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Question 1:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤-दॠपà¤à¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ दà¥à¤à¤¿à¤ −
à¤à¤ धरà¥à¤® à¤à¥ नाम पर à¤à¥à¤¯à¤¾-à¤à¥à¤¯à¤¾ हॠरहा हà¥?
Answer:
आज धर्म के नाम पर लोगों को भड़काया जा रहा है, उन्हें ठगा जा रहा है और दंगे फसाद भी हो रहे हैं।
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Question 2:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤-दॠपà¤à¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ दà¥à¤à¤¿à¤ −
धरà¥à¤® à¤à¥ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° à¤à¥ रà¥à¤à¤¨à¥ à¤à¥ लिठà¤à¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¦à¥à¤¯à¥à¤ हà¥à¤¨à¥ à¤à¤¾à¤¹à¤¿à¤?
Answer:
धर्म के व्यापार को रोकने के लिए दृढ़ विश्वास और विरोधियों के प्रति साहस से काम लेना चाहिए। कुछ लोग धुर्तता से काम लेते हैं, उनसे बचना चाहिए और बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए।
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Question 3:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤-दॠपà¤à¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ दà¥à¤à¤¿à¤ −
लà¥à¤à¤ à¤à¥ ठनà¥à¤¸à¤¾à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¨à¤¤à¤¾ à¤à¤à¤¦à¥à¤²à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¥à¤¨ सा दिन बà¥à¤°à¤¾ था?
Answer:
लेखक के अनुसार स्वाधीनता आंदोलन का वह दिन सबसे बुरा था जिस दिन स्वाधीनता के क्षेत्र में खिलाफत, मुल्ला मौलवियों और धर्माचार्यों को स्थान दिया जाना आवश्यक समझा गया। इस प्रकार स्वाधीनता आंदोलन ने एक कदम और पीछे कर लिया जिसका फल आज तक भुगतना पड़ रहा है।
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Question 4:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤-दॠपà¤à¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ दà¥à¤à¤¿à¤ −
साधारण सॠसाधारण à¤à¤¦à¤®à¥ तठà¤à¥ दिल मà¥à¤ à¤à¥à¤¯à¤¾ बात ठà¤à¥à¤à¥ तरह à¤à¤° à¤à¤° बà¥à¤ ॠहà¥?
Answer:
साधारण आदमी धर्म के नाम पर उबल पड़ता है, चाहे उसे धर्म के तत्वों का पता न हो क्योंकि उनको यह पता है कि धर्म की रक्षा पर प्राण तक दे देना चाहिए।
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Question 5:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤-दॠपà¤à¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ दà¥à¤à¤¿à¤ −
धरà¥à¤® à¤à¥ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤ à¤à¤¿à¤¹à¥à¤¨ à¤à¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤?
Answer:
शुद्ध आचरण और सदाचार धर्म के स्पषट चिह्न हैं।
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Question 1:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (25-30 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
à¤à¤²à¤¤à¥-पà¥à¤°à¤à¤¼à¥ लà¥à¤ धरà¥à¤® à¤à¥ नाम पर à¤à¥à¤¯à¤¾ à¤à¤°à¤¤à¥ हà¥à¤?
Answer:
चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर लोगों को मुर्ख बनाते हैं और अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं, लोगों की शक्तियों और उनके उत्साह का दुरूपयोग करते हैं। साधारण लोग धर्म का सही अर्थ और उसके तत्वों को समझ नहीं पाते और उनकी इस अज्ञानता का लाभ चालाक लोग उठा लेते हैं। उन्हें आपस में ही लड़ाते रहते हैं।
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Question 2:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (25-30 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
à¤à¤¾à¤²à¤¾à¤ लà¥à¤ साधारण à¤à¤¦à¤®à¥ à¤à¥ à¤à¤¿à¤¸ ठवसà¥à¤¥à¤¾ à¤à¤¾ लाठà¤à¤ ातॠहà¥à¤?
