।
     सावित्री  के  साथ  में,  भाग गया यमराज ॥
  • 15
रौद्र रस
1)हरि  ने  भीषण  हुँकार किया, 

अपना स्वरूप विस्तार किया, 

डगमग डगमग दिग्गज डोले, 

भगवान  कुपित हो कर  बोले। 
2)जंजीर  बढ़ा  अब  साध मुझे, 

हां  हां  दुर्योधन !  बाँध   मुझे, 

याचना  नहीं  अब  रण  होगा,    जीवन जय या की मरण होगा।    3)टकरायेंगे     नक्षत्र   निखर,    बरसेगी भू पर वह्नी प्रखर,    फन   शेषनाग  का  डोलेगा,    विकराल काल मुंह खोलेगा।   4)उस काल मारे क्रोध के तन काँपने उसका लगा,

मानों  हवा  के वेग से सोता  हुआ  सागर जगा । 

मुख-बाल-रवि-सम लाल होकर ज्वाल सा बोधित हुआ,

प्रलयार्थ उनके मिस वहाँ , क्या काल ही क्रोधित  हुआ?
5)साक्षी रहे संसार  , करता हूँ प्रतिज्ञा पार्थ मैं ,

पूरा करूँगा कार्य सब , कथानुसार यथार्थ मैं ।

जो एक बालक को कपट से मार हँसते हैँ अभी,
 
वे शत्रु सत्वर शोक-सागर-मग्न दीखेंगे सभी
 
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