वाच्य
वाच्य की परिभाषा
क्रिया के जिस रुप से यह ज्ञात हो कि वाक्य में क्रिया के विधान का मुख्य विषय कर्ता है, कर्म है या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं;
जैसे -
(i) मोहन पुस्तक पढ़ता है।
(ii) मोहन के द्वारा पुस्तक पढ़ी जा रही है।
यहाँ एक ही वाक्य को दो अलग-अलग तरह से बताया गया है। पहले वाक्य में कर्ता (मोहन) प्रधान है, दूसरे वाक्य में कर्म (पुस्तक) प्रधान है।
इसी आधार पर वाक्य को तीन भागों में बाँटा गया है :-
(1) कर्तृवाच्य
(2) कर्मवाच्य
(3) भाववाच्य
क्रिया के जिस रुप से यह ज्ञात हो कि वाक्य में क्रिया के विधान का मुख्य विषय कर्ता है, कर्म है या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं;
जैसे -
(i) मोहन पुस्तक पढ़ता है।
(ii) मोहन के द्वारा पुस्तक पढ़ी जा रही है।
यहाँ एक ही वाक्य को दो अलग-अलग तरह से बताया गया है। पहले वाक्य में कर्ता (मोहन) प्रधान है, दूसरे वाक्य में कर्म (पुस्तक) प्रधान है।
इसी आधार पर वाक्य को तीन भागों में बाँटा गया है :-
(1) कर्तृवाच्य
(2) कर्मवाच्य
(3) भाववाच्य
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