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Board Paper of Class 10 2004 Hindi (SET 1) - Solutions

(i) इस प्रश्न-पत्र के चार खण्ड हैं क, ख, ग और घ।
(ii) चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
(iii) यथासंभव प्रत्येक खण्ड के उत्तर क्रमश: दीजिए।


  • Question 1

    निम्नलिखित अपठित गद्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

    प्रारम्भ में विवेकानन्द को भारत में महत्त्वपूर्ण स्थान नहीं मिला पर जब उन्होंने अमेरिका में नाम कमा लिया तो भारतवासी दौड़े मालाएँ लेकर स्वागत करने। रवीन्द्रनाथ ठाकुर को भी जब नोबल पुरस्कार मिला तो बंगाली लोग दौड़े यह राग अलापते हुए – "अमादेर ठाकुर। अमादेर सोनार कंठेर सुपूत....."। दक्षिण भारत में कुछ समय पहले तक भरतनाट्यम् और कथकली को कोई नहीं पूछता था, पर जब उसे विदेशों में मान मिलने लगा तो आश्चर्य से भारतवासी सोतने लगे, "अरे, हमारी संस्कृति में इतनी अपूर्व चीज़ें भी पड़ी थीं क्या...!" यहाँ के लोगों को अपनी खूबसूरती नहीं नज़र आती, मगर पराये के सौन्दर्य को देख कर मोहित हो जाते हैं। जिस देश में जन्म पाने के लिए मैक्समूलर ने जीवन भर प्रार्थना की, उस देश के निवासी आज जर्मनी, और विलायत जाना स्वर्ग जाने जैसा अनुभव करते हैं। ऐसे लोगों को प्राचीन "गुरु शिष्य संबंध" की महिमा सुनाना गधे को गणित सिखाने जैसा व्यर्थ प्रयास ही हो सकता है।

    एक बार सुप्रसिद्ध भारतीय पहलवान गामा बम्बई आए। उन्होंने विश्व के सारे पहलवानों को कुश्ती में चैलेंज दिया। अखबारों में यह समाचार प्रकाशित होते ही एक फ़ारसी पत्रकार ने उत्सुकतावश उनके निकट पहुँच कर उनसे पूछा – "साहब, विश्व के किसी भा पहलवान से लड़ने के लिए आप तैयार हैं तो आप अपने अमुक शिष्य से ही लड़कर विजय प्राप्त करके दिखाएँ।" गामा आजकल के शिक्षा-क्रम में रंगे नहीं थे। इसलिए उन्हें इन शब्दों ने हैरान कर दिया। वे मुँह फाड़कर उस पत्रकार का चेहरा ताकते ही रह गए। बाद में धीरे से कहा–

    "भाई साहब, मैं हिन्दुस्तानी हूँ। हमारा अपना एक निजी रहन-सहन है। शायद इससे आप परिचित नहीं हैं। जिस लड़के का आपने नाम लिया, वह मेरे पसीने की कमाई, मेरा खून है और मेरे बेट से भी अधिक प्यारा है। इसमें और मुझमें फरक ही कुछ नहीं है। मैं लड़ा या वह लड़ा, दोनों बराबर ही होगा। हमारी अपनी इस परम्परा को आप समझने की चेष्टा कीजिए। हम लोगों को वंश-परम्परा से शिष्य-परम्परा ही अधिक प्रिय है। ख्याति और प्रभाव में हम सदा यही चाहते हैं कि हम अपने शिष्यों से कम प्रमुख रहें। यानी हम यही चाहेंगे कि संसार में जितना नाम मैंने कमाया उससे कहीं अधिक मेरे शिष्य कमाएँ। मुझे लगता है, आप हिन्दुतानी नहीं हैं"।

