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साथी हाथ बढ़ाना

साथी हाथ बढ़ाना


काव्यांश 1
साथी हाथ बढ़ाना
एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।
साथी हाथ बढ़ाना।
हम मेहनत वालों ने जब भी, मिलकर कदम बढ़ाया
सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया
फ़ौलादी हैं सीने अपने, फ़ौलादी हैं बाँहें
हम चाहें तो चट्टानों में पैदा कर दें राहें
साथी हाथ बढ़ाना।

प्रसंग 1
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तिका वसंत भाग-1 में संकलित 'साथी हाथ बढ़ाना' गीत से ली गई हैं। इसके रचनाकार 'साहिर लुधियानवी' हैं। इन पंक्तियों में कवि ने सबको एक होकर कार्य करने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या 1
कवि के अनुसार हम सबको साथ मिलकर काम करना चाहिए। यदि कार्य को करते हुए पहला साथी थक जाता है, तो हमें तुरन्त उसके साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर चलना चाहिए। मिलकर कार्य करने से सभी कार्य आसान हो जाते हैं। कवि …

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