Answer:
चालाक लोग साधारण आदमी की धर्म भीरूता, अज्ञानता का लाभ उठाते हैं। साधारण आदमी उनके बहकावे में आ जाते हैं। चालाक आदमी उसे जिधर चाहे उसे मोड़ देता है और अपना काम निकाल लेता है। साथ ही उस पर अपना प्रभुत्व भी जमा लेता है।
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Question 3:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (25-30 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
à¤à¤¨à¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾ समय à¤à¤¿à¤¸ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤° à¤à¥ धरà¥à¤® à¤à¥ नहà¥à¤ à¤à¤¿à¤à¤¨à¥ दà¥à¤à¤¾?
Answer:
आने वाला समय दिखावे वाले धर्म को नहीं टिकने देगा। नमाज पढ़ना, शंख बजाना, नाक दबाना यह धर्म नहीं है, शुद्ध आचरण और सदाचार धर्म के लक्षण हैं। पूजा के ढ़ोंग का धर्म आगे नहीं टिक पाएगा। ऐसी पूजा तो ईश्वर को रिश्वत की तरह होती है।
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Question 4:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (25-30 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
à¤à¥à¤¨-सा à¤à¤¾à¤°à¥à¤¯ दà¥à¤¶ à¤à¥ सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¨à¤¤à¤¾ à¤à¥ विरà¥à¤¦à¥à¤§ समà¤à¤¾ à¤à¤¾à¤à¤à¤¾?
Answer:
हमारा देश स्वाधीन है। इसमें अपने-अपने धर्म को अपने ढ़ँग से मनाने की पूरी स्वतंत्रता है। यदि कोई इसमें रोड़ा बनता है अथवा टाँग अड़ाता है तो वह कार्य देश की स्वाधीनता के विरूद्ध समझा जाएगा।
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Question 5:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (25-30 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
पाशà¥à¤à¤¾à¤¤à¥à¤¯ दà¥à¤¶à¥à¤ मà¥à¤ धनॠà¤à¤° निरà¥à¤§à¤¨ लà¥à¤à¥à¤ मà¥à¤ à¤à¥à¤¯à¤¾ ठà¤à¤¤à¤° हà¥?
Answer:
पाश्चात्य देशों में धनी और निर्धन के बीच गहरी खाई है। वहाँ धनी लोग निर्धन को चूसना चाहते हैं। उनसे पूरा काम लेकर ही वह धनी हुए हैं। वे धन का लोभ दिखाकर उन्हें अपने वश में कर लेते हैं और मनमाने तरीके से काम लेते हैं। धनियों के पास पूरी सुविधाएँ होती हैं पर गरीब के पास केवल खाने-रहने का मामूली साधन होता है।
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Question 6:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (25-30 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
à¤à¥à¤¨-सॠलà¥à¤ धारà¥à¤®à¤¿à¤ लà¥à¤à¥à¤ सॠठधिठठà¤à¥à¤à¥ हà¥à¤?
Answer:
जो लोग खुद को धार्मिक कहते हैं परन्तु उनका आचरण, व्यवहार अच्छा नहीं है। उनसे वे लोग अच्छे हैं जो नास्तिक हैं, धर्म को बहुत जटिलता से नहीं मानते परन्तु आचरण और व्यवहार में बहुत अच्छे हैं। दुसरों के सुख-दुख का मान रहता है, मदद करते हैं और सीधे सज्जन या अज्ञान लोगों को मूर्ख नहीं बनाते हैं।
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Question 1:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (50-60 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
धरà¥à¤® à¤à¤° à¤à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¥ नाम पर à¤à¤¿à¤ à¤à¤¾à¤¨à¥ वालॠà¤à¥à¤·à¤£ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° à¤à¥ à¤à¥à¤¸à¥ रà¥à¤à¤¾ à¤à¤¾ सà¤à¤¤à¤¾ हà¥?
