NCERT Solutions for Class 11 Humanities Hindi Chapter 2 हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी बड़ौदा का बोर्डिंग स्कूल are provided here with simple step-by-step explanations. These solutions for हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी बड़ौदा का बोर्डिंग स्कूल are extremely popular among class 11 Humanities students for Hindi हुसैन की कहानी अपनी ज़बानी बड़ौदा का बोर्डिंग स्कूल Solutions come handy for quickly completing your homework and preparing for exams. All questions and answers from the NCERT Book of class 11 Humanities Hindi Chapter 2 are provided here for you for free. You will also love the ad-free experience on Meritnation’s NCERT Solutions. All NCERT Solutions for class 11 Humanities Hindi are prepared by experts and are 100% accurate.

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Question 1:

लेखक ने अपने पाँच मित्रों के जो शब्द-चित्र प्रस्तुत किए हैं, उनसे उनके अलग-अलग व्यक्तित्व की झलक मिलती है। फिर भी वे घनिष्ठ मित्र हैं, कैसे?

Answer:

लेखक की अपने सभी पाँच मित्रों से मित्रता बोर्डिंग में रहते हुए हुई थी। इन दो वर्षों में उनके मध्य इतनी घनिष्ठता हो गई कि जीवन भर वे साथ रहे। वे सभी हँसमुख थे। उनके इस स्वभाव के कारण वे सभी जीवनभर साथ रहें। अरशद के चेहरे में हँसी विद्यमान रहती थी। हामिद स्वभाव से गप्पी था और अब्बास जब हँसता था, तो वह दिलकश होता था। उनके खुलेपन ने उन्हें आपस में एक कर दिया। इस बंधन से वे कभी अलग नहीं हो पाए।

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Question 2:

आप इस बात को कैसे कह सकते हैं कि लेखक का अपने दादा से विशेष लगाव रहा?

Answer:

लेखक के दादा की मृत्यु ने उसे बहुत दुख पहुँचाया। यह उसके लिए बड़े सदमे से कम नहीं था। वह गुमसुम हो गया और किसी से बातचीत नहीं करता था। दादा की मृत्यु के बाद वह कई दिनों तक दादा के कमरे में ही बंद रहा। दादा की पुरानी अचकन पहनकर वह उन्हीं के बिस्तर पर लेटा रहता। इस तरह वह अपने दादा के पास ही सोने का आभास करता। इन सारी बातों से पता चलता है कि उसे दादा से विशेष लगाव था।

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Question 3:

'लेखक जन्मजात कलाकार है।'- इस आत्मकथा में सबसे पहले यह कहाँ उद्घाटित होता है?

Answer:

लेखक जब बोर्डिंग में पढ़ने जाता है, तो चित्रकला की कक्षा में उसकी यह कला उभर कर सामने आती है। एक दिन चित्रकला  की कक्षा में मास्टर बच्चों को ब्लेकबोर्ड में एक बड़ी चिड़िया का चित्र बनाकर देते हैं। वे चाहते हैं कि सभी बच्चे अपनी स्लेट में उसे बनाएँ। मात्र लेखक ही उस चिड़िया की प्रतिलिपि अपनी स्लेट पर बना पाता है। पूरी कक्षा में लेखक के अतिरिक्त ऐसा कोई नहीं था, जिसने यह चित्र बनाया हो। इसके लिए उसे दस में से दस अंक मिलते हैं।

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Question 4:

दुकान पर बैठे-बैठे भी मकबूल के भीतर का कलाकार उसके किन कार्यकलापों से अभिव्यक्त होता है?

Answer:

मकबूल दुकान पर बैठने के बाद भी ड्राइंग तथा पेंटिंग करने में अपना सारा ध्यान लगाता था। वह गल्ले का जबानी हिसाब रखता था। इसके साथ वह अपने आसपास व्याप्त जीवन को 20 स्केचों में उकेरता था। इस तरह वह अपने आसपास आने-जाने तथा उठने-बैठने वाले लोगों के स्केच को बनाता था। इसमें घूँघट ओढ़े मेहतरानी, पेंचवाली पगड़ी पहने तथा गेहूँ की बोरी उठाने वाला मज़दूर, सिज़दे के निशान व दाढ़ी से युक्त पठान तथा बकरी के बच्चे का स्केच बनाया करता था। अपनी पहली ऑयल पेंटिंग भी उसने दुकान पर रहकर ही बनायी थी। उसने एक फ़िल्म सिंहगढ़ से प्रेरित होकर अपनी किताबें बेचीं और आयल पेंटिंग करना आरंभ कर दिया। इसी फिल्म ने उसे ऑयल पेंटिग  के लिए प्रेरित किया।

