वाक्य
वाक्य की परिभाषा
दो या दो से अधिक शब्दों के सार्थक समूह को, जिसका पूरा-पूरा अर्थ निकलता है, उसे वाक्य कहते हैं।
उदाहरण −
(क) गाती सीता है गाना।
(ख) सीता गाना गाती है।
पहले वाक्य में शब्दों के इस समूह को हम वाक्य नहीं कह सकते हैं। क्योंकि यह व्यवस्थित (सजा हुआ) नहीं है। लेंकिन यदि हम दूसरे वाक्य पर ध्यान दें तो यह सही ढंग से प्रस्तुत किया गया है जिसका सार्थक अर्थ निकलता है, अत: यह वाक्य है।
वाक्य रचना के नियम -
किसी भी वाक्य के निर्माण करने का एक नियम होता है, जिसे हम इस प्रकार समझ सकते हैं -
कर्ता + क्रिया + कर्म + विशेषण
दो या दो से अधिक शब्दों के सार्थक समूह को, जिसका पूरा-पूरा अर्थ निकलता है, उसे वाक्य कहते हैं।
उदाहरण −
(क) गाती सीता है गाना।
(ख) सीता गाना गाती है।
पहले वाक्य में शब्दों के इस समूह को हम वाक्य नहीं कह सकते हैं। क्योंकि यह व्यवस्थित (सजा हुआ) नहीं है। लेंकिन यदि हम दूसरे वाक्य पर ध्यान दें तो यह सही ढंग से प्रस्तुत किया गया है जिसका सार्थक अर्थ निकलता है, अत: यह वाक्य है।
वाक्य रचना के नियम -
किसी भी वाक्य के निर्माण करने का एक नियम होता है, जिसे हम इस प्रकार समझ सकते हैं -
कर्ता + क्रिया + कर्म + विशेषण
वाक्य के अंग/ भाग/ खंण्ड -
वाक्य निर्माण के लिए कर्ता तथा क्रिया का होना आवश्यक है। ये दोनों ही वाक्य के अंग हैं। इनके बिना वाक्य पूरा नहीं हो सकता है।
उदाहरण -
(क) कमला बाज़ार जाती है।
(ख) रमेश स्कूल जाता है।
इन दोनों ही वाक्यों में कमला तथा रमेश कर्ता हैं, जाती है और जाता है क्रिया है तथा बाज़ार और स्कूल क्रिया विशेषण हैं।
इसके आधार पर हम कह सकते हैं कि वाक्य के दो अंग हैं -
(क) उद्देश्य
(ख) विधेय
(क) उद्देश्य -
इसके अन्तर्गत वाक्य का कर्ता तथा कर्ता के विशेषण आते हैं।
(ख) विधेय -
इसके अन्तर्गत कर्म तथा कर्म विशेषण, क्रिया तथा क्रिया विशेषण आते हैं। कर्ता के विषय में कहे गए शब्द इसके अन्तर्गत आते ह…
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