NCERT Solutions for Class 9 Hindi Chapter 8 रहीम are provided here with simple step-by-step explanations. These solutions for रहीम are extremely popular among class 9 students for Hindi रहीम Solutions come handy for quickly completing your homework and preparing for exams. All questions and answers from the NCERT Book of class 9 Hindi Chapter 8 are provided here for you for free. You will also love the ad-free experience on Meritnation’s NCERT Solutions. All NCERT Solutions for class 9 Hindi are prepared by experts and are 100% accurate.
Page No 94:
Question 1:
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए −
(क) प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भाँति क्यों नहीं हो पाता?
(ख) हमें अपना दुख दूसरों पर क्यों नहीं प्रकट करना चाहिए? अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार कैसा हो जाता है?
(ग) रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य क्यों कहा है?
(घ) एक को साधने से सब कैसे सध जाता है?
(ङ) जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी क्यों नहीं कर पाता?
(च) अवध नरेश को चित्रकूट क्यों जाना पड़ा?
(छ) 'नट' किस कला में सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता है?
(ज) 'मोती, मानुष, चून' के संदर्भ में पानी के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
Answer:
(à¤) पà¥à¤°à¥à¤® à¤à¥ à¤à¤¬ à¤à¤à¤à¤¾à¤à¤° ठरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ बिना सà¥à¤à¥ समà¤à¥ à¤à¤à¤à¥ मà¥à¤ तà¥à¤¡à¤¼ दिया à¤à¤¾à¤¤à¤¾ हॠतॠà¤à¤¸à¥ पà¥à¤¨: à¤à¥à¤¡à¤¼à¤¨à¥ पर à¤à¤¸à¤à¥ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ पहलॠà¤à¥à¤¸à¥ नहà¥à¤ रहतॠहà¥à¥¤ पà¥à¤°à¥à¤® विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ à¤à¥ डà¥à¤° सॠबà¤à¤§à¤¾ हà¥à¤¤à¤¾ हà¥à¥¤ यह डà¥à¤° à¤à¥à¤à¤¨à¥ पर पà¥à¤¨: नहà¥à¤ à¤à¥à¤¡à¤¼ पाता। à¤à¤¸à¤®à¥à¤ ठविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ à¤à¤° सà¤à¤¦à¥à¤¹ à¤à¥ दरार पड़ à¤à¤¾à¤¤à¥ हà¥, à¤à¤¾à¤à¤ पड़ à¤à¤¾à¤¤à¥ हॠà¤à¤° ठतà¤à¤° ठà¤à¤¾à¤¤à¤¾ हà¥à¥¤
(à¤) à¤à¤µà¤¿ ठपनॠमन à¤à¥ वà¥à¤¯à¤¥à¤¾ à¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤à¤° रà¤à¤¨à¥ à¤à¥ à¤à¤¹à¤¤à¤¾ हॠà¤à¥à¤¯à¥à¤à¤à¤¿ à¤à¤¸à¤à¥ à¤à¤¹à¤¨à¥ या पà¥à¤°à¤à¤ à¤à¤°à¤¨à¥ à¤à¤¾ à¤à¥à¤ लाठनहà¥à¤ हà¥à¥¤ à¤à¤¸à¥ सà¥à¤¨à¤à¤° वॠपà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤¤à¥ हà¥à¤ पर बाà¤à¤à¤¨à¥ à¤à¥à¤ नहà¥à¤ à¤à¤¤à¤¾à¥¤ लà¥à¤ दà¥à¤¸à¤°à¥ à¤à¥ दà¥à¤ मà¥à¤ मà¤à¤¼à¤¾ लà¥à¤¤à¥ हà¥à¤à¥¤ वॠà¤à¤¿à¤¸à¥ à¤à¥ सहायता नहà¥à¤ à¤à¤°à¤¤à¥à¥¤
