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पद-परिचय

पद-परिचय

पद-परिचय

1. शब्द का परिचय- एक शब्द का निर्माण व्याकरण की सबसे छोटी इकाई अर्थात वर्णों के परस्पर संयोग से बनाता है। वर्णों के सार्थक समूह ही सही मायने में शब्द कहलाता है। 'शब्द' भाषा का मूल होता है। एक शब्द जब किसी वाक्य में प्रयुक्त नहीं होता है, तब वह स्वतंत्र होता है। उसका यही स्वतंत्र स्वरुप 'शब्द' कहलाता है। इनके बिना कोई वाक्य नहीं बन सकता है। इस आधार पर इसकी परिभाषा इस प्रकार है-

परिभाषा- सार्थक वर्णों का समूह शब्द कहलाता है।

2. पद का परिचय- शब्द वाक्य का मुख्य स्रोत है। इनके बिना वाक्य की कल्पना नहीं की जा सकती है।जब इसका (शब्द) वाक्य में प्रयोग होता है, तब यह पद कहलाता है। वाक्य में पद कहलाने के पीछे भी  एक कारण है। वह इस प्रकार है; एक शब्द का जब वाक्य में प्रयोग होता है, तो वह व्याकरण के नियमों से पूरी तरह बंध जाता है और यहाँ आकर उसका अस्तित्व बदल जाता है। नियमों में बंधा शब्द पद का रूप धारण कर लेता है। अब वह स्वतंत्र नहीं होता। अब वह वाक्य के क्रिया, लिंग, वचन और कारक के नियमों से अनुशासित होता है। इस आधार पर इसकी परिभाषा इस प्रकार है-

परिभाषा- वाक्य में प्रयोग होने वाले शब्द 'पद' कहलाते हैं।

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