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Question 1:
कथा नायक की रूचि किन कार्यों में थी?
Answer:
कथा नायक की रूचि खेल कूद, कँकरियाँ उछालने, गप्पबाजी करने, कागज़ की तितलियाँ बनाने, उड़ाने, उछलकूद करने, चार दीवारी पर चढ़कर नीचे कूदने, फाटक पर सवार होकर उसे मोटर कार बना कर मस्ती करने में थी क्योंकि उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता था ।
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Question 2:
बड़े भाई छोटे भाई से हर समय पहला सवाल क्या पूछते थे?
Answer:
बड़े भाई साहब छोटे भाई से, जब भी वह बाहर से आता, हर समय यही सावल पूछते "अब तक कहाँ थे"?
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Question 3:
दूसरी बार पास होने पर छोटे भाई के व्यवहार में क्या परिवर्तन आया?
Answer:
छोटे भाई के दूसरी बार पास होने तथा बड़े भाई के दूसरी बार पास न होने पर बड़े भाई ने छोटे भाई को डाँटना कम कर दिया और सहिष्णुता का रवैया अपना लिया जिससे छोटा भाई आज़ाद हो गया और ज़्यादा पंतग बाजी और मौज मस्ती में समय बिताने लगा।
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Question 4:
बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में कितने बड़े थे और वे कौन-सी कक्षा में पढ़ते थे?
Answer:
बड़े भाई साहब छोटे भाई से उम्र में पाँच साल बड़े थे परन्तु केवल तीन कक्षा आगे थे। लेखक पाँचवी कक्षा में और बड़े भाई साहब नवीं कक्षा में थे।
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Question 5:
बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए क्या करते थे?
Answer:
बड़े भाई साहब दिमाग को आराम देने के लिए कभी किताब के हाशियों पर चिड़ियों, कुत्तों, बिल्लियों आदि की तस्वीर बनाते, कभी एक ही शब्द कई बार लिखते तो कभी बेमेल शब्द लिखते, कभी सुन्दर लिखी में शेर लिखते थे।
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Question 1:
छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई का टाइम-टेबिल बनाते समय क्या-क्या सोचा और फिर उसका पालन क्यों नहीं कर पाया?
Answer:
छोटे भाई ने अपनी पढ़ाई के लिए एक टाइम-टेबिल बनाया जिसमें खेलने का कोई समय नहीं था। रात ग्यारह बजे तक हर विषय का कार्यक्रम बनाया गया परन्तु पढ़ाई करते समय खेल के मैदान, उसकी हरियाली हवा के हलके-हलके झोंके, फुटबॉल की उछलकूद, कबड्डी बालीबॉल की तेज़ी सब चीज़े उसे अपनी ओर खींचती और वह टाइम टेबिल का पालन नहीं कर पाता था।
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Question 2:
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Answer:
