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Board Paper of Class 10 2007 Hindi Delhi(SET 2) - Solutions

(i) इस प्रश्न-पत्र के चार खण्ड हैं क, ख, ग और घ।
(ii) चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
(iii) यथासंभव प्रत्येक खण्ड के उत्तर क्रमश: दीजिए।


  • Question 1

    निम्नलिखित में से किसी एक काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

    (क) कौसिक सुनहु मंद येहु बालकु।

    कुटिलु कालबस निज कुल घालकु।।

    भानुबंस राकेस कलंकू।

    निपट निरंकुसु अबुधु असंकु।।

    कालकवलु होइहि छन माहीं।

    कहौं पुकारि खोरि मोहि नाहीं।।

    तुम्ह हटकहु जौ चहहु उबारा।

    कहि प्रतापु बलु रोषु हमारा।।

    लखन कहेउ मुनि सुजसु तुम्हारा।

    तुम्हहि अछत को बरनै पारा।।

    अपने मुहु तुम्ह आपनि करनी।

    बार अनेक भाँति बहु बरनी।।

    नहि संतोषु त पुनि कछु कहहू।

    जनि रिस रोकि दुसह दुख सहहू।।

    बीरब्रती तुम्ह धीर अछोभा।

    गारी देत न पावहु सोभा।।

    सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु।

    बिद्यमान रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु।।

    (i) परशुराम ने विश्वामित्र से क्या कहा? (2)

    (ii) लक्ष्मण ने परशुराम से क्या कहा? (2)

    (iii) 'सुर समर करनी करहिं' में कौन-सा अलंकार है? (2)

    अथवा

    (ख) कितना प्रामाणिक था उसका दुख

    लड़की को दान में देते वक्त

    जैसे वही उसकी अंतिम पूँजी हो 

    लड़की अभी सयानी नहीं थी

    अभी इतनी भोली सरल थी

    कि उसे सुख का आभास तो होता था

    लेकिन दुख बाँचना नहीं आता था

    पाठिका थी वह धुँधले प्रकाश की

    कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की

    (i) माँ का दुख प्रामाणिक क्यों था? (2)

    (ii) लड़की को माँ की अन्तिम पूँजी क्यों कहा गया है? (2)

    (iii) लड़की की मानसिक स्थिति का वर्णन कीजिए।  (2)

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  • Question 2

    निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन का उत्तर दीजिए – (3 + 3 + 3)

    (i) लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताईं?

    (ii) देव कवि ने चाँदनी रात की उज्ज्वलता का वर्णन करने के लिए किन-किन उपमानों का प्रयोग किया है?

    (iii) फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है? 'अट नहीं रही है' कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

    (iv) 'छाया मत छूना' कविता में कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है?

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  • Question 3

    निम्नलिखित काव्याशों में से किसी एक को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

    (क) कहीं साँस लेते हो,

    घर-घर भर देते हो,

    उड़ने को नभ में तुम

    पर-पर कर देते हो,

    आँख हटाता हूँ तो

    हट नहीं रही है।

    पत्तों से लदी डाल

    कहीं हरी, कहीं लाल,

    कहीं पड़ी है उर में

    मंद–गंध–पुष्प–माल,

    पाट-पाट शोभा-श्री

    पट नहीं रही है। 

    (i) इन पंक्तियों में कवि ने किसकी शोभा का वर्णन किया है? (1)

    (ii) इन पंक्तियों का सम्बन्ध आधुनिक काल की किस काव्यधारा से है? (1)

    (iii) इन पंक्तियों में से कोई दो तत्सम शब्द छाँटकर लिखिए। (1)

    (iv) फागुन में वृक्षों की डालियाँ कैसी लगती हैं? (1)

    (v) कवि की आँखे कहाँ से नहीं हट पातीं? (1)


    अथवा


    (ख) दुविधा-हत साहस है, दिखता है पंथ नहीं,

    देह सुखी हो पर मन के दुख का अंत नहीं।

    दुख है न चाँद खिला शरद-रात आने पर,

    क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर?

    जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण,

    छाया मत छूना।

    मन, होगा दुख दूना।

    (i) शरद रात किसका प्रतीक है? (1)

    (ii) इन पंक्तियों में किस छन्द का प्रयोग किया गया है? (1)

    (iii) यह पंक्तियाँ हिन्दी साहित्य के किस काल से सम्बन्धित हैं? (1)

    (iv) इन पंक्तियों में से कोई दो तत्सम शब्द छाँटकर लिखिए। (1)

    (v) इन पंक्तियों द्वारा कवि क्या सन्देश देता है? (1)

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  • Question 4

    निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक गद्यांश के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

    (क) बेटे के क्रिया-कर्म में तूल नहीं किया; पतोहू से ही आग दिलाई उसकी। किंतु ज्योंही श्राद्ध की अवधि पूरी हो गई, पतोहू के भाई को बुलाकर उसके साथ कर दिया, यह आदेश देते हुए कि इसकी दूसरी शादी कर देना। इधर पतोहू रो-रोकर कहती –मैं चली जाऊँगी तो बुढ़ापे में कौन आपके लिए भोजन बनाएगा, बीमार पड़े, तो कौन एक चुल्लू पानी भी देगा? मैं पैर पड़ती हूँ, मुझे अपने चरणों से अलग नहीं कीजिए! लेकिन भगत का निर्णय अटल था। तू जा, नहीं तो मैं इस घर को छोड़कर चल दूँगा –यह थी उनकी आखिरी दलील और इस दलील के आगे बेचारी की क्या चलती?

    बालगोबिन भगत की मौत उन्हीं के अनुरूप हुई। वह हर वर्ष गंगा-स्नान करने जाते। स्नान पर उतनी आस्था नहीं रखते, जितना संत-समागम और लोक-दर्शन पर। पैदल ही जाते। करीब तीस कोस पर गंगा थी। साधु को संबल लेने का क्या हक? और, गृहस्थ किसी से भिक्षा क्यों माँगे? अत:, घर से खाकर चलते, तो फिर घर पर ही लौटकर खाते। रास्ते भर खँजड़ी बजाते, गाते, जहाँ प्यास लगती, पानी पी लेते। चार-पाँच दिन आने-जाने में लगते; किंतु, इस लंबे उपवास में भी वही मस्ती! अब बुढ़ापा आ गया था, किंतु टेक वही जवानीवाली। इस बार लौटे, तो तबीयत कुछ सुस्त थी। खाने-पीने के बाद भी तबीयत नहीं सुधरी, थोड़ा बुखार आने लगा। किंतु नेम-व्रत तो छोड़ने वाले नहीं थे। वही दोनों जून गीत, स्नानध्यान, खेतीबारी देखना। दिन-दिन छीजने लगे। लोगों ने नहाने-धोने से मना किया, आराम करने को कहा। किंतु, हँसकर टाल देते रहे। उस दिन भी संध्या में गीत गाए, किंतु मालूम होता जैसे तागा टूट गया हो, माला का एक-एक दाना बिखरा हुआ। भोर में लोगों ने गीत नहीं सुना, जाकर देखा तो बालगोबिन भगत नहीं रहे स़िर्फ उनका पंजर पड़ा है।

    (i) बालगोबिन भगत ने अपने पुत्र के श्राद्ध की अवधि पूरी होने पर क्या किया? (2)

    (ii) बालगोबिन भगत की मृत्यु कैसे हुई? (2)

    (iii) गाँव के लोगों को बालगोबिन भगत की मृत्यु के विषय में कैसे पता चला? (2)

    अथवा


    आज़ाद हिंद फ़ौज के मुकदमे का सिलसिला था। सभी कॉलिज़ों, स्कूलों, दुकानों के लिए हड़ताल का आह्रान था। जो-जो नहीं कर रहे थे, छात्रों का एक बहुत बड़ा समूह वहाँ जा-जा कर हड़ताल करवा रहा था। शाम को अजमेर का पूरा विद्यार्थी-वर्ग चौपड़ (मुख्य बाज़ार का चौराहा) पर इकट्ठा हुआ और फिर हुई भाषणबाज़ी। इस बीच पिता जी के एक निहायत दकियानूसी मित्र ने घर आकर अच्छी तरह पिता जी की लू उतारी, "अरे उस मन्नु की तो मत मारी गई है पर भंडारी जी आपको क्या हुआ? ठीक है, आपने लड़कियों को आज़ादी दी, पर देखते आप, जाने कैसे-कैसे उलटे-सीधे लड़कों के साथ पड़तालें करवाती, हुड़दंग मचाती फिर रही है वह। हमारे-आपके घरों की लड़कियों को शोभा देता है यह सब? कोई मान-मर्यादा, इज़्ज़त- आबरू का ख्याल भी रह गया है आप को या नहीं?"

    वे तो आग लगाकर चले गए और पिता जो सारे दिन भभकते रहे, "बस, अब, यही रह गया है कि लोग घर आकर थू-थू करके चले जाएँ। बंद करो अब इस मन्नू का घर से बाहर निकलना।"

    इस सबसे बेखबर मैं रात होने पर घर लौटी तो पिता जी के एक बेहद अंतरंग और अभिन्न मित्र ही नहीं, अजमेर के सबस प्रतिष्ठित और सम्मानित डा. अंबालालजी बैठे थे। मुझे देखते ही उन्होंने बड़ी गर्मजोशी से स्वागत किया, आओ, आओ मन्नू। मैं तो चौपड़ पर तुम्हारा भाषण सुनते ही सीधा भंडारी जी को बधाई देने चला आया। 'आई एम रिअली प्राउड ऑफ यू'.... क्या तुम घर में घुसे रहते हो भंडारी जी.... घर से निकला भी करो। 'यू हैव मिस्ड समथिंग', और वे धुँआधार तारीफ़ करने लगे –वे बोलते जा रहे थे और पिता जी के चेहरे का संतोष धीरे-धीरे गर्व में बदलता जा रहा था। भीतर जाने पर माँ ने दोपहर के गुस्से वाली बात बताई तो मैंने राहत की साँस ली।"

    (i) छात्र हड़ताल क्यों करवा रहे थे? (1)

    (ii) लेखिका के पिता के मित्र ने लेखिका के विषय में उसके पिता से क्या कहा? (2)

    (iii) डॉ. अंबालाल ने लेखिका के पिता से उसके विषय में क्या कहा? (2)

    (iv) लेखिका ने किस प्रकार राहत की साँस ली? (1)


     

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  • Question 5

    निम्नलिखित में से किन्ही तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए – (3 + 3 + 3)

    (i) "फटा, सुर न बख्शे, लुंगिया का क्या है, आज फटी है कल सी जाएगी।" बिस्मिल्ला खाँ ने यह शब्द किससे और क्यों कहे?

    (ii) भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त कीं?

    (iii) फ़ादर की उपस्थिति लेखक को देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी?

    (iv) कुछ पुरातन पंथी लोग स्त्रियों की शिक्षा के विरोधी थे। द्विवेदी जी ने क्या-क्या तर्क देकर स्त्री-शिक्षा का समर्थन किया?

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  • Question 6

    (i) "एक कहानी यह भी" की लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का और किस रूप में प्रभाव पड़ा? (3)

    (i) "एम.ए., बी.ए., शास्त्री और आचार्य होकर पुरूष जो स्त्रियों पर हंटर फटकारते हैं और डंडों से उनकी खबर लेते हैं, वह सारा सदाचार पुरूषों की पढ़ाई का सुफल है।" लेखक के इस कथन में तत्कालीन समाज के पूरूषों की मानसिकता पर अपने विचार लिखिए।  (2)

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  • Question 7

    निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए –

    (i) प्राकृतिक सौन्दर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कौन-कौन से दृश्य झकझोर गए?

    (ii) हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरूपयोग है। आपकी दृष्टि में विज्ञान का दुरूपयोग कहाँ-कहाँ और किस तरह हो रहा है?

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  • Question 8

    निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए – (2 + 2 + 2)

    (i) लायुंग पहुँचकर लेखिका को क्या अनुभव हुआ?

    (ii) जलाए जाने वाले विदेशी वस्त्रों के ढेर में अधिकांश वस्त्र फटे-पुराने थे परन्तु दुलारी द्वारा विदेशी मिलों में बनी कोरी साड़ियों का फेंका जाना किस मानसिकता को दर्शाता है?

    (iii) 'माता का अँचल' पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है वह आपके बचपन की दुनिया से किस तरह भिन्न है?

    (iv) सैलानियों की प्रकृति की अलौकिक छटा का अनुभव करवाने में किन-किन लोगों का योगदान होता है? उल्लेख करें।

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  • Question 9

    निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

    ''जहाँ पर हम खड़े हैं, उसके नीचे एक तालाब है। हम लोग तालाब की छत पर खड़े हैं।" मैं अभी दाएँ-बाएँ, उस छिपे हुए तालाब का जायज़ा ले ही रहा था जब वह कहने लगे, "इस ताल में बारिश का पानी इकट्ठा होता रहता है। बरसात के दिनों में छतों पर से गिरने वाला जल सीधा इस ताल में चला जाता है। ऐसे ही बहुत से ताल हमने जगह-जगह बना रखे हैं।"

    इससे पहले कि मैं उनसे कुछ पूछूँ, उन्होंने मेरे चेहरे के भाव से ही मेरे सवाल को समझ लिया होगा। कहने लगे, "इस बारिश के पानी को हम साफ़ कर लेते हैं। उसे पीते हैं, उस पानी से अपनी खेती-बाड़ी करते हैं। राजस्थान की धरती तो जल के लिए तरसती है ना। अब तो ऐसे ही एक सौ दस ताल हमने अपने इस इलाके में जगह-जगह बना रखे हैं। हमारे स्कूलों और सामुदायिक केंद्रों में जल-संरक्षण की व्यवस्था कर दी गई है। यहाँ तिलोनिया में जल के संरक्षण का प्रबंध बहुत पहले कर लिया गया था।"

    "इस संस्थान की स्थापना कब हुई थी? "मैंने पूछा। "1972 में" वह बोले, फिर कुछ याद करते हुए से कहने लगे, "यह वह ज़माना था जब जगह-जगह अनेक युवाजन अपनी पहलकदमी पर कुछ नया कर दिखाना चाहते थे जो देश के विकास के लिए हितकर हो। अनेक स्थानों पर, अपने-अपने विचारानुसार अनेक प्रयोग किए गए। उनमