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अनुच्छेद संग्रह

अनुच्छेद लेखन - परिचय

अनुच्छेद-लेखन

किसी  भी एक वाक्य, सूक्ति या काव्य-पंक्ति के विषय में कुछ पंक्तियाँ लिखना 'अनुच्छेद-लेखन' कहलाता है। एक अनुच्छेद में एक विचार या भाव का ही विस्तार किया जाता है। यह निबंध का ही छोटा स्वरूप है। निबंध के अंदर विषय पर विस्तार से लिखा जाता है। इसे दोहे, पदों, उदाहरणों इत्यादि के द्वारा स्पष्ट किया जाता है। इन्हीं सबको अनुच्छेद में बहुत ही संक्षेप रूप में लिखा जाता है।

अनुच्छेद लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

1. अनुच्छेद सीमित शब्दों में लिखा जाता है।

2. यह मूल विषय पर हीं केन्द्रित रहते हैं, अपने आप में पूर्ण रहते हैं।

3. इनमें भूमिका और निष्कर्ष देने की आवश्यकता नहीं होती है।

4. इनमें अनावश्यक प्रसंग नहीं होने चाहिए।

5. अनुच्छेदों के बीच तारतभ्य तथा क्रमबद्धता होनी चाहिए।

6. विषय का फैलाव नहीं होना चाहिए।

7. रोचकता और मन-रमाने की शक्ति होनी चाहिए।

8. विषय को 10-12 वाक्यों या 90-100 शब्दों में बाँधना चाहिए।

9. वाक्य छोटे व आपस में जुड़े होने चाहिए।

10. उदाहरणों के केवल संकेत मात्र दिए जाने चाहिए, इनका विस्तार नहीं होना चाहिए।

अनुच्छेद-लेखन

किसी  भी एक वाक्य, सूक्ति या काव्य-पंक्ति के विषय में कुछ पंक्तियाँ लिखना 'अनुच्छेद-लेखन' कहलाता है। एक अनुच्छेद में एक विचार या भाव का ही विस्तार किया जाता है। यह निबंध का ही छोटा स्वरूप है। निबंध के अंदर विषय पर विस्तार से लिखा जाता है। इसे दोहे, पदों, उदाहरणों इत्यादि के द्वारा स्पष्ट किया जाता है। इन्हीं सबको अनुच्छेद में बहुत ही संक्षेप रूप में लिखा जाता है।

अनुच्छेद लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

1. अनुच्छेद सीमित शब्दों में लिखा जाता है।

2. यह मूल विषय पर हीं केन्द्रित रहते हैं, अपने आप में पूर्ण रहते हैं।

3. इनमें भूमिका और निष्कर्ष देने की आवश्यकता नहीं होती है।

4. इनमें अनावश्यक प्रसंग नहीं होने चाहिए।

5. अनुच्छेदों के बीच तारतभ्य तथा क्रमबद्धता होनी चाहिए।

6. विषय का फैलाव नहीं होना चाहिए।

7. रोचकता और मन-रमाने की शक्ति होनी चाहिए।

8. विषय को 10-12 वाक्यों या 90-100 शब्दों में बाँधना चाहिए।

9. वाक्य छोटे व आपस में जुड़े होने चाहिए।

10. उदाहरणों के केवल संकेत मात्र दिए जाने चाहिए, इनका विस्तार नहीं होना चाहिए।

हमारे जीवन में वैसे तो कुछ न कुछ घटता ही रहता है परन्तु एक ऐसी घटना है, जिसने मेरे मन पर विशेष प्रभाव छोड़ा था। मैं उस घटना को कभी भूला नहीं पाया। बात उस समय कि है जब मैं सातवीं कक्षा में पढ़ता था। हम सारे मित्र एक दिन विद्यालय से घर साथ जा रहे थे। विद्यालय के समीप ही एक सड़क थी। विद्यालय के समीप होने के कारण सड़क में गाड़ियों की आवाज़ाही कम ही हुआ करती थी इसलिए लोग उस सड़क में चलते हुए या उसे पार करते हुए कम ही सावधानी बरता करते थे। कुछ दूर चलने पर हमने देखा एक महिला सड़क पार कर रही थीं। दूर से एक कार तेज़ी से आ रही थी। महिला ने सड़क के दोनों ओर देखा ही नहीं और लापरवाही से सड़क पार करने लगीं। कार की गति से ज्ञात हो रहा था कि चालाक को कार चलाने में किसी तरह की कठिनाई आ रही है। वह लगातार होर्न बजा रहा था। परन्तु वह महिला अपनी ही दुनिया में मग्न थीं। कार चालाक ने बड़ा प्रयास किया कि महिला को समय रहते सूचित किया जा सके परन्तु ऐसा नहीं हो पाया। कार चालाक ने महिला को बचाने के प्रयास में कार को इधर-उधर घुमाने का प्रयास किया। इस प्रयास में उसकी कार हमारे विद्यालय की दीवार से जा टकराई। टक्कर इतनी ज़बरदस्त थी कि कार दीवार तोड़कर विद्यालय के अंदर जाकर रूकी। इस टक्कर में कार चालक बुरी तरह घायल हो गया। उसे गंभीर चोटें आईं थीं। संयोग से पास ही अस्पताल होने के कारण कार चालक को चिकित्सा सुविधा समय रहते उपलब्ध करवाई जा सकी और उसकी जान बच गई। बाद में पता चला कि महिला कानों से सुन नहीं सकती थी। इस घटना ने मेरे होश उड़ा दिए। उस दिन के बाद मैंने सड़क पार करते हुए कभी लापरवाही नहीं बरती। यह घटना मेरे लिए अविस्मरणीय घटना बन गई।