à¤à¤ दिन à¤à¤¬ à¤à¥à¤²à¥à¤²à¥-डà¤à¤¡à¤¾ à¤à¥à¤²à¤¨à¥ à¤à¥ बाद à¤à¥à¤à¥ à¤à¤¾à¤ बड़ॠà¤à¤¾à¤ साहब à¤à¥ सामनॠपहà¥à¤à¤à¥ तॠà¤à¤¨à¤à¥ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ बहà¥à¤¤ à¤à¤¯à¤¾à¤¨à¤ थà¥à¥¤ वह बहà¥à¤¤ à¤à¥à¤°à¥à¤§à¤¿à¤¤ थà¥à¥¤ à¤à¤¨à¥à¤¹à¥à¤à¤¨à¥ à¤à¥à¤à¥ à¤à¤¾à¤ à¤à¥ बहà¥à¤¤ डाà¤à¤à¤¾à¥¤ à¤à¤¨à¥à¤¹à¥à¤à¤¨à¥ à¤à¤¸à¥ पढ़ाठपर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दà¥à¤¨à¥ à¤à¥ à¤à¤¹à¤¾à¥¤ à¤à¥à¤²à¥à¤²à¥-डà¤à¤¡à¤¾ à¤à¥à¤² à¤à¥ à¤à¤¨à¥à¤¹à¥à¤à¤¨à¥ बहà¥à¤¤ बà¥à¤°à¤¾à¤ à¤à¥à¥¤ à¤à¤¨à¤à¥ ठनà¥à¤¸à¤¾à¤° यह à¤à¥à¤² à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ à¤à¥ लिठलाà¤à¤à¤¾à¤°à¥ नहà¥à¤ हà¥à¥¤ ठतठà¤à¤¸à¥ à¤à¥à¤²à¤à¤° à¤à¤¨à¥à¤¹à¥à¤ à¤à¥à¤ हासिल नहà¥à¤ हà¥à¤¨à¥ वाला हà¥à¥¤ à¤à¤¨à¥à¤¹à¥à¤à¤¨à¥ यह à¤à¥ à¤à¤¹à¤¾ à¤à¤¿ ठवà¥à¤µà¤² à¤à¤¨à¥ पर à¤à¤¸à¥ à¤à¤à¤®à¤¡ हॠà¤à¤¯à¤¾ हà¥à¥¤ à¤à¤¨à¤à¥ ठनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤®à¤à¤¡ तॠरावण तठà¤à¤¾ à¤à¥ नहà¥à¤ रहा। ठà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤-न-à¤à¤ दिन ठà¤à¤¤ हà¥à¤¤à¤¾ हà¥à¥¤ ठतठà¤à¥à¤à¥ à¤à¤¾à¤ à¤à¥ à¤à¤¾à¤¹à¤¿à¤ à¤à¤¿ à¤à¤®à¤à¤¡ à¤à¥à¤¡à¤¼à¤à¤° पढ़ाठà¤à¥ à¤à¤° धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दà¥à¥¤
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Question 3:
बड़े भाई को अपने मन की इच्छाएँ क्यों दबानी पड़ती थीं?
Answer:
बड़े भाई की उम्र छोटे भाई से पाँच वर्ष अधिक थी। वे होस्टल में छोटे भाई के अभिभावक के रूप में थे। वे अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखते थे। उन्हें भी खेलने पंतग उड़ाने तमाशे देखने का शौक था परन्तु अगर वे ठीक रास्ते पर न चलते तो भाई के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी कैसे निभाते। अपने नैतिक कर्त्तव्य का बोध करके वे अनुशासित रहते और अपनी इच्छाएँ दबा लेते।
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Question 4:
बड़े भाई साहब छोटे भाई को क्या सलाह देते थे और क्यों?
Answer:
बड़े भाई साहब छोटे भाई के होशियार होने के बाद भी चाहते थे कि वह हरदम पढ़ता रहे और अच्छे अंकों से पास होता रहे। इसलिए वे उसे हमेशा सलाह देते कि ज़्यादा समय खेलकूद में न बिताए, अपना ध्यान पढ़ाई में लगाए। वे कहते थे कि अंग्रेजी विषय को पढ़ने के लिए दिनरात मेहनत करनी पड़ती है। यदि मेहनत नहीं करोगे तो उसी दरजे में पड़े रहोगे।
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Question 5:
छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का क्या फ़ायदा उठाया?
Answer:
छोटे भाई बड़े भाई की नरमी का अनुचित लाभ उठाने लगे। इस पर छोटा भाई पास हो गया तो उसका आत्मसम्मान और भी बढ़ गया। बड़े भाई का रौब नहीं रहा, वह आज़ादी से खेलकूद में जाने लगा, वह स्वच्छंद हो गया। उसे विश्वास हो गया कि वह पढ़े न पढ़े पास हो जाएगा। इस लिए उसके मन से बड़े भाई साहब का डर खत्म हो गया था।
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Question 1:
बड़े भाई की डाँट-फटकार अगर न मिलती, तो क्या छोटा भाई कक्षा में अव्वल आता? अपने विचार प्रकट कीजिए ।
Answer:
छोटा भाई अभी अनुभवहीन था। वह अपना भला बुरा नहीं समझ पाता था। यदि बड़े भाई साहब उसे डाँटते फटकारते नहीं तो वह जितना पढ़ता था उतना भी नहीं पढ़ पाता और अपना समय खेलकूद में ही गँवा देता। उसे बड़े भाई की डाँट का डर था। इसी कारण उसे शिक्षा की अहमियत समझ में आई, विषयों की कठिनाइयों का पता लगा, अनुशासित होने के लाभ समझ में आए और वह अव्वल आया।
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Question 2:
बड़े भाई साहब पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के किन तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है? क्या आप उनके विचार से सहमत हैं?
Answer:
बड़े भाई साहब ने समूची शिक्षा प्रणाली पर व्यंग्य करते हुए कहा है कि ये शिक्षा अंग्रेजी बोलने, लिखने, पढ़ने पर ज़ोर देती है। आए या न आए पर उस पर बल दिया जाता है।
रटने की प्रणाली पर भी ज़ोर है। अर्थ समझ में आए न आए पर रटकर बच्चा विषय में पास हो जाता है। साथ ही अलजबरा, ज्योमेट्री निरंतर अभ्यास के बाद भी गलत हो जाती है। अपने देश के इतिहास के साथ दूसरे देश के इतिहास को भी पढ़ना पड़ता है जो ज़रूरी नहीं है। छोटे-छोटे विषयों पर लंबे चौड़े निबंध लिखना। ऐसी शिक्षा जो लाभदायक कम और बोझ ज़्यादा हो ठीक नहीं होती है।
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Question 3:
बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ कैसे आती है?
Answer:
बड़े भाई साहब के अनुसार जीवन की समझ केवल किताबी ज्ञान से नहीं आती बल्कि अनुभव से आती है। इसके लिए उन्होंने अम्माँ, दादा व हैडमास्टर की माँ के उदाहरण भी दिए हैं कि वे पढ़े लिखे न होने पर भी हर समस्याओं का समाधान आसानी से कर लेते हैं। अनुभवी व्यक्ति को जीवन की समझ होती है, वे हर परिस्थिति में अपने को ढालने की क्षमता रखते हैं।
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Question 4:
à¤à¥à¤à¥ à¤à¤¾à¤ à¤à¥ मन मà¥à¤ बड़ॠà¤à¤¾à¤ साहब à¤à¥ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ à¤à¥à¤¯à¥à¤ à¤à¤¤à¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤?
Answer:
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Question 5:
बड़े भाई की स्वभावगत विशेषताएँ बताइए?
Answer:
बड़े भाई साहब अध्ययनशील हैं, हमेशा किताबे खोले बैठे रहते हैं, घोर परिश्रमी हैं। चाहे उन्हें समझ में न भी आए परिश्रम करते रहते हैं । वह वाकपदु भी हैं, छोटे भाई को तरह तरह से समझाते हैं। उन्हें बडप्पन का अहसास है। इसलिए वह छोटे भाई को भी समझाते हैं। अनुभवी होने से जीवन में अनुभव की महत्ता समझाते हैं।
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Question 6:
बड़े भाई साहब ने ज़िंदगी के अनुभव और किताबी ज्ञान में से किसे और क्यों महत्वपूर्ण कहा है?