Answer:
चालाक लोग धर्म और ईमान के नाम पर सामान्य लोगों को बहला फुसला कर उनका शोषण करते हैं तथा अपने स्वार्थ की पूर्ति करते हैं। वे धर्म के नाम पर दंगे फसाद कराते हैं, लोगों को दूसरे लोगों से लड़ाते हैं, लोगों की शक्ति का दुरूपयोग करते हैं। इस प्रकार धर्म की आड़ में एक व्यापार जैसा चल रहा है। इसे रोकना अतिआवश्यक है। इसके लिए लोगों को धर्म के अर्थ और तत्वों को सही तरह समझाना व उन्हें जागरूक करना आवश्यक है। लोगों को शिक्षित करके साहस और दृढ़ता से धर्म गुरूओं की पोल खोलनी चाहिए।
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Question 2:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (50-60 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
'बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ पर मार' à¤à¥ सà¤à¤¬à¤à¤§ मà¥à¤ लà¥à¤à¤ à¤à¥ à¤à¥à¤¯à¤¾ विà¤à¤¾à¤° हà¥à¤?
Answer:
'बुद्धि पर मार' का अर्थ है बुद्धि पर पर्दा डालकर उनके सोचने समझने की शक्ति को काबू में करना। लेखक का विचार है कि विदेश में धन की मार है तो भारत में बुद्धि की मार। यहाँ बुद्धि को भ्रमित किया जाता है। जो स्थान ईश्वर और आत्मा का है, वह अपने लिए ले लिया जाता है। फिर इन्हीं नामों अर्थात धर्म, ईश्वर, ईमान, आत्मा के नाम पर अपने स्वार्थ की सिद्धी के लिए आपस में लड़ाया जाता है।
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Question 3:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (50-60 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
लà¥à¤à¤ à¤à¥ दà¥à¤·à¥à¤à¤¿ मà¥à¤ धरà¥à¤® à¤à¥ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ à¤à¥à¤¸à¥ हà¥à¤¨à¥ à¤à¤¾à¤¹à¤¿à¤?
Answer:
लेखक की दृष्टि में धर्म का निजी मामला होता है। प्रत्येक व्यक्ति अपने अनुसार धर्म को मानता है और उसे इसकी छूट भी होनी चाहिए। उसके अनुसार शंख, घंटा बजाना, ज़ोर-ज़ोर से नमाज़ पढ़ना ही केवल धर्म नहीं है। शुद्ध आचरण और सदाचार धर्म के स्पष्ट चिह्न हैं। यदि पूजा पाठ करने के साथ ये नहीं हैं तो धर्म नहीं है। बिना पूजा किए भी यदि ये व्यवहार हैं तो वह व्यक्ति धार्मिक कहलाने योग्य है।
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Question 4:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (50-60 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
महातà¥à¤®à¤¾ à¤à¤¾à¤à¤§à¥ à¤à¥ धरà¥à¤®-सà¤à¤¬à¤à¤§à¥ विà¤à¤¾à¤°à¥à¤ पर पà¥à¤°à¤à¤¾à¤¶ डालिà¤à¥¤
Answer:
महात्मा गाँधी अपने जीवन में धर्म को महत्वपूर्ण स्थान देते थे। वे सर्वत्र धर्म का पालन करते थे। धर्म के बिना एक पग भी चलने को तैयार नहीं होते थे। उनके धर्म के स्वरूप को समझना आवश्यक है। धर्म से महात्मा गांधी का मतलब, धर्म ऊँचे और उदार तत्वों का ही हुआ करता है। वे धर्म की कट्टरता के विरोधी थे। प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह धर्म के स्वरूप को भलि-भाँति समझ ले।
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Question 5:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (50-60 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
सबà¤à¥ à¤à¤²à¥à¤¯à¤¾à¤£ हà¥à¤¤à¥ ठपनॠà¤à¤à¤°à¤£ à¤à¥ सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¨à¤¾ à¤à¥à¤¯à¥à¤ à¤à¤µà¤¶à¥à¤¯à¤ हà¥?