    भारत में गुरु-शिष्य संबंध का वह भव्य रूप आज साधुओं पहलवानों और संगीतकारों में ही थोड़ा बहुत ही सही, पाया जाता है। भगवान रामकृष्ण बरसों योग्य शिष्य को पाने के लिए प्रार्थना करते रहे। उनके जैसे व्यक्ति को भी उत्तम शिष्य के लिए रो-रोकर प्रार्थना करनी पड़ी थी। इसी से समझा जा सकता है कि एक गुरु के लिए उत्तम शिष्य कितना महँगा और महत्त्वपूर्ण है। संतानहीन रहना उन्हें दु:ख नहीं देता पर बगैर शिष्य के रहने के लिए वे एकदम तैयार नहीं होते। इस सम्बन्ध में भगवान ईसा का एक कथन सदा स्मरणीय है। उन्होंने कहा था– "मेरे अनुयायी लोग मुझसे कहीं अधिक महान हैं और उनकी जूतियाँ होने की योग्यता भी मुझमें नहीं है। यही बात है, गाँधी जी बनने की क्षमता जिनमें है उन्हें गाँधी जी अच्छे लगते हैं और वे ही उनके पीछे चलते भी हैं। विवेकानन्द बनने की अद्भूत शक्ति निहित है।"

    कविता के मर्मज्ञ और रसिक स्वयं कवि से अधिक महान होते हैं। संगीत के पागल सुनने वाले ही स्वयं संगीतकार से अधिक संगीत का रसास्वादन करते हैं। यहाँ पूज्य नहीं, पुजारी ही श्रेष्ठ है। यहाँ सम्मान पाने वाले नहीं, सम्मान देने वाले महान हैं। स्वयं पुष्प में कुछ नहीं है, पुष्प का सौन्दर्य उसे देखने वाले की दृष्टि में है। दुनिया में कुछ नहीं है। जो कुछ भी है हमारी चाह में, हमारी दृष्टि में है। यह अद्भूत भारतीय व्याख्या अजीब-सी लग सकती है। पर हमारे पूर्वज सदा इसी पथ के यात्री रहे हैं।

    1. भारत में विवेकानन्द को सम्मान कब मिला? (2)

    2. मैक्समूलर ने किस देश में जन्म पाने की प्रार्थना की और क्यों? (2)

    3. गामा ने पत्रकार से क्या कहा? (2)

    4. भारत में गुरु-शिष्य सम्बन्ध का भव्य रूप कहाँ देखने को मिलता है? (2)

    5. उपरोक्त गद्यांश का शीर्षक बताइए। (2)

    6. उपरोक्त गद्यांश में से कोई दो विशेषण छांटिए। (2)

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  • Question 2

    निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –
    मुझको देना शक्ति–
    कुछ अच्छा करने की
    सबका दु:ख हरने की
    हर फूल खिलाने की
    हर शूल हटाने की
    मुझको देना शक्ति–
    हरियाली दे आऊँ
    खुशहाली दे पाऊँ
    नेह नीर बरसाऊँ
    धरती को सरसाऊँ
    मुझको देना शक्ति–
    मैं सबकी पीर हरूँ
    आँधी में धीर धरूँ
    पापों से सदा डरूँ
    जीवन में नया करूँ
    मुझको देना शक्ति–
    नन्हीं पौध लगाऊँ
    सींच सींच हरषाऊँ
    अनजाने आँगन को
    उपवन सा महकाऊँ

    1. कवि ने अच्छा करने की शक्ति क्यों माँगी है? (2)

    2. हरियाली लाने की कामना कवि ने क्यों की है? (2)

    3. 'आँधी' से क्या तात्पर्य है? (2)

    4. नन्हीं पौध लगाने से क्या आशय है? (1)

    5. 'अनजाने आँगन' को किस प्रकार महकाना चाहा है? (1)

    अथवा

    आग के ही बीच में अपना बना घर देखिए।
    यहीं पर रहते रहेंगे हम उमर भर देखिए।।
    एक दिन वे भी जलेंगे जो लहट से दूर हैं।
    आँधियों का उठ रहा दिल में वहाँ डर देखिए।।
    पैर धरती पर हमारे मन हुआ आकाश है।
    आप जब हमसे मिलेंगे, उठा यह सर देखिए।।
    जी रहे हैं वे नगर में द्वारपालों की तरह।
    कमर सजदे में झुकी है, पास जाकर देखिए।।
    टूटना मंजूर पर झुकना हमें आता नहीं।
    चलाकर ऊपर हमारे आप पत्थर देखिए।।
    भरोसे की बूँद को मोती बनाना है अगर।
    ज़िन्दगी की लहर को सागर बनाकर देखिए।।

