Write in hindi, an essay on this topic.

प्रिय छात्र आपका उत्तर इस प्रकार है।

 
'युवा' हर देश का आधार होते हैं। युवा ऐसी शक्ति है, जो देश के विकास और प्रगति को नई दिशा देते हैं। इनके कंधे पर चलकर एक देश का भविष्य संवरता है। आज का युग युवाओं का है। उनके सोचने और उनके विचारों में बहुत अंतर आया है।
सबसे ज्यादा जोश और उत्साह युवाओं के अंदर देखा जाता है। हर देश कोशिश करता है कि उसके देश के युवा हर तरह से आत्मनिर्भर बने। समय के साथ-साथ स्थिति में परिवर्तन हो रहा है। आज का युवा स्वयं को मात्र आत्मनिर्भर नहीं बनाना चाहता। वह इससे बढ़कर भी बहुत कुछ चाहता है। उसको वे हर सुख चाहिए जो उसे जीवन में उसकी पहुँच के अंदर हो या बाहर। उसकी सुख की परिभाषा आज अच्छा खाना, पहनना और रहना नहीं है।
वह समाज में स्वयं को सबसे ऊपर देखना चाहता है। उसे प्रथम स्थान पर रहना ही सच्चा सुख लगता है। आज बेरोज़गारी की समस्या इतनी नहीं है, जितनी यवाओं में असंतोष की भावना है। उसका असंतोष आज बहुत कुछ चाहने की वजह से ऊपज रहा है।
इस दौड़ में वह शीर्ष पर बने रहना चाहता है, उसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े। छोटी-मोटी नौकरी या समझोता उसके लिए नहीं हैं।
उसे रहने के लिए ऊँचे महल, खाने के लिए शानदार होटल, मनोरंजन के लिए डिस्को आदि स्थान, घूमने के लिए विदेशी भ्रमण, पहनने के लिए ऊँचे नामी ब्रॉण्डों के वस्त्र चाहिए। इसके लिए वह कुछ भी कर सकता है। यदि इस तरह का जीवन उन्हें नहीं मिलता, तो वह अंसतोष की भावना से ग्रस्त होने लगते हैं। हार भी उनकी अंसतोष की भावना का सबसे बड़ा कारण है। यह अंसतोष युवाओं को भटका रहा है। वह बुरी संगत और बुरी आदतों का शिकार बन रहे हैं। जीवन में ज़रा-सा दुख हुआ नहीं, कुछ मिला नहीं वह अवसाद की गहरी खाईयों में चले जाते हैं। कहीं-न-कहीं परिवार इस अंसतोष का मुख्य कारण होता है। हम बच्चों को बचपन से यही सीख देते हैं कि हमें कक्षा में प्रथम आना है। वह तुमसे आगे कैसा चला गया। इस तरह हम उसे ऐसे दलदल में धकेल देते हैं, जो उन्हें सिवाए दुख के कुछ नहीं देता।
हमें चाहिए कि बच्चों के अंदर इस तरह की भावना का विकास न करने दे, युवाओं को जीवन की सच्चाई से अवगत कराएँ, उन्हें सच्चे सुख का अर्थ बताएँ। जीवन भौतिक सुख-सुविधाओं से भरा होना चाहिए परन्तु यह सुख मनुष्य के लिए बने हैं। उन सुखों के लिए वह स्वयं को खो दे, ऐसा होना उसके अस्तित्व को समाप्त कर देगा। यदि हम उन इन बातों का अर्थ समझा सकें तो हम उनमें व्याप्त अंसतोष को भी समाप्त कर पाएँगें।

धन्यवाद।

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Dear Student,

I have given basics of this question, kindly continue further.

Regards,
Priya Agrawal.

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