Answer:
सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना इसलिए आवश्यक है क्योंकि जब हम खुद को ही नहीं सुधारेंगे, दूसरों के साथ अपना व्यवहार सही नहीं रखेंगे तब तक दूसरों से क्या आशा रख सकते हैं। यदि हम धार्मिक बनेंगे अर्थात अपना व्यवहार अच्छा, सदाचार पूर्ण रखेंगे तो दूसरों को समझाना भी आसान हो जाएगा और धर्म का सही अर्थ प्रस्तुत किया जा सकेगा।
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Question 1:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ à¤à¤¾ à¤à¤¶à¤¯ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤ à¤à¥à¤à¤¿à¤ −
à¤à¤¬à¤² पड़नॠवालॠसाधारण à¤à¤¦à¤®à¥ à¤à¤¾ à¤à¤¸à¤®à¥à¤ à¤à¥à¤µà¤² à¤à¤¤à¤¨à¤¾ हॠदà¥à¤· हॠà¤à¤¿ वह à¤à¥à¤ à¤à¥ नहà¥à¤ समà¤à¤¤à¤¾-बà¥à¤à¤¤à¤¾ à¤à¤° दà¥à¤¸à¤°à¥ लà¥à¤ à¤à¤¸à¥ à¤à¤¿à¤§à¤° à¤à¥à¤¤ दà¥à¤¤à¥ हà¥à¤, à¤à¤§à¤° à¤à¥à¤¤ à¤à¤¾à¤¤à¤¾ हà¥à¥¤
Answer:
कुछ लोग धर्म में विशेष आस्था रखते हैं। धर्म के बारे में कुछ नहीं जानते परन्तु अंधविश्वास रखते हैं जिससे उसके खिलाफ़ कुछ भी होता है तो वह क्रोधित हो जाते हैं और इसका फायदा चालाक लोग, स्वार्थी लोग उठा लेते हैं। उनसे अपना स्वार्थ सिद्ध कराते हैं और वे भी उसमें बिना विचारे जुट जाते हैं।
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Question 2:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ à¤à¤¾ à¤à¤¶à¤¯ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤ à¤à¥à¤à¤¿à¤ −
यहाठहॠबà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ पर परदा डालà¤à¤° पहलॠà¤à¤¶à¥à¤µà¤° à¤à¤° à¤à¤¤à¥à¤®à¤¾ à¤à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ ठपनॠलिठलà¥à¤¨à¤¾, à¤à¤° फिर धरà¥à¤®, à¤à¤®à¤¾à¤¨, à¤à¤¶à¥à¤µà¤° à¤à¤° à¤à¤¤à¥à¤®à¤¾ à¤à¥ नाम पर ठपनॠसà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥-सिदà¥à¤§à¤¿ à¤à¥ लिठलà¥à¤à¥à¤ à¤à¥ लड़ाना-à¤à¤¿à¤¡à¤¼à¤¾à¤¨à¤¾à¥¤
Answer:
भारत के धर्म के कुछ महान लोग साधारण लोगों को भ्रमित कर देते हैं। वे अपना खेल, व्यापार शुरू कर देते हैं। वे अपने को ईश्वर की जगह रख देते हैं और लोगों को ईश्वर, आत्मा, धर्म, ईमान के नाम पर लड़ाते हैं, अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं तथा साधारण लोगों का दुरूपयोग कर शोषण करते हैं।
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Question 3:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ à¤à¤¾ à¤à¤¶à¤¯ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤ à¤à¥à¤à¤¿à¤ −
ठब तà¥, à¤à¤ªà¤à¤¾ पà¥à¤à¤¾-पाठन दà¥à¤à¤¾ à¤à¤¾à¤à¤à¤¾, à¤à¤ªà¤à¥ à¤à¤²à¤®à¤¨à¤¸à¤¾à¤¹à¤¤ à¤à¥ à¤à¤¸à¥à¤à¥ à¤à¥à¤µà¤² à¤à¤ªà¤à¤¾ à¤à¤à¤°à¤£ हà¥à¤à¥à¥¤
Answer:
आने वाले समय में केवल पूजा-पाठ को ही महत्व नहीं दिया जाएगा बल्कि आपके अच्छे व्यवहार को परखा जाएगा और उसे महत्व दिया जाएगा।
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Question 4:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ à¤à¤¾ à¤à¤¶à¤¯ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤ à¤à¥à¤à¤¿à¤ −
तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥ माननॠहॠसॠमà¥à¤°à¤¾ à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¤¤à¥à¤µ à¤à¤¾à¤¯à¤® नहà¥à¤ रहà¥à¤à¤¾, दया à¤à¤°à¤à¥, मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¤à¥à¤µ à¤à¥ मानà¥, पशॠबनना à¤à¥à¤¡à¤¼à¥ à¤à¤° à¤à¤¦à¤®à¥ बनॠ!
