NCERT Solutions for Class 11 Humanities Hindi Chapter 19 धूमिल are provided here with simple step-by-step explanations. These solutions for धूमिल are extremely popular among class 11 Humanities students for Hindi धूमिल Solutions come handy for quickly completing your homework and preparing for exams. All questions and answers from the NCERT Book of class 11 Humanities Hindi Chapter 19 are provided here for you for free. You will also love the ad-free experience on Meritnation’s NCERT Solutions. All NCERT Solutions for class 11 Humanities Hindi are prepared by experts and are 100% accurate.

Page No 178:

Question 1:

घर एक परिवार, परिवार में पाँच सदस्य हैं, किंतु कवि पाँच सदस्य नहीं उन्हें पाँच जोड़ी आँखें मानता है। क्यों?

Answer:

कवि ने अपने परिवार में पाँच सदस्यों का उल्लेख किया है। वह कविता में उन्हें पाँच जोड़ी आँखें इसलिए कहता है कि वे आँखों के माध्यम से ही एक-दूसरे से जुड़ें हुए हैं। कोई किसी से कुछ नहीं कहता है। बस उनकी आँखों में देखकर ही उसे उनके हृदय में व्याप्त दुख, दर्द, प्रसन्नता इत्यादि का आभास होता है।

Page No 178:

Question 2:

'पत्नी की आँखें आँखें नहीं हाथ है, जो मुझे थामे हुए हैं' से कवि का क्या अभिप्राय है?

Answer:

पत्नी की आँखें से उसे हिम्मत मिलती है। वह हर परिस्थिति में उसके साथ रहती हैं। वह अपनी आँखों के माध्यम से उसके आत्मसम्मान को बनाए रखती है। विषम परिस्थिति में उसकी आँखें उसे सही दिशा बताती हैं इसलिए वे आँखें नहीं हाथ हैं। पत्नी की आँखों में उसे दिलासा, हिम्मत और प्रेम मिलता है। ये उसे लड़ने की हिम्मत देते हैं।

Page No 178:

Question 3:

'वैसे हम स्वजन हैं, करीब हैं ................. क्योंकि हम पेशेवर गरीब हैं' से कवि का क्या आशय है? अगर अमीर होते तो क्या स्वजन और करीब नहीं होते?

Answer:

कवि ने यह बात बहुत सोच-समझकर बोली है। गरीबी यदि रिश्तों में खिंचाव पैदा करती है, तो अमीरी रिश्तों के मध्य दरार बन जाती है। अधिक धन के कारण मनुष्य एक-दूसरे से दूर हो जाते हैं। लालच तथा समय की कमी रिश्तों में खटास भर देती है। धन कमाने की चाहत में लोग परिवार को भूल ही जाते हैं। दूसरे उस धन पर कब्ज़ा जमाने के लिए परेशान रहते हैं। अतः रिश्तों की आत्मीयता समाप्त हो जाती है। कवि का परिवार पाँच सदस्यों का है और सब एक-दूसरे से खिंचे अवश्य है परन्तु उनमें आत्मीयता भरी पड़ी है। वे अलग नहीं है।



Page No 179:

Question 4:

'रिश्ते हैं; लेकिन खुलते नहीं'– कवि के सामने ऐसी कौन सी विवशता है जिससे आपसी रिश्ते भी नहीं खुलते हैं?

Answer:

रिश्ते नहीं खुलने की विवशता कवि ने बताई है। उसके घर में घोर गरीबी है। गरीबी के कारण रिश्तों में खिंचाव व तनाव है। जिसके कारण सब एक-दूसरे के सामने जाने से कतराते हैं। इस तरह सबमें बातचीत बंद है। यह रिश्तों के मध्य व्याप्त मधुरता को कम कर देता है। करीब होते हुए भी अपने मन की बात को व्यक्त नहीं कर पाते हैं।

Page No 179:

Question 5:

निम्नलिखित का काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) माँ की आँखें पड़ाव से पहले ही तीर्थ-यात्रा की बस के दो पंचर पहिए हैं।
(ख) पिता की आँखें लोहसाँय की ठंडी शलाखें हैं।

Answer:

(क) कवि माँ की आँखों को बस के दो पंचर पहिए कहकर माँ की अँधी आँखों के विषय में बता रहा है। इस तरह उसने प्रतीक के रूप में बस के दो पंचर कहा है। 'पड़ाव' शब्द को वह प्रतीक के रूप में दिखा रहा है। इसका अर्थ है कि माँ के जीवन का अंतिम समय है। वह कब भगवान को प्यारी हो जाए, कहा नहीं जा सकता है। अतः प्रतीकात्मकता का समावेश है। पंक्ति की विशेषता है कि दृश्य बिंब साकार हुआ है। पंक्ति में 'पंचर पहिए' अनुप्रास अलंकार की छटा बिखरते है। इसमें आँखें को पंचर पहिए कहा है, जो रूपक अलंकार को दर्शाता है।

(ख) पिता की आँखें को लोहसाँय की ठंडी शलाखें बताई गई हैं। इस पंक्ति में भी कवि ने प्रतीकात्मकता का सहारा लिया है। भाषा सहज और सरल है।

Page No 179:

Question 1:

घर में रहनेवालों से ही घर, घर कहलाता है। पारिवारिक रिश्ते खून के रिश्ते हैं फिर भी उन रिश्तों को न खोल पाना कैसी विवशता है। अपनी राय लिखिए।

Answer:

यह सही है कि घर में रहनेवालों से ही घर, घर कहलाता है। पारिवारिक रिश्ते खून के रिश्ते हैं। ये ऐसे रिश्ते हैं, जिनसे हम चाहे भी तो खोल नहीं पाते हैं। कारण आर्थिक तंगी इनमें एक रेखा खींच देती है। सब साथ रहते हैं लेकिन विवशतावश कुछ बोल नहीं पाते हैं। गरीबी से व्याप्त परिवार में सबके पास शिकायतों का भंडार होता है। अतः सब प्रयास करते हैं कि मुँह से ऐसा कुछ न निकले जिसे अन्य को दुख पहुँचे। अतः सब चुप रहना ही सही समझते हैं। यहाँ पर वे एक-दूसरे के सम्मुख अपनी दिल की बात बोलने में हिचकिचाते हैं।

Page No 179:

Question 2:

आप अपने पारिवारिक रिश्तों-संबंधों के बारे में एक निबंध लिखिए।

Answer:

रिश्ते-नाते प्यार और तकरार के संबंध हैं। मनुष्य परिवार में इनके मध्य ही बढ़ता है और यही उसके जीवन की धूरि रहते हैं। इनकी परिधि छोटी नहीं है। यह बहुत बड़ा और व्यापक क्षेत्र लिए हुए हैं। इसमें चाचा-चाची, मामा-मामी, ताऊ-ताई, भाई-बहन, माता-पिता, दादा-दादी, बुआ-फूफा, दीदी-जीजाजी, बहनोई, ननंदोई जैसे रिश्तों का जाल फैला हुआ है। यह संबंध हमें पैदाईशी प्राप्त होते हैं। इनसे कटाना संभव नहीं होता। इनके मध्य रहकर हम रिश्ते-नातों को समझते हैं। सुख-दुख में यही हमारे साथ होते हैं और यही हमें सहारा देते हैं। इनके बिना जीवन अधूरा है।

मेरा परिवार भी इन्हीं संबंधों से रचा-बसा है। मेरे पिताजी की एक बहन है और माता जी का एक भाई है। इसलिए मुझे बुआ और मामा दोनों का रिश्ता मिला है। पिताजी के रिश्ते के भाई हैं, जिनके कारण मुझे ताऊजी और चाचा का रिश्ता भी मिला है लेकिन मौसी का रिश्ता मेरे पास नहीं है। इसके अतिरिक्त मेरा सौभाग्य है कि मुझे अभी तक दादा-दादी और नाना-नानी सभी का रिश्ता और प्यार दोनों मिल रहे हैं। इन सारे रिश्तों में मैंने प्यार पाया है और सबका लाडला रहा हूँ। इनके मध्य मैंने जो सुरक्षा और प्रेमभाव देखा है, वह कहीं और नहीं देखा है। ऐसा नहीं है कि इनके मध्य मतभेद की स्थिति नहीं आई। लेकिन इन्होंने समझदारी से उस स्थिति को आगे नहीं बढ़ने दिया। आपस में बैठकर उस समस्या का हल निकला और मतभेद दूर किए हैं। परिवार में किसी के मध्य कैसे भी मतभेद रहे हों लेकिन हमें उनसे दूर रखा गया है। हमें यही सिखाया गया कि आपको बड़ों का आदर करना है और उन्हें वैसे ही प्रेम करना है, जैसा कि किया जाता है। विषम परिस्थितियों में हमने सबको कंधे-से-कंधा मिलाकर खड़ा देखा है। फिर चाहे किसी भी विषम परिस्थिति क्यों न हो। यही कारण है कि मुझे बहुत पहले ही रिश्तों की अहमियत का पता चल गया।

इस तरह मैंने यही सीखा है कि जीवन में रिश्तों को संभालना बहुत आवश्यक है। ये हमें सारे जीवन प्रेम तथा सुरक्षा प्रदान करते हैं। इनके मध्य रहकर हम प्रसन्न रहते हैं।

Page No 179:

Question 3:

'यह मेरा घर है' के आधार पर सिद्ध कीजिए कि आपका अपना घर है।

Answer:

मेरा अपना घर मेरे माता-पिता का घर है। हमारे घर में मैं, पिताजी, माताजी तथा दादाजी शामिल हैं। यह हमारी दुनिया है। कई बाहर हम घर से बाहर गए लेकिन जो शांति, अपनापन और आनंद यहाँ मिला अपने परिवार में मिलता है, वह कहीं नहीं मिला। मैंने यह जाना है कि घर के लोग जहाँ साथ हो, वही अपना घर होता है। मैं भी इसे सही मानता हूँ। इनके बिना मकान घर नहीं कहला सकता। अपनों का साथ ही मकान को घर बनाता है। यहाँ मेरे अपने हैं, उनका सुख-दुख मेरा है और उनके सुख-दुख मेरे हैं। हम सब हर परिस्थिति में एक-दूसरे के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर चलते हैं।



View NCERT Solutions for all chapters of Class 14