Answer:
बड़े भाई साहब ने जिदंगी के अनुभव की किताबी को ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण माना है। जो ज्ञान बड़ों को है वह पुस्तकें पढ़ कर हासिल नहीं होता है। ज़िंदगी के अनुभव उन्हें ठोस धरातल देते हैं जिससे हर परिस्थिति का सामना किया जा सकता है। पुस्तकें व्यवहार की भूमि नहीं होती है। गलत-सही, उचित-अनुचित की जानकारी अनुभवों से ही आती है। अत: जीवन के अनुभव किताबी ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण हैं।
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Question 7:
बताइए पाठ के किन अंशों से पता चलता है कि −
(क) छोटा भाई अपने भाई साहब का आदर करता है।
(ख) भाई साहब को ज़िंदगी का अच्छा अनुभव है।
(ग) भाई साहब के भीतर भी एक बच्चा है।
(घ) भाई साहब छोटे भाई का भला चाहते हैं।
Answer:
(क) पतंगबाजी के समय बड़े भाई ने समझाया कि वह बड़ा है, उसे गलत राह पर नहीं जाने देगा। वह भले ही फेल हो जाए पर छोटे भाई को फेल नहीं होने देगा। यह सुनकर छोटे भाई के मन मे बड़े भाई के लिए आदर भर आया।
(ख) बड़े भाई को ज़िंदगी का बड़ा अनुभव है। वे जानते हैं कि दादा ने अपनी मेहनत की कमाई से कुशलता से परिवार पालन किया है। वह यह भी जानते हैं कि अपनी इच्छाओं पर काबू करके ही वह छोटे भाई को ठीक रख सकते हैं।
(ग) बड़े भाई साहब छोटे भाई को समझा रहे थे, उसी समय एक पतंग कट कर आई। छोटा भाई उसे लूटने दौड़ा परन्तु लम्बे होने के कारण बड़े भाई ने लूट ली। वे हॉस्टल की ओर दौड़े। ये उनके भीतर बच्चा होने का प्रमाण है।
(घ) बड़े भाई साहब छोटे भाई को ज़्यादा खेलने के लिए डाँटते, उसका भला बुरा समझाते, गलत-सही को समझाते। वह चाहते थे कि उनका छोटा भाई ठीक रहे और अव्वल आए।
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Question 1:
आशय स्पष्ट कीजिए −
इम्तिहान पास कर लेना कोई चीज़ नहीं, असल चीज़ है बुद्धि का विकास।
Answer:
बड़े भाई साहब इम्तिहान पास होने को बहुत महत्व नहीं देते थे। वे कहते थे कि किताबे रट के पास हो सकते हैं परन्तु जीवन के अनुभवों और बुद्धि के विकास से इंसान बुद्धिमान बनता है।
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Question 2:
आशय स्पष्ट कीजिए −
फिर भी जैसे मौत और विपत्ति के बीच भी आदमी मोह और माया के बंधन में जकड़ा रहता है, मैं फटकार और घुडकियाँ खाकर भी खेल-कूद का तिरस्कार न कर सकता था।
Answer:
लेखक हर समय अपने खेलकूद, सैरसपाटे में मस्त रहता और बड़े भाई से डाँट खाता था परन्तु फिर भी खेलकूद नहीं छोड़ता था। जैसे संकटों में फँसकर भी मनुष्य अपनी मोहमाया नहीं छोड़ता है उसी प्रकार छोटा भाई खेलकूद को नहीं छोड़ता था।
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Question 3:
आशय स्पष्ट कीजिए −
बुनियाद ही पुख्ता न हो तो मकान कैसे पायेदार बने?
