Write anuched on Adarsh vidyarthi

उत्तर– विद्यार्थी जीवन मनुष्य के सबसे स्वर्णिंम काल होता है। इसी काल में अपनी शक्तिओं का विकास कर वह परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए अपने अधिकारों और कर्तव्यों का ज्ञान प्राप्त करता है। इस जीवन काल में कुछ आदर्श विद्यार्थी होते हैं जो नया ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमेशा ही उत्सुक रहते हैं। रोज़ कुछ नया करने या कुछ सीखने की धुन और जिज्ञासा हे उनके जीवन का केंद्रबिंदु बन जाती है। अपनी सच्ची लगन और मेहनत से हर संभव स्रोत से ज्ञान वृद्धि करने का निरंतर प्रयास करता रहे। स्कूल में अध्यापक जो पढ़ाएं उस पर विशेष ध्यान देता हो और उसी का दुबारा घर पर भी अभ्यास करे। असली आदर्श विद्यार्थी वही होता है जो अपनी दिनचर्या को इस तरह से अनुशासित करे कि पढाई के समय पढाई और मौज-मस्ती के समय मौज। पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ खेल-कूद और अन्य मनोरंजक गतिविधिओं में भी तालमेल बनाए। इधर-उधर की बातों में व्यर्थ में समय न गवाएं। अपने मानसिक विकास के लिए सिर्फ पुस्तकों सम्बन्धी ज्ञान के साथ-साथ उसे अपने विद्यालय में होने वाली विचार-विमर्श, खेलों, नाटकों, भ्रमण इत्यादि में भी बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए। जिस प्रकार एक भवन की मजबूती उसकी नींव पर टिकी होती है, उसी प्रकार जीवन की आधारशिला विद्या के ज्ञान पर टिकी होती है। इन सब गुणों के साथ अनुशासन, विनम्रता और चरित्र का पालन भी आवश्यक है।  

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