(à¤) रहà¥à¤® नॠसाà¤à¤° à¤à¥ ठपà¥à¤à¥à¤·à¤¾ पà¤à¤ à¤à¤² à¤à¥ धनà¥à¤¯ à¤à¤¸à¤²à¤¿à¤ à¤à¤¹à¤¾ हॠà¤à¥à¤¯à¥à¤à¤à¤¿ à¤à¤¸à¤¸à¥ न à¤à¤¾à¤¨à¥ à¤à¤¿à¤¤à¤¨à¥ लà¤à¥ à¤à¥à¤µà¥à¤ à¤à¥ पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ बà¥à¤à¤¤à¥ हà¥à¥¤ à¤à¤µà¤¿ यह à¤à¤¹à¤¨à¤¾ à¤à¤¾à¤¹à¤¤à¤¾ हॠà¤à¤¿ यदि à¤à¥à¤à¥ लà¥à¤ à¤à¥ à¤à¤¿à¤¸à¥ à¤à¥ à¤à¤¾à¤® à¤à¤¤à¥ हà¥à¤ तॠवॠà¤à¥ महिमावान हà¥à¤à¥¤ साà¤à¤° à¤à¥ बड़ाठà¤à¤¸à¤²à¤¿à¤ नहà¥à¤ à¤à¥ à¤à¥à¤¯à¥à¤à¤à¤¿ à¤à¤¸à¤®à¥à¤ ठथाह à¤à¤² हà¥à¤¨à¥ पर à¤à¥ पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नहà¥à¤ बà¥à¤à¤¤à¥, à¤à¤¸à¤®à¥à¤ परà¥à¤ªà¤à¤¾à¤° à¤à¥ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ नहà¥à¤ हà¥à¤¤à¥à¥¤
(à¤) à¤à¤µà¤¿ à¤à¥ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ हॠà¤à¤¿ à¤à¤¶à¥à¤µà¤° à¤à¤ हà¥à¥¤ à¤à¤¸à¤à¥ हॠसाधना à¤à¤°à¤¨à¥ à¤à¤¾à¤¹à¤¿à¤à¥¤ वह मà¥à¤² हà¥à¥¤ à¤à¤¸à¥ हॠसà¥à¤à¤à¤¨à¤¾ à¤à¤¾à¤¹à¤¿à¤à¥¤ à¤à¥à¤¸à¥ à¤à¤¡à¤¼ à¤à¥ सà¥à¤à¤¨à¥ सॠफल फà¥à¤² मिल à¤à¤¾à¤¤à¥ हà¥à¤, à¤à¤¸à¥ तरह à¤à¤ à¤à¤¶à¥à¤µà¤° à¤à¥ पà¥à¤à¤¨à¥ सॠसà¤à¥ à¤à¤¾à¤® सफल हॠà¤à¤¾à¤¤à¥ हà¥à¤à¥¤ à¤à¥à¤µà¤² à¤à¤ à¤à¤¶à¥à¤µà¤° à¤à¥ साधना पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ लà¤à¤¾à¤¨à¤¾ à¤à¤¾à¤¹à¤¿à¤à¥¤
(ड़) à¤à¤®à¤² à¤à¤² मà¥à¤ हॠà¤à¤¿à¤²à¤¤à¤¾ हà¥, रहता हà¥à¥¤ लà¥à¤à¤¿à¤¨ सà¥à¤°à¥à¤¯ निà¤à¤²à¤¨à¥ पर à¤à¤®à¤² à¤à¤¿à¤²à¤¤à¤¾ हà¥à¥¤ यदि à¤à¤®à¤² à¤à¤² à¤à¥ बिना हॠतॠसà¥à¤°à¥à¤¯ à¤à¥ à¤à¤¸à¥ नहà¥à¤ बà¤à¤¾ सà¤à¤¤à¤¾à¥¤ सà¥à¤°à¥à¤¯ à¤à¤®à¤² à¤à¥ à¤à¥à¤µà¤¿à¤¤ रà¤à¤¨à¥ à¤à¥ बाहरॠशà¤à¥à¤¤à¤¿ हॠà¤à¤¬à¤à¤¿ à¤à¤² à¤à¤¸à¤à¥ à¤à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤¿à¤ शà¤à¥à¤¤à¤¿ हà¥à¥¤ à¤à¤¸à¥ तरह à¤à¥à¤¤à¤°à¥ शà¤à¥à¤¤à¤¿ हà¥à¤¨à¤¾ ठतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ à¤à¤µà¤¶à¥à¤¯à¤ हà¥à¥¤ दà¥à¤¸à¤°à¥ à¤à¥ तà¤à¥ मदà¥à¤¦ à¤à¤°à¤¤à¥ हà¥à¤ à¤à¤¬ à¤à¤ªà¤à¥ à¤à¥à¤¤à¤°à¥ शà¤à¥à¤¤à¤¿ हà¥à¤¤à¥ हà¥à¥¤
(à¤) ठवध नरà¥à¤¶ à¤à¥ à¤à¤¿à¤¤à¥à¤°à¤à¥à¤ à¤à¤¸à¤²à¤¿à¤ à¤à¤¾à¤¨à¤¾ पड़ा à¤à¥à¤¯à¥à¤à¤à¤¿ à¤à¤¨à¥à¤¹à¥à¤ 14 वरà¥à¤· तठवनवास मà¥à¤ रहना था। à¤à¤¿à¤¤à¥à¤°à¤à¥à¤ à¤à¤ तपà¥à¤µà¤¨ था, à¤à¤¹à¤¾à¤ à¤à¤·à¤¿-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥à¤ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ तपसà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥ à¤à¤¾à¤¤à¥ थà¥à¥¤ वहाठविà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥à¤ à¤à¥ à¤à¤¶à¥à¤°à¤® à¤à¥ थà¥à¥¤ शà¥à¤°à¥à¤°à¤¾à¤® à¤à¥ यह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ वनवास बितानॠà¤à¥ लिठà¤à¤ªà¤¯à¥à¤à¥à¤¤ लà¤à¤¾ à¤à¤¸à¤²à¤¿à¤ वह यहाठà¤à¤à¤° निवास à¤à¤°à¤¨à¥ लà¤à¥à¥¤