Answer:
बड़े भाई साहब का विचार था कि यदि मकान की नीव ही कमज़ोर हो तो उसपर मंजिले खड़ी नहीं हो सकती हैं। इसी प्रकार यदि जीवन को सुंदर दिशा देनी हो तो परिश्रम करना आवश्यक है। यहाँ नीव से तात्पर्य घर के बड़ों से है तथा मकान आने वाली पीढ़ी को कहा गया है।
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Question 4:
आशय स्पष्ट कीजिए −
आँखे आसमान की ओर थीं और मन उस आकाशगामी पथिक की ओर, जो मंद गति से झूमता पतन की ओर चला आ रहा था, मानो कोई आत्मा स्वर्ग से निकलकर विरक्त मन से नए संस्कार ग्रहण करने जा रही हो।
Answer:
लेखक जब पंतग लूट रहा था तो उसकी आँखे आसमान की ओर थी और मन पंतग रूपी शहगीर की तरह। उसे पंतग एक दिव्य आत्मा जैसी लग रही थी जो धीरे-धीरे नीचे आ रही थी और वह उसे पाने के लिए दौड़ रहा था।
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Question 1:
निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए −
नसीहत, रोष, आज़ादी, राजा, ताज्जुब
Answer:
1. |
नसीहत |
- |
सलाह, सीख |
2. |
रोष |
- |
क्रोध, गुस्सा |
3. |
आज़ादी |
- |
स्वतंत्रता, उन्मुक्तता |
4. |
राजा |
- |
नृप, महीप |
5. |
ताज्जुब |
- |
हैरत, हैरानी |
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Question 2:
पà¥à¤°à¥à¤®à¤à¤à¤¦ à¤à¥ à¤à¤¾à¤·à¤¾ बहà¥à¤¤ पà¥à¤¨à¥ à¤à¤° मà¥à¤¹à¤¾à¤µà¤°à¥à¤¦à¤¾à¤° हà¥à¥¤ à¤à¤¸à¤²à¤¿à¤ à¤à¤¨à¤à¥ à¤à¤¹à¤¾à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤ रà¥à¤à¤ à¤à¤° पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤ªà¥à¤°à¥à¤£ हà¥à¤¤à¥ हà¥à¤à¥¤ à¤à¤¸ à¤à¤¹à¤¾à¤¨à¥ मà¥à¤ à¤à¤ª दà¥à¤à¥à¤à¤à¥ à¤à¤¿ हर ठनà¥à¤à¥à¤à¥à¤¦ मà¥à¤ दà¥-तà¥à¤¨ मà¥à¤¹à¤¾à¤µà¤°à¥à¤ à¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¯à¥à¤ à¤à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤¯à¤¾ हà¥à¥¤ à¤à¤¦à¤¾à¤¹à¤°à¤£à¤¤: à¤à¤¨ वाà¤à¥à¤¯à¥à¤ à¤à¥ दà¥à¤à¤¿à¤ à¤à¤° धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ सॠपढ़िठ−
• मà¥à¤°à¤¾ à¤à¥ पढ़नॠमà¥à¤ बिलà¥à¤à¥à¤² न लà¤à¤¤à¤¾ था। à¤à¤ à¤à¤à¤à¤¾ à¤à¥ à¤à¤¿à¤¤à¤¾à¤¬ लà¥à¤à¤° बà¥à¤ ना पहाड़ था।
• à¤à¤¾à¤ सहाब à¤à¤ªà¤¦à¥à¤¶ à¤à¥ à¤à¤²à¤¾ मà¥à¤ निपà¥à¤£ थà¥à¥¤ à¤à¤¸à¥-à¤à¤¸à¥ लà¤à¤¤à¥ बातà¥à¤ à¤à¤¹à¤¤à¥, à¤à¤¸à¥-à¤à¤¸à¥ सà¥à¤à¥à¤¤à¤¿ बाण à¤à¤²à¤¾à¤¤à¥ à¤à¤¿ मà¥à¤°à¥ à¤à¤¿à¤à¤° à¤à¥ à¤à¥à¤à¤¡à¤¼à¥-à¤à¥à¤à¤¡à¤¼à¥ हॠà¤à¤¾à¤¤à¥ à¤à¤° हिमà¥à¤®à¤¤ à¤à¥à¤ à¤à¤¾à¤¤à¥à¥¤
