Select Board & Class

Login

संवाद लेखन

संवाद लेखन

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह समाज में रहता है और लोगों के साथ बातचीत करके संबंध स्थापित करता है। बातचीत के माध्यम से ही वह नए मित्र, पड़ोसी आदि बनाता है। अपने रिश्तेदारों तथा परिवार के साथ भी बातचीत करके वह अपने सुख-दुख बाँटता हैै। प्रायः हर मनुष्य अपने मित्रों या संबंधियों से बातचीत करता है। जो बात दो या तीन लोगों के मध्य होती है, उसे ही बातचीत कहा जाता हैै। बातचीत में किसी प्रकार के दिखावे तथा बनावट का स्थान नहीं होता है। इसमें एक के कहने के बाद ही दूसरा व्यक्ति अपनी बात कहता है। दूसरे की बात समाप्त होने पर पहला व्यक्ति फिर से बोलता है। इसी शैली को संवाद शैली कहा जाता है। दो लोगों के मध्य बातचीत को लिखना ही संवाद लेखन कहलाता है। संवाद लेखन में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। उदाहरण के लिए-

1. संवाद छोटे और प्रभावी होने चाहिए।

2. बोलते समय शुद्धता तथा स्पष्टता का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।

3. संवाद में सहजता होना आवश्यक है।

4. संवाद की भाषा आम बोलचाल की होनी चाहिए।

5. आपसी बातचीत में क्रमबद्धता होनी चाहिए।

6. जिस विषय पर बातचीत हो रही है, उसका नतीजा अवश्य दिया जाना चाहिए।

7. संवाद पात्रों के अनुरूप होने चाहिए।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह समाज में रहता है और लोगों के साथ बातचीत करके संबंध स्थापित करता है। बातचीत के माध्यम से ही वह नए मित्र, पड़ोसी आदि बनाता है। अपने रिश्तेदारों तथा परिवार के साथ भी बातचीत करके वह अपने सुख-दुख बाँटता हैै। प्रायः हर मनुष्य अपने मित्रों या संबंधियों से बातचीत करता है। जो बात दो या तीन लोगों के मध्य होती है, उसे ही बातचीत कहा जाता हैै। बातचीत में किसी प्रकार के दिखावे तथा बनावट का स्…

To view the complete topic, please

What are you looking for?

Syllabus