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Question 1:

भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में किस बात का डर था?

Answer:

लेखक अपने साथियों के साथ झरबेरी के बेर तोड़ रहा था उसी समय गाँव के एक आदमी ने ज़ोर से पुकारकर कहा कि उनका भाई बुला रहा है, जल्दी घर जाओ। इस पर लेखक डर गया कि भाई ने क्यों बुलाया है? उससे क्या कसूर हो गया है? कहीं बेर खाने पर न नाराज़ हों। उसे मार पड़ेगी और इसी पिटने के भय से वह सहमा-सहमा घर पहुँचा।

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Question 2:

मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला क्यों फेंकती थी?

Answer:

बच्चे स्वभाव से नटखट होते हैं। मक्खनपुर पढ़ने जाने के रास्ते में एक सूखा कुआँ था। उसमें एक साँप गिर गया था। अपने नटखट स्वभाव के कारण साँप को तंग करने और उसकी फुसकार सुनने के लिए बच्चे कुएँ में ढेले फेंका करते थे। उसकी आवाज़ सुनने के बाद अपनी आवाज़ की प्रतिध्वनि सुनने की इच्छा उनके मन में रहती थी।

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Question 3:

'साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लगा या नहीं, यह बात अब तक स्मरण नहीं' - यह कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है?

Answer:

लेखक के साथ यह घटना 1908 में घटी। उसने यह बात अपनी माँ को 1915 में सात साल बाद बताई और लिखा शायद और भी बाद में होगा, इसलिए लेखक ने कहा कि उसे याद नहीं है कि ढेला फेंकने पर साँप को लगा या नहीं, उसने फुसकार मारी या नहीं क्योंकि इस समय लेखक बुरी तरह डर गया था। चिट्ठियाँ कुएँ में गिर गई थी, जिन्हें उनके भाई ने डाकखाने में डालने के लिए दी थी। इससे उसकी घबराहट झलकती है।

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Question 4:

किन कारणों से लेखक ने चिट्ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया?

Answer:

चिट्ठियाँ लेखक के बड़े भाई ने डाकखाने में डालने के लिए दी थी। लेखक अपने बड़े भाई से बहुत डरते थे। कुएँ में चिट्ठियाँ गिरने से उन्हें अपनी पिटाई का डर था और वह झूठ भी नहीं बोल सकता था। इसलिए भी कि उसे अपने डंडे पर भी पूरा भरोसा था। इन्हीं सब कारणों से लेखक ने कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने का निर्णय किया।

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Question 5:

साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या-क्या युक्तियाँ अपनाईं?

Answer:

साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने कई युक्तियाँ अपनाईं। जैसे - साँप के पास पड़ी चिट्ठियों को उठाने के लिए डंडा बढ़ाया, साँप उस पर कूद पड़ा इससे डंडा छूट गया लेकिन इससे साँप का आसन बदल गया और लेखक चिट्ठियाँ उठाने में सफल रहा पर डंडा उठाने के लिए उसने कुएँ की बगल से एक मुट्ठी मिट्टी लेकर साँप के दाई ओर फेंकी कि उसका ध्यान उस ओर चला जाए और दूसरे हाथ से डंडा खींच लिया। डंडा बीच में होने से साँप उस पर वार नहीं कर पाया।

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Question 6:

कुएँ में उतरकर चिट्ठियों को निकालने संबंधी साहसिक वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए।

Answer:

भाई द्वारा दी गई चिट्ठियाँ लेखक से कुएँ में गिर गई थी और उन्हें उठाना भी ज़रुरी था। लेकिन कुएँ में साँप था, जिसके काटने का डर था। परन्तु लेखक ने कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने का निर्णय लिया। उसने अपनी और अपने भाई की धोतियाँ कुछ रस्सी मिलाकर बाँधी और धोती की सहायता से वह कुएँ में उतरा। अभी 4-5 गज ऊपर ही था कि साँप फन फैलाए हुए दिखाई दिया। उसने सोचा धोती से लटककर साँप को मारा नहीं जा सकता और डंडा चलाने के लिए पर्याप्त जगह नहीं थी। लेखक ने डंडे से चिट्ठियाँ सरकाने का प्रयत्न किया तो साँप डंडे पर लिपट गया। साँप का पिछला हिस्सा लेखक के हाथ को छू गया तो उसने डंडा पटक दिया। उसका पैर भी दीवार से हट गया और धोती से लटक गया। फिर हिम्मत करके उसने कुएँ की मिट्टी साँप के एक ओर फेंकी। डंडे के गिरने और मिट्टी फेंकने से साँप का आसन बदल गया और लेखक चिट्ठियाँ उठाने में सफल रहा। धीरे से डंडा भी उठा लिया और कुएँ से बाहर आ गया। वास्तव में यह एक साहसिक कार्य था।

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Question 7:

इस पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल-सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है?

Answer:

1. मौसम अच्छा होते ही खेतों में जाकर फल तोड़कर खाना।

2. स्कूल जाते समय रास्ते में शरारतें करना।

3. रास्ते में आए कुएँ, तालाब, पानी से भरे स्थानों पर पत्थर फेंकना, पानी में उछलना।

4. जानवरों को तंग करते हुए चलना।

5. अपने आपको सबसे बहादुर समझना आदि अनेकों बाल सुलभ शरारतों का पता चलता है।

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Question 8:

'मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उल्टी निकलती हैं' का आशय स्पष्ट कीजिए।

Answer:

मनुष्य अपनी स्थिति का सामना करने के लिए स्वयं ही अनुमान लगाता है और अपने हिसाब से भावी योजनाएँ भी बनाता है। परन्तु ये अनुमान और योजनाएँ पूरी तरह से ठीक उतरे ऐसा नहीं होता। कई बार यह गलत भी हो जाती हैं। जो मनुष्य चाहता है, उसका उल्टा हो जाता है। अत: कल्पना और वास्तविकता में हमेशा अंतर होता है।

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Question 9:

'फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है' − पाठ के संदर्भ में इस पंक्ति का आश्य स्पष्ट कीजिए।

Answer:

लेखक जब कुएँ में उतरा तो वह यह सोचकर उतरा था कि या तो वह चिट्ठियाँ उठाने में सफल होगा या साँप द्वारा काट लिया जाएगा। फल की चिंता किए बिना वह कुएँ में उतर गया और अपने दृढ़ विश्वास से सफल रहा। अत: मनुष्य को कर्म करना चाहिए। फल देने वाला ईश्वर होता है। मनचाहा फल मिले या नहीं यह देने वाले की इच्छा पर निर्भर करता है। लेकिन यह भी कहा जाता है, जो दृढ़ विश्वास व निश्चय रखते हैं, ईश्वर उनका साथ देता है।



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