• वह à¤à¤¾à¤¨à¤²à¥à¤µà¤¾ à¤à¤¾à¤à¤®-à¤à¥à¤¬à¤¿à¤², वह à¤à¤à¤à¤«à¥à¤¡à¤¼ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤à¥à¤, à¤à¤¿à¤¸à¥ à¤à¥ याद न रहतॠà¤à¤° à¤à¤¾à¤ साहब à¤à¥ नसà¥à¤¹à¤¤ à¤à¤° फ़à¤à¥à¤¹à¤¤ à¤à¤¾ à¤
वसर मिल à¤à¤¾à¤¤à¤¾à¥¤
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ मà¥à¤¹à¤¾à¤µà¤°à¥à¤ à¤à¤¾ वाà¤à¥à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ पà¥à¤°à¤¯à¥à¤ à¤à¥à¤à¤¿à¤ −
सिर पर नà¤à¤à¥ तलवार लà¤à¤à¤¨à¤¾, à¤à¤¡à¤¼à¥ हाथà¥à¤ लà¥à¤¨à¤¾, ठà¤à¤§à¥ à¤à¥ हाथ बà¤à¥à¤° लà¤à¤¨à¤¾, लà¥à¤¹à¥ à¤à¥ à¤à¤¨à¥ à¤à¤¬à¤¾à¤¨à¤¾, दाà¤à¤¤à¥à¤ पसà¥à¤¨à¤¾ à¤à¤¨à¤¾, à¤à¤°à¤¾-à¤à¥à¤°à¤¾ नतà¥à¤¥à¥ à¤à¥à¤°à¤¾à¥¤
Answer:
सिर पर नà¤à¤à¥ तलवार लà¤à¤à¤¨à¤¾ - सà¥.बà¥.à¤à¤ नॠà¤à¤¾à¤à¤ शà¥à¤°à¥ à¤à¤°à¤à¥ सबà¤à¥ सिर पर नà¤à¤à¥ तलवार लà¤à¤à¤¾ दà¥à¥¤
à¤à¤¡à¤¼à¥ हाथà¥à¤ लà¥à¤¨à¤¾ - पà¥à¤²à¤¿à¤¸ नॠà¤à¥à¤° à¤à¥ à¤à¤¡à¤¼à¥ हाथà¥à¤ लॠलिया।
ठà¤à¤§à¥ à¤à¥ हाथ बà¤à¥à¤° लà¤à¤¨à¤¾ - à¤à¤°à¥à¤®à¤à¤¾à¤°à¥ à¤à¥ à¤à¤¬ रà¥à¤ªà¤¯à¥à¤ सॠà¤à¤°à¤¾ थà¥à¤²à¤¾ मिला तॠमानà¥à¤ ठà¤à¤§à¥ à¤à¥ हाथ बà¤à¥à¤° लठà¤à¤à¥¤
लà¥à¤¹à¥ à¤à¥ à¤à¤¨à¥ à¤à¤¬à¤¾à¤¨à¤¾ - मà¤à¤¼à¤¦à¥à¤° दिन रात मà¥à¤¹à¤¨à¤¤ à¤à¤°à¤¤à¥ हà¥à¤, पà¥à¤¸à¥à¤ à¤à¥ लिठवह लà¥à¤¹à¥ à¤à¥ à¤à¤¨à¥ à¤à¤¬à¤¾à¤¤à¥ हà¥à¤à¥¤
दाà¤à¤¤à¥à¤ पसà¥à¤¨à¤¾ à¤à¤¨à¤¾ - राम à¤à¥ à¤à¤¿à¤¦à¥à¤¦à¥ à¤à¥ à¤à¤à¥ à¤à¤¨à¤à¥ पिताà¤à¥ à¤à¥ दाà¤à¤¤à¥à¤ पसà¥à¤¨à¤¾ ठà¤à¤¯à¤¾à¥¤
à¤à¤°à¤¾-à¤à¥à¤°à¤¾ नतà¥à¤¥à¥ à¤à¥à¤°à¤¾ - à¤à¤¸ पारà¥à¤à¥ मà¥à¤ à¤à¤°à¤¾-à¤à¥à¤°à¤¾ नतà¥à¤¥à¥ à¤à¥à¤°à¤¾ à¤à¥ ठà¤à¤¯à¤¾à¥¤
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Question 3:
निम्नलिखित तत्सम, तद्भव, देशी, आगत शब्दों को दिए गए उदाहरणों के आधार पर छाँटकर लिखिए।
तत्सम |
तद्भव |
देशज |
आगत (अंग्रेज़ी एवं उर्दू/ अरबी-फारसी) |
जन्मसिद्ध |
आँख |
दाल-भात |
पोज़ीशन, फ़जीहत |
तालीम, जल्दबाज़ी, पुख्ता, हाशिया, चेष्टा, जमात, हर्फ़, सूक्तिबाण, जानलेवा, आँखफोड़, घुड़कियाँ, आधिपत्य, पन्ना, मेला-तमाशा, मसलन, स्पेशल, स्कीम, फटकार, प्रात:काल, विद्वान, निपुण, भाई साहब, अवहेलना, टाइम-टेबिल
Answer:
तत्सम |
तद्भव |
देशज |