हमारे जीवन में वैसे तो कुछ न कुछ घटता ही रहता है परन्तु एक ऐसी घटना है, जिसने मेरे मन पर विशेष प्रभाव छोड़ा था। मैं उस घटना को कभी भूला नहीं पाया। बात उस समय कि है जब मैं सातवीं कक्षा में पढ़ता था। हम सारे मित्र एक दिन विद्यालय से घर साथ जा रहे थे। विद्यालय के समीप ही एक सड़क थी। विद्यालय के समीप होने के कारण सड़क में गाड़ियों की आवाज़ाही कम ही हुआ करती थी इसलिए लोग उस सड़क में चलते हुए या उसे पार करते हुए कम ही सावधानी बरता करते थे। कुछ दूर चलने पर हमने देखा एक महिला सड़क पार कर रही थीं। दूर से एक कार तेज़ी से आ रही थी। महिला ने सड़क के दोनों ओर देखा ही नहीं और लापरवाही से सड़क पार करने लगीं। कार की गति से ज्ञात हो रहा था कि चालाक को कार चलाने में किसी तरह की कठिनाई आ रही है। वह लगातार होर्न बजा रहा था। परन्तु वह महिला अपनी ही दुनिया में मग्न थीं। कार चालाक ने बड़ा प्रयास किया कि महिला को समय रहते सूचित किया जा सके परन्तु ऐसा नहीं हो पाया। कार चालाक ने महिला को बचाने के प्रयास में कार को इधर-उधर घुमाने का प्रयास किया। इस प्रयास में उसकी कार हमारे विद्यालय की दीवार से जा टकराई। टक्कर इतनी ज़बरदस्त थी कि कार दीवार तोड़कर विद्यालय के अंदर जाकर रूकी। इस टक्कर में कार चालक बुरी तरह घायल हो गया। उसे गंभीर चोटें आईं थीं। संयोग से पास ही अस्पताल होने के कारण कार चालक को चिकित्सा सुविधा समय रहते उपलब्ध करवाई जा सकी और उसकी जान बच गई। बाद में पता चला कि महिला कानों से सुन नहीं सकती थी। इस घटना ने मेरे होश उड़ा दिए। उस दिन के बाद मैंने सड़क पार करते हुए कभी लापरवाही नहीं बरती। यह घटना मेरे लिए अविस्मरणीय घटना बन गई।

'आतंकवाद' का नाम सुनते ही मन में दहशत जाग उठती है। आतंकवाद विश्व शान्ति के लिए सबसे बड़ी बाधा है। आज पूरा विश्व आतंकवाद रूपी बीमारी के आगे बेबस है। यह विश्व के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। समय बदल रहा है, लोगों की सोच बदल रही है परन्तु कुछ असामाजिक तत्वों की सोच वहीं की वहीं अटकी हुई है। किसी भी देश की आर्थिक व्यवस्था और उसकी सुरक्षा पर एक सवालिए निशान की भांति है, आतंकवाद। पहले इसका स्तर छोटे-छोटे भू-भागों के लिए लड़ने वाले वर्गों तक सीमित था। परन्तु अब यह समस्त विश्व में फैल रहा है। आतंकवाद आंतरिक विद्रोह से जन्म लेता है। जब यह देश से बाहर व्यापक स्तर पर फैल जाता है, तो आतंकवाद का रूप धारण कर लेता है। हिंसा का भयानक रूप आतंकवाद है। मानवता, भाईचारा, प्रेम, सद्भावना, और शान्ति जैसी भावनाओं का इनके लिए कोई मोल नहीं है। बस अपनी मांगों को पूरा करने के लिए हिंसा करना इनके लिए आम बात है। मानवता इनके भयंकर इरादों के आगे दम तोड़ती नज़र आ रही है। आतंकवाद रूपी बीमारी को राजनिति में भी भुनाया जाता है। एक गंदी राजनीति और भयंकर अपराधियों के परस्पर संयोग से आतंकवाद नाम की बीमारी उत्पन्न होती है। इनका मुख्य हथियार है, डर। लोगों के ह्दय में हिंसा के माध्यम से डर पैदा करो और उनमें राज करो। यह लोकतंत्र का सम्मान नहीं करता, यह तो गोली के आधार पर शासन करने में विश्वास रखता है। स्वतंत्रता और अपनी अनुचित मांगों को रक्त बहाकर मनवाने में विश्वास रखता है। इसके लिए दया, ममता और अहिंसा जैसे शब्द खोखले हैं। भारत में आतंकवाद की आए दिन वीभत्स घटनाएँ होती रहती हैं। आतंकवादी संगठन भारत की एकता और अखण्डता को तोड़कर अपने भयानक इरादे पूरे करना चाहते हैं। अमेरिका की वर्ल्ड ट्रेड सेंटर इमारत इनके भयानक कृत्यों का उदाहरण हैं, जहाँ दस हज़ार लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। इसके विरूद्ध आज पूरे विश्व को एक होकर खड़े होने की आवश्यकता है, तभी इस बीमारी से मुक्त हुआ जा सकेगा।

'आतंकवाद' का नाम सुनते ही मन में दहशत जाग उठती है। आतंकवाद विश्व शान्ति के लिए सबसे बड़ी बाधा है। आज पूरा विश्व आतंकवाद रूपी बीमारी के आगे बेबस है। यह विश्व के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। समय बदल रहा है, लोगों की सोच बदल रही है परन्तु कुछ असामाजिक तत्वों की सोच वहीं की वहीं अटकी हु…

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