    1. आग के बीच में घर बनाने का क्या आशय है? (2)

    2. 'लपट से दूर' होने का क्या तात्पर्य है? (2)

    3. मन और पैर की कवि ने क्या स्थिति बताई है? (2)

    4. द्वारपालों की तरह जीना किसे कहते हैं? (1)

    5. भरोसे की बूँद को मोती कैसे बनाया जा सकता है? (1)

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  • Question 3

    आपने किसी पुस्तक-विक्रेता से पुस्तकें मँगवाई थीं, किंतु अभी तक आपको पुस्तकें नहीं मिली। पुस्तक-विक्रेता को शिकायती पत्र लिखिए।
     

    अथवा
     

    परिवहन-निगम के अध्यक्ष को पत्र लिखिए जिसमें आपके गाँव/ कॉलोनी तक बस चलाने का अनुरोध हो।

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  • Question 4

    दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर किसी एक विषय पर लगभग 100 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए।

    1. भारत जैसा देश कहाँ है– (भौगोलिक सौन्दर्य, सभ्यता और संस्कृति राष्ट्रीय एकता और समन्वय की भावना)

    2. मेरी सर्वाधिक प्रिय ऋतु (मेरी सर्वाधिक प्रिय ऋतु, वसन्त ऋतु के प्रिय होने के कारण, वसन्त में प्राकृतिक सौन्दर्य)

    3. सत्संगति सब विधि हितकारी (संत्सगी का अर्थ, संत्सगति हितकारी कैसे सुसंगति सब सुखों का मूल)

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  • Question 5

    पदबन्ध छाँटिए और भेद बताइए –

    1. बहुत बढ़-चढ़ कर बात बनाने वाला बालक विफल हुआ।

    2. सूरज के डूबते ही गायें लौट आयीं।

    3. प्रात:काल टहलना लाभप्रद है।

    4. महेश रातभर काम करते-करते थक गया।

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  • Question 6

    (क) निम्नलिखित वाक्यों को (1) मिश्र और (2) संयुक्त वाक्य में बदल कर लिखिए – (2)

          तोता पिंजड़े में है। तोता दाल खा रहा है।

    (ख) संयुक्त वाक्य में बदलिए – (2)

    (1) श्रीराम दशरथ के पुत्र थे। श्रीराम पिताजी की आज्ञा से वन को गए।

    (2) सुनीता बाज़ार जा रही है। वह वहाँ से स्वेटर खरीदकर लायेगी।

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  • Question 7

    (1) संधि-विच्छेद कीजिए – (1)

         भूर्जा, गंगोत्सव

    (2) संधि कीजिए – (1)

         अनु + उदित, प्रति + अक्षर

    (3) समस्त पद बनाइए तथा समास का नाम भी लिखिए – (2)

         (क) कमल के समान नयन

         (ख) आनन्द में मग्न

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  • Question 8

    उपयुक्त मुहावरों और लोकोक्तियों से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

    (1) प्रियांक से कुछ मत कहो वह मेरी ................. है।

    (2) तुमने यदि कुछ गड़बड़ की तो मैं तुम्हें ................ दूँगा।

    (3) वह अभी चार वर्ष का है और इतने अच्छे ढंग से तबला बजाता है। किसी ने ठीक ही कहा है ....................।

    (4) तुम्हें इस प्रश्न का उत्तर तो आता नहीं और कहते हो कि प्रश्न ही गलत है, यह तो वही बात हुई ................।

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  • Question 9

    (1) निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखिए –

          आभूषण, घोड़ा (2)

    (2) निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए –

          कृतज्ञ, पंडित (2)

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  • Question 10

    निम्नलिखित काव्यशों में से किसी एक को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए – 
    (क) कहलाने एकत बसत अहि मयूर, मृग बाघ।
         जगतु तपोबन सौ कियौ दीरघ-दाघ निदाघ।।