(à¤) नठà¤à¥à¤à¤¡à¤²à¥ मारनॠà¤à¥ à¤à¤²à¤¾ मà¥à¤ सिदà¥à¤§ हà¥à¤¨à¥ à¤à¥ à¤à¤¾à¤°à¤£ à¤à¤ªà¤° à¤à¤¢à¤¼ à¤à¤¾à¤¤à¤¾ हà¥à¥¤ वह à¤à¥à¤à¤¡à¤²à¥ मà¥à¤ सिमठà¤à¤¾à¤¤à¤¾ हà¥à¥¤ à¤à¤¸à¤²à¤¿à¤ à¤à¤²à¤¾à¤à¤ मारà¤à¤° à¤à¤ªà¤° à¤à¤¢à¤¼ à¤à¤¾à¤¤à¤¾ हà¥à¥¤
(à¤) 'मà¥à¤¤à¥' à¤à¥ सà¤à¤¦à¤°à¥à¤ मà¥à¤ ठरà¥à¤¥ हॠà¤à¤®à¤ या à¤à¤¬ à¤à¤¸à¤à¥ बिना मà¥à¤¤à¥ à¤à¤¾ à¤à¥à¤ मà¥à¤²à¥à¤¯ नहà¥à¤ हà¥à¥¤ 'मानà¥à¤·' à¤à¥ सà¤à¤¦à¤°à¥à¤ मà¥à¤ पानॠà¤à¤¾ ठरà¥à¤¥ मान समà¥à¤®à¤¾à¤¨ हॠमनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¤¾ पानॠठरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ समà¥à¤®à¤¾à¤¨ समापà¥à¤¤ हॠà¤à¤¾à¤ तॠà¤à¤¸à¤à¤¾ à¤à¥à¤µà¤¨ वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ हà¥à¥¤ 'à¤à¥à¤¨' à¤à¥ सà¤à¤¦à¤°à¥à¤ मà¥à¤ पानॠà¤à¤¾ ठरà¥à¤¥ ठसà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ सॠहà¥à¥¤ पानॠà¤à¥ बिना à¤à¤à¤¾ नहà¥à¤ à¤à¥à¤à¤¥à¤¾ à¤à¤¾ सà¤à¤¤à¤¾à¥¤ à¤à¤à¥ à¤à¤° à¤à¥à¤¨à¤¾ दà¥à¤¨à¥à¤ मà¥à¤ पानॠà¤à¥ à¤à¤µà¤¶à¥à¤¯à¤à¤¤à¤¾ हà¥à¤¤à¥ हà¥à¥¤
Page No 94:
Question 2:
निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए −
(क) टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।
(ख) सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय।
(ग) रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय।
(घ) दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।
(ङ) नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत।
(च) जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।
(छ) पानी गए न उबरै, मोती, मानुष, चून।
Answer:
(क) कवि प्रेम रूपी धागा न तोड़ने की बात कहता है कि एक बार यह टूट जाए तो सामान्य स्थिति नहीं आ पाती है। उसे जोड़ भी दिया जाए तो उसमें गाँठ पड़ जाती है क्योंकि इसके टूटने पर अविश्वास और संदेह का भाव आ जाता है।
(ख) कवि का कहना है कि अपना दुख किसी के सामने प्रकट नहीं करना चाहिए क्योंकि सब लोग सुनकर हँस लेते हैं मज़ाक कर लेते हैं परन्तु उसे बाँटता कोई भी नहीं है।
(ग) इन पंक्तियों द्वारा कवि एक ईश्वर की आराधना पर ज़ोर देते हैं। इसके समर्थन में कवि वृक्ष की जड़ का उदाहरण देते हैं कि जड़ को सींचने से पूरे पेड़ पर पर्याप्त प्रभाव हो जाता है। अलग-अलग फल, फूल, पत्ते सींचने की आवश्यकता नहीं होती।
(घ) कवि कहता है कि अच्छी वस्तु या ज्ञान थोड़ा सा ही पर्याप्त होता है। जिस प्रकार दोहे में अक्षर बहुत कम होते हैं परन्तु उसके अर्थ में गम्भीरता होती है, उसी प्रकार थोड़ा-सा ज्ञान भी अच्छा परिणाम देता है।
(ड़) जिस तरह संगीत की मोहनी तान पर रीझकर हिरण अपने प्राण तक त्याग देता है। इसी प्रकार मनुष्य धन कला पर मुग्ध होकर धन अर्जित करने को अपना उद्देश्य बना लेता है और इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वो सब कुछ त्यागने को भी तैयार हो जाता है।