Answer:
ईश्वर का संदेश है कि दूसरों पर दया करो, ममता रखो, व्यक्ति की भावनाओं का सम्मान करो। मन में यदि हिंसक भावना हो तो वह त्याग देना चाहिए।
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Question 1:
उदाहरण के अनुसार शब्दों के विपरीतार्थक लिखिए −
1. |
सुगम |
- |
दुर्गम |
2. |
धर्म |
- |
............. |
3. |
ईमान |
- |
............. |
4. |
साधारण |
- |
............. |
5. |
स्वार्थ |
- |
............. |
6. |
दुरूपयोग |
- |
............. |
7. |
नियंत्रित |
- |
............. |
8. |
स्वाधीनता |
- |
............. |
Answer:
1. |
सुगम |
- |
दुर्गम |
2. |
धर्म |
- |
अधर्म |
3. |
ईमान |
- |
बेईमान |
4. |
साधारण |
- |
असाधारण |
5. |
स्वार्थ |
- |
निस्वार्थ |
6. |
दुरूपयोग |
- |
सदुपयोग |
7. |
नियंत्रित |
- |
अनियंत्रित |
8. |
स्वाधीनता |
- |
पराधीनता |
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Question 2:
निम्नलिखित उपसर्गों का प्रयोग करके दो-दो शब्द बनाइए −
ला, बिला, बे, बद, ना, खुश, हर, गैर
Answer:
ला - |
लाइलाज, लापरवाह |
बिला - |
बिला वजह |
बे - |
बेजान, बेकार |
बद - |
बददिमाग, बदमिज़ाज़ |
ना - |
नाकाम, नाहक |
खुश - |
खुशनसीब, खुशगवार |
हर - |
हरएक, हरदम |
गैर - |
गैरज़िम्मेदार, गैर कानूनी |
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Question 3:
उदाहरण के अनुसार 'त्व' प्रत्यय लगाकर पाँच शब्द बनाइए −
उदाहरण : देव + त्व =देवत्व
Answer:
1. |
उत्तरदायी |
+ |
त्व |
= |
उत्तरदायित्व |
2. |
महा |
+ |
त्व |
= |
महत्व |
3. |
पशु |
+ |
त्व |
= |
पशुत्व |
4 |
लघु |
+ |
त्व |
= |
लघुत्व |
5. |
व्यक्ति |
+ |
त्व |
= |
व्यक्तित्व |
6. |
मनुष्य |
+ |
त्व |
= |
मनुष्यत्व |
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Question 4:
निम्नलिखित उदाहरण को पढ़कर पाठ में आए संयुक्त शब्दों को छाँटकर लिखिए −
उदाहरण − चलते-पुरज़े
Answer:
समझता - |
बूझना |
छोटे - |
बड़े |
पूजा - |
पाठ |
कटे - |
फटे |
ठीक - |
ठाक |
खट्टे - |
मीठे |
गिने - |
चुने |
लाल - |
पीले |
जले - |
भुने |
ईमान - |
धर्म |
स्वार्थ - |
सिद्धी |
नित्य - |
प्रति |
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Question 5:
'भी' का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए −
उदाहरण − आज मुझे बाजार होते हुए अस्पताल भी जाना है।
Answer:
1. मुझे भी पुस्तक पढ़नी है।
2. राम को खाना भी खाना है।
3. सीता को भी नाचना है।
4. तुम्हें भी आना है।
5. इन लोगों को भी खाना खिलाइए।
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