    (1) सांप, मोर, मृग और बाघ एक साथ क्यों नहीं रह सकते? (2)

    (2) ग्रीष्म ऋतु ने संसार को किस प्रकार तपोवन बना दिया है? (2)

    (3) पहली पंक्ति में कौन से अलंकार का प्रयोग किया गया है? (2)

    अथवा

    (ख) जलते नभ में देख असंख्यक,
         स्नेहहीन नित कितने दीपक;
         जलमय सागर का उर जलता,
         विद्युत ले घिरता है बादल!
         विहँस विहँस मेरे दीपक जल!

    (1) कवि ने किसे स्नेहहीन दीपक कहा है और क्यों? (2)

    (2) सागर का हृदय जलने का तात्पर्य स्पष्ट कीजिए। (2)

    (3) कवयित्री अपने हृदय के दीपक को हँसते हुए जलने के लिए क्यों कहती है? (2)

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  • Question 11

    निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए – (3 + 3 + 3)

    (1) दुनिया अपने भीतर छिपे ईश्वर को नहीं देख पाती। कवि ने किस उदाहरण द्वारा यह तथ्य स्पष्ट किया है?

    (2) 'मनुष्यता' कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि कवि ने कैसी मृत्यु को सुमृत्यु कहा है?

    (3) पर्वत के हृदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आकाश की ओर क्यों देख रहे थे और वे किस बात को प्रतिबिम्बित करते हैं?

    (4) 'विपदाओं से मुझे बचाओ यह मेरी प्रार्थना नहीं' कवि इस पंक्ति द्वारा क्या कहना चाहता है?

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  • Question 12

    (1) 'सर हिमालय का हमने न झुकने दिया' इस पंक्ति में हिमालय किस बात का प्रतीक है? (2)

    (2) 'मनुष्यता' कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है? (3)

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  • Question 13

    निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक गद्यांश के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए – (2 + 2 + 2)

