wt is the meaning of this story
Hi !
इस पाठ में एक पिता के द्वारा अपनी पुत्री को अपने आसपास के वातावरण को समझने व उसके उद्भव व विकास को जानने के लिए प्रेरित किया गया है। नेहरु जी अपनी पुत्री इंदिरा जी को पत्र के माध्यम से जानकारी देते हैं। इस पत्र में वह उन्हें समुद्र के किनारे पड़ी बालू का जीवन चक्र बताते हैं। वह यह बताते हैं कि आरंभ में बालू किसी पर्वत, पहाड़ या चट्टान का हिस्सा था जो कि टुकडें के रूप में चट्टान से अलग होकर नदी में जाकर गिर गया। वह नदी में बहता हुआ अपनी ही तरह चट्टान के अन्य हिस्सों के बीच में पिसता हुआ एक स्थान से होते हुए दुसरे स्थान पर भ्रमण करता रहता है। धीरे-धीरे उसका हिस्सा छोटा और छोटा होते इतना सुक्ष्म हो जाता है कि वह बालू का रूप धारण कर लेता है। आखिर में वह पानी द्वारा समुद्र के किनारे पर छोड़ दिया जाता है। सुमद्र किनारे पड़ी बालू से किसी के मन में यह प्रश्न उठता है की बालू कैसे बनी होगी। नेहरू जी उस प्रश्न का निवारण कर देते हैं।
यह एक सुंदर कोशिश है, पिता द्वारा अपनी पुत्री को प्रकृति के रहस्यों से अवगत कराने की जो की हमें प्रेरणा देता है की बच्चों को कैसे जीवन व उसके बारे में बताया जा सके।
आशा करती हूँ कि आपको प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
ढेरों शुभकामनाएँ!