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Question 5:

प्रचार-प्रसार के पुराने तरीकों और वर्तमान तरीकों में क्या फ़र्क आया है? पाठ के आधार पर बताएँ।

Answer:

प्रचार-प्रसार के पुराने तरीकों और वर्तमान तरीकों में बहुत फ़र्क आया है। अब संचार के साधन सुलभ हो गए हैं। अतः इसके माध्यम से पहुँच बहुत सरल हो गई है। इसके अतिरिक्त मनोरंजन के साधनों में भी विकास हुआ है। टी.वी. ने तो इसे बहुत सरल बना दिया है। उस समय प्रचार-प्रसार के लिए ताँगे पर फ़िल्म के पोस्टर लगाए जाते थे तथा साथ में बैंड भी बजाया जाता था। यह समूह प्रचार करने के लिए नगर-नगर घूमा करता था। सिंहगढ़ फ़िल्म का प्रचार-प्रसार ऐसे ही किया गया था। पतंग को बनाने में प्रयोग होने वाले रंगीन कागज़ पर अभिनेता तथा अभिनेत्री की तस्वीर छापी जाती थी। यह घर-घर में बाँटा जाता था। आज टी.वी., सिनेमाघरों, समाचार-पत्र, इंटरनेट, होर्डिंग बोर्ड के माध्यम से इस प्रकार का प्रचार किया जाता है। बस इसके लिए थोड़ा पैसा अधिक लगता है लेकिन सारा कार्य समय पर हो जाता है। कार्यक्रम आयोजक इस प्रचार की ज़िम्मेदारी लेते हैं। इसके लिए घर-घर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। यह आधुनिकता की देन है।

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Question 6:

कला के प्रति लोगों का नज़रिया पहले कैसा था? उसमें अब क्या बदलाव आया है?

Answer:

कला के प्रति लोगों का नज़रिया अब बहुत बदला है। अब लोग कला की कद्र अधिक करते हैं। ऐसा नहीं है कि पहले लोग कला की कद्र नहीं करते थे। लेकिन पहले यह एक वर्ग तक सीमित था। राजा-महाराजाओं व अंग्रेज़ीं अफसरों आदि की दीवारों की शोभा बढ़ाने का कार्य करता था। लेकिन समय बदला है। आज कला तथा कलाकार का सम्मान किया जाता है। अब तो शिक्षा में भी इसे अभिन्न बना दिया गया है। आज यह जीविका का मज़बूत साधन है। विभिन्न स्थानों पर कलाकार आज इसके माध्यम से पैसा तथा नाम कमा रहे हैं। आम आदमी भी इसमें रुचि रखता है। वह बेशक प्रसिद्ध कलाकारों के चित्र नहीं लगा पाए परन्तु उनकी प्रतिलिपि उसके दीवारों की शोभा अवश्य बढ़ाते हैं। वह जानता है कि इनका क्या मूल्य है। इस आधार पर हम कह सकते हैं कि कला के प्रति लोगों का नज़रिया अब पहले जैसा नहीं है।

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Question 7:

इस पाठ में मकबूल के पिता के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी बातें उभरकर आई हैं?

Answer:

इस पाठ में मकबूल के पिता के व्यक्तित्व की निम्नलिखित बातें उभरकर आई हैं-
• मकबूल के पिता ने देखा कि दादा की मृत्यु के दुख से उनका बेटा निकल नहीं पा रहा है। उन्होंने उसके साथ सख्ती से काम नहीं लिया। उन्होंने उसका दाखिला बोर्डिंग में करवा दिया। इस परिवर्तन ने लेखक को दादा के दुख को भुलाने में सहायता की। इससे पता चलता है कि वह एक समझदार और पुत्र से प्रेम करने वाले पिता थे।
 
• अपने बेटे की प्रतिभा को उन्होंने नष्ट नहीं होने दिया। उसको पूरा समर्थन दिया। बेटे की कला देखकर वह उसके कायल हो गए और बेन्द्रे साहब के कहने से ही उसके लिए ऑयल पेंटिंग का सामान मँगवा दिया। इससे पता चलता है कि वह कला के पारखी और योग्यता को पहचानने वाले इंसान थे।
 
• उन्होंने मकबूल के भविष्य का सोचकर उसे बढ़ावा दिया। इसके लिए उन्होंने अपने पारिवारिक संबंधों की परवाह नहीं की। इससे पता चलता है कि वह आगे की सोचते थे।



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