    (क) कुछ समय बाद पासा गाँव में 'पशु-पर्व' का आयोजन हुआ। पशु-पर्व में हृष्ट-पुष्ट पशुओं के प्रदर्शन के अतिरिक्त पशुओं से युवकों की शक्ति परीक्षा प्रतियोगिता भी होती है। वर्ष में एक बार सभी गाँव के लोग हिस्सा लेते हैं। बाद में नृत्य-संगीत और भोजन का भी आयोजन होता है। शाम से सभी लोग पासा में एकत्रित होने लगे। धीरे-धीरे विभिन्न कार्यक्रम शुरू हुए। तताँरा का मन इन कार्यक्रमों में तनिक न था। उसकी व्याकुल आँखें वामीरो को ढूँढने में व्यस्त थीं। नारियल के झुंड के एक पेड़ के पीछे से उसे जैसे कोई झाँकता दिखा। उसने थोड़ा और करीब जाकर पहचानने की चेष्टा की। वह वामीरो थी जो भयवश सामने आने में झिझक रही थी। उसकी आँखें तरल थीं। होंठ काँप रहे थे। तताँरा को देखते ही वह फूटकर रोने लगी। तताँरा विहृल हुआ। उससे कुछ बोलते ही नहीं बन रहा था। रोने की आवाज़ लगातार ऊँची होती जा रही थी। तताँरा कर्तव्यविमूढ़ था। वामीरो के रुदन स्वरों को सुनकर उसकी माँ वहाँ पहुँची और दोनों को देखकर आग बबूला हो उठी। सारे गाँववालों की उपस्थिति में यह दृश्य उसे अपमानजनक लगा। इस बीच गाँव के कुछ लोग भी वहाँ पहुँच गए। वामीरो की माँ क्रोध में उफन उठी। उसने तताँरा को तरह-तरह से अपमानित किया। गाँव के लोग भी तताँरा के विरोध में आवाज़ें उठाने लगे। यह तताँरा के लिए असहनीय था। वामीरो अब भी रोए जा रही थी। तताँरा भी गुस्से से भर उठा। उसे जहाँ विवाह की निषेध परंपरा पर क्षोभ था वहीं अपनी असहायता पर खीझ। वामीरो का दुख उसे और गहरा कर रहा था। उसे मालूम न था कि क्या कदम उठाना चाहिए? अनायास उसका हाथ तलवार की मूठ पर जा टिका। क्रोध में उसने तलवार निकाली और कुछ विचार करता रहा। क्रोध लगातार अग्नि की तरह बढ़ रहा था। लोग सहम उठे। एक सन्नाटा-सा खिंच गया। जब कोई राह न सूझी तो क्रोध का शमन करने के लिए उसमें शक्ति भर उसे धरती में घोंप दिया और ताकत से उसे खींचने लगा। वह पसीने से नहा उठा। सब घबराए हुए थे। वह तलवार को अपनी तरफ़ खींचते-खींचते दूर तक पहुँच गया। वह हाँफ रहा था। अचानक जहाँ तक लकीर खिंच गई थी, वहाँ एक दरार होने लगी। मानो धरती दो टुकड़ों में बँटने लगी हो। एक गड़गड़ाहट-सी गूँजने लगी और लकीर की सीध में धरती फटती ही जा रही थी। द्वीप के अंतिम सिरे तक तताँरा धरती को मानो क्रोध में काटता जा रहा था। सभी भयाकुल हो उठे। लोगों ने ऐसे दृश्य की कल्पना न की थी, वे सिहर उठे। उधर वामीरो फटती हुई धरती के किनारे चीखती हुई दौड़ रही थी – तताँरा... तताँरा... तताँरा। उसकी करुण चीख मानो गड़गड़ाहट में डूब गई। तताँरा दुर्भाग्यवश दूसरी तरफ़ था। द्वीप के अंतिम सिरे तक धरती को चाकता वह जैसे ही अंतिम छोर पर पहुँचा, द्वीप दो टुकड़ो में विभक्त हो चुका था। एक तरफ़ तताँरा था दूसरी तरफ़ वामीरो। तताँरा को जैसे ही होश आया, उसने देखा उसकी तरफ़ का द्वीप समुद्र में धँसने लगा है। वह छटपटाने लगा उसने छलाँग लगाकर दूसरा सिरा थामना चाहा किंतु पकड़ ढीली पड़ गई। वह नीचे की तरफ़ फिसलने लगा। वह लगातार समुद्र की सतह की तरफ़ फिसल रहा था। उसके मुँह से सिर्फ़ एक ही चीख उभरकर डूब रही थी, "वामीरो... वामीरो... वामीरो..." उधर वामीरो भी "तताँरा... तताँरा... त... ताँ... रा" पुकार रही थी।

    (1) गाँव में पशु-पर्व के आयोजन पर क्या होता था? (2)

    (2) पशु-पर्व के आयोजन के अवसर पर मनाए जाने वाले कार्यक्रमों में तताँरा रुचि क्यों नहीं ले रहा था? (2)

    (3) वामीरो की माँ के मन में क्रोध की भावना क्यों उत्पन्न हुई? (2)

    अथवा

    (ख) ग्वालियर में हमारा एक मकान था, उस मकान के दालान में दो रोशनदान थे। उसमें कबूतर के एक जोड़े ने घोंसला बना लिया था। एक बार बिल्ली ने उचककर दो में से एक अंडा तोड़ दिया। मेरी माँ ने देखा तो उसे दुख हुआ। उसने स्टूल पर चढ़कर दूसरे अंडे को बचाने की कोशिश की। लेकिन इस कोशिश में दूसरा अंडा उसी के हाथ से गिरकर टूट गया। कबूतर परेशानी में इधर-उधर फड़फड़ा रहे थे। उनकी आँखों में दुख देखकर मेरी माँ की आँखों में आँसू आ गए। इस गुनाह को खुदा से मुआफ़ कराने के लिए उसने पूरे दिन रोज़ा रखा। दिन-भर कुछ खाया-पिया नहीं। सिर्फ़ रोती रही और बार-बार नामज़ पढ़-पढ़कर खुदा से इस गलती को मुआफ़ करने की दुआ माँगती रही।