(च) हर छोटी वस्तु का अपना अलग ही महत्व होता है। जिस प्रकार कपड़ा सिलने में तलवार जैसी बड़ी चीज़ भी मद्दगार नहीं होती है, वहाँ सूई की ही आवश्यक्ता पड़ती है, उसी प्रकार छोटा व्यक्ति जहाँ काम आ सकता है वहाँ बड़े व्यक्ति का कोई महत्व नहीं होता है। इसलिए छोटी वस्तु की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
(छ) जीवन में पानी के बिना सब कुछ बेकार है। इसे बनाकर रखना चाहिए, जैसे चमक या आब के बिना मोती बेकार है, पानी अर्थात सम्मान के बिना मनुष्य का जीवन बेकार है और बिना पानी के आटा या चूना काम नहीं करता है। इसमें पानी की आवश्यकता होती है।
Page No 95:
Question 3:
निम्नलिखित भाव को पाठ में किन पंक्तियों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है −
(क) जिस पर विपदा पड़ती है वही इस देश में आता है।
(ख) कोई लाख कोशिश करे पर बिगड़ी बात फिर बन नहीं सकती।
(ग) पानी के बिना सब सूना है अत: पानी अवश्य रखना चाहिए।
Answer:
(क) जिस पर विपदा पड़ती है वही इस देश में आता है।
− ''जा पर बिपदा पड़त है, सो आवत यह देस।''
(ख) कोई लाख कोशिश करे पर बिगड़ी बात फिर बन नहीं सकती।
− ''बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।''
(ग) पानी के बिना सब सूना है अत: पानी अवश्य रखना चाहिए।
− ''रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।''
Page No 95:
Question 4:
उदाहरण के आधार पर पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए −
उदाहण : कोय − कोई , जे - जो
ज्यों |
---------------- |
कछु |
---------------- |
नहिं |
---------------- |
कोय |
---------------- |
धनि |
---------------- |
आखर |
---------------- |
जिय |
---------------- |
थोरे |
---------------- |
होय |
---------------- |
माखन |
---------------- |
तरवारि |
---------------- |
सींचिबो |
---------------- |
मूलहिं |
---------------- |
पिअत |
---------------- |
पिआसो |
---------------- |
बिगरी |
---------------- |
आवे |
---------------- |
सहाय |
---------------- |
ऊबरै |
---------------- |
बिनु |
---------------- |
बिथा |
---------------- |
अठिलैहैं |
---------------- |
परिजाय |
---------------- |
---------------- |
Answer:
ज्यों |
- |
जैसे |
कछु |
- |
कुछ |
नहि |
- |
नहीं |
कोय |
- |
कोई |
धनि |
- |
धन्य |
आखर |
- |
अक्षर |
जिय |
- |
जी |
थोरे |
- |
थोड़े |
होय |
- |
होना |
माखन |
- |
मक्खन |
तरवारि |
- |
तलवार |
सींचिबो |
- |
सींचना |
मूलहिं |
- |
मूल को |
पिअत |
- |
पीना |
पिआसो |
- |
प्यासा |
बिगरी |
- |
बिगड़ी |
आवे |
- |
आए |
सहाय |
- |
सहायक |
ऊबरै |
- |
उबरना |
बिनु |
- |
बिना |
बिथा |
- |
व्यथा |
अठिलैहैं |
- |
हँसी उड़ाना |
परिजाए |
- |
पड़ जाए |
View NCERT Solutions for all chapters of Class 9