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कारक

कारक - अर्थ एवं प्रयोग


वे शब्द जो वाक्य में क्रिया के साथ प्रत्यक्ष संबंध दर्शाते हैं, कारक कहलाते हैं। तथा जिन प्रत्ययों से कारकों का अर्थ प्रकट होता है, विभक्ति कहलाते हैं।

हिन्दी भाषा में जिस प्रकार से कर्त्ता का क्रिया के साथ संबंध बताने के लिए इन कारकों का प्रयोग किया जाता है, वैसे ही संस्कृत भाषा में विभक्तियों का प्रयोग होता है।

संस्कृत भाषा में संबंध को कारक नहीं माना गया है क्योंकि संबंध का क्रिया से प्रत्यक्ष संबंध नहीं होता है।

जैसे:

राज्ञपुरुष: गच्छति।

अर्थात, राजा का पुरुष जाता है।

यहाँ राजा का गच्छति क्रिया से संबंध नही है। अत: इसे कारक की संज्ञा नहीं दी जा सकती है।

एक उदाहरण की सहायता से आप कारक तथा विभक्ति को समझने का प्रयास करें।

हे छात्रा:!(11) दशरथस्य(10)सुत:(1) राम:(2) दण्डकारण्यात्(8)लङ्का(3)गत्वा युद्धे(9)रावण(4)बाणेन(6)हत्वा विभीषणाय(7)लङ्काराज्यम्(5)अयच्छत्(12)

नीचे दी गई तालिका के आधार पर हम इस वाक्य को कारक के अनुसार लगाएंगे।

क्रम संख्या

शब्द:/पदानि

कारकम्

विभक्ति

1, 2

सुत:, राम:

कर्त्ता (ने)

प्रथमा

3, 4, 5

लङ्का, रावणं, लङ्काराज्यम्

कर्म (को)

द्वितीया

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