    ग्वालियर से बंबई की दूरी ने संसार को काफ़ी कुछ बदल दिया है। वर्सोवा में जहाँ आज मेरा घर है, पहले यहाँ दूर तक जंगल था। पेड़ थे, परिंदे थे और दूसरे जानवर थे। अब यहाँ समंदर के किनारे लंबी-चौड़ी बस्ती बन गई है। इस बस्ती ने न जाने कितने परिंदों-चरिंदों से उनका घर छीन लिया है। इनमें से कुछ शहर छोड़कर चले गए हैं। जो नहीं जा सके हैं उन्होंने यहाँ-वहाँ डेरा डाल लिया है। इनमें से दो कबूतरों ने मेरे फ्लैट के एक मचान में घोंसला बना लिया है। बच्चे अभी छोटे हैं। उनके खिलाने-पिलाने की ज़िम्मेदारी अभी बड़े कबूतरों की है। वे दिन में कई-कई बार आते-जाते हैं। और क्यों न आएँ-जाएँ आखिर उनका भी घर है। लेकिन उनके आने-जाने से हमें परेशानी भी होती है। वे कभी किसी चीज़ को गिराकर तोड़ देते हैं। कभी मेरी लाइब्रेरी में घुसकर कबीर या मिर्ज़ा गालिब को सताने लगते हैं। इस रोज़-रोज़ की परेशानी से तंग आकर मेरी पत्नी ने उस जगह जहाँ उनका आशियाना था, एक जाली लगा दी है, उनके बच्चों को दूसरी जगह कर दिया है। उनके आने की खिड़की को बंद किया जाने लगा है। खिड़की के बाहर अब दोनों कबूतर रात-भर खामोश और उदास बैठे रहते हैं। मगर अब न सोलोमेन है जो उनकी ज़ुबान को समझकर उनका दुख बाँटे, न मेरी माँ है, जो इनके दुखों में सारी रात नमाज़ों में काटे।

    (1) लेखक की माँ की आँखों में आँसू क्यों आ गए? (2)

    (2) कबूतर लेखक के घर में बार-बार चक्कर क्यों लगाते थे? (2)

    (3) दोनों कबूतर कमरे की खिड़की के बाहर रात-भर खामोश और उदास क्यों बैठे रहते थे? (2)

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  • Question 14

    निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए – (3 + 3 + 3)

    (1) तताँरा की तलवार के बारे में लोगों का क्या मत था?

    (2) लेखक ने 'तीसरी कसम' फ़िल्म को सैल्यूलाइड पर लिखी कविता क्यों कहा है?

    (3) ख्यूक्रिन ने मुआवज़ा पाने की क्या दलील दी?

    (4) शेख अयाज़ के पिता अपने बाजू पर काला च्योंटा रेंगता देख भोजन छोड़ कर क्यों उठ खड़े हुए?

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  • Question 15

    (1) 'टी-सेरेमनी' में कितने आदमियों को प्रवेश दिया जाता था और क्यों? (2)

    (2) सआदत अली कौन था? उसने वज़ीर अली की पैदाइश को अपनी मौत क्यों समझा? (3)

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  • Question 16

    निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए –

    (1) अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं। कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

    (2) दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी क्यों नहीं कर पाई?

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  • Question 17

    निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए – (2 + 2 + 2)

    (1) महन्त की वास्तविकता जानकर हरिहर काका के मन में उनके प्रति किस प्रकार के विचार जागृत हुए?

    (2) पीटी मास्टर और हैडमास्टर शर्मा के स्वभाव का अन्तर स्पष्ट कीजिए।

    (3) इफ़्फ़न की दादी नमाज़ रोज़े की पाबन्द थीं। मुसलमान होते हुए भी उसने देवी माता से प्रार्थना क्यों की?

    (4) नयी श्रेणी में जाने और नयी कापियों और पुरानी किताबों से आती विशेष गन्ध से लेखक का बालमन क्यों उदास हो उठता था?

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