आगत |
अरबी-फारसी |
जन्मसिद्ध |
आँख |
दाल-भात |
पोज़ीशन |
फ़जीहत |
चेष्टा, निपुण |
घुड़कियाँ |
जानलेवा |
जल्दबाज़ी |
हाशिया |
सूक्तिबाण, विद्वान |
पन्ना |
आँखफोड़ |
पुख्ता |
तालीम |
आधिपत्य, प्रात:काल |
मेला तमाशा |
मसलन |
हर्फ़ |
|
अवहेलना |
फटकार, भाई साहब |
स्पेशल, स्कीम, टाईम-टेबिल |
जमात |
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Question 4:
क्रियाएँ मुख्यत: दो प्रकार की होती हैं−सकर्मक और अकर्मक।
सकर्मक क्रिया − वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की अपेक्षा रहती है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं;
जैसे − शीला ने सेब खाया।
मोहन पानी पी रहा है।
अकर्मक क्रिया − वाक्य में जिस क्रिया के प्रयोग में कर्म की अपेक्षा नहीं होती, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं;
जैसे − शीला हँसती है।
बच्चा रो रहा है।
नीचे दिये वाक्यों में कौन-सी क्रिया है − सकर्मक या अकर्मक? लिखिए −
(क) |
उन्होंने वहीं हाथ पकड़ लिया। |
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(ख) |
फिर चोरों−सा जीवन कटने लगा। |
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(ग) |
शैतान का हाल भी पढ़ा ही होगा। |
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(घ) |
मैं यह लताड़ सुनकर आँसू बहाने लगता। |
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(ङ) |
समय की पाबंदी पर एक निबंध लिखो। |
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(च) |
मैं पीछे-पीछे दौड़ रहा था। |
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Answer:
(क) |
उन्होंने वहीं हाथ पकड़ लिया। |
सकर्मक |
(ख) |
फिर चोरों−सा जीवन कटने लगा। |
अकर्मक |
(ग) |
शैतान का हाल भी पढ़ा ही होगा। |
सकर्मक |
(घ) |
मैं यह लताड़ सुनकर आँसू बहाने लगता। |
सकर्मक |
(ङ) |
समय की पाबंदी पर एक निबंध लिखो। |
सकर्मक |
(च) |
मैं पीछे-पीछे दौड़ रहा था। |
अकर्मक |
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Question 5:
'इक' प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए −
विचार, इतिहास, संसार, दिन, नीति, प्रयोग, अधिकार
Answer:
विचार-वैचारिक
इतिहास-ऐतिहासिक
संसार-सांसारिक
दिन-दैनिक
नीति-नैतिक
प्रयोग-प्रायोगिक
अधिकार-आधिकारिक
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