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संधि

संधि की परिभाषा

परिभाषा :-

संधि का अर्थ है मेल। दो वर्णों के आपसी मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे संधि कहते हैं; जैसे

विद्या

+

आलय

=

विद्यालय

शिक्षा

+

घर

=

जिस घर में शिक्षा ग्रहण कि जाए

हिम

+

आलय

=

हिमालय

बर्फ

+

घर

=

जिस स्थान पर बर्फ हो

सत्

+

जन

=

सज्जन

मन:

+

बल

=

मनोबल

संधि के भेद :-

संधि तीन प्रकार के होते हैं; ये निम्नलिखित हैं -

() स्वर संधि

() व्यंजन संधि

() विसर्ग संधि

स्वर संधि:-

दो स्वरों के मेल से होने वाले परिवर्तन को स्वर संधि कहते हैं; जैसे -

रा

+

वतार

=

रामावतार

+

=

कृष्ण

+

वतार

=

कृष्णावतार

+

=

दे

+

वसान

=

देहावसान

+

=

हा

+

शय

=

हाशय

+

=

स्वर संधि पाँच प्रकार की होती है -

() दीर्घ संधि

() गुण संधि

() वृद्धि संधि

() यण संधि

() अयादि संधि

() दीर्घ संधि:-

ह्रस्व या दीर्घ अ, , उ अथवा आ, , ऊ के बाद यदि ह्रस्व या दीर्घ अ, , उ तथा आ, , ऊ आ जाए तो दोनों मिलकर दीर्घ आ, ई और ऊ हो जाते हैं;

जैसे -

अ और आ की संधि :-

1.

+ =

-

धर्म

+

अर्थ

=

धर्माथ

भाव

+

अर्थ

=

भावार्थ

शब्द

+

अर्थ

=

शब्दार्थ

+ =

-

हिम

+

आलय

=

हिमालय

छात्र

+

आवास

=

छात्रावास

धर्म

+

आत्मा

=

धर्मात्मा

+ =

-

विद्या

+

अर्थी

=

विद्यार्थी

यथा

+

अर्थ

=

यर्थाथ

महा

+

अर्थ

=

महार्थी

+ =

-

विद्या

+

आलय

=

विद्यालय

महा

+

आशय

=

महाशय

2.

इ और ई की संधि :-

+ =

-

रवि

+

इन्द्र

=

रवींन्द्र

मुनि

+

इन्द्र

=

मुनीन्द्र

+ =

-

गिरि

+

ईश

=

गिरीश

हरि

+

ईश

=

हरीश

मुनि

+

ईश

=

मुनीश

+ =

-

मही

+

इंद्र

=

महींद्र

नारी

+

इंद्र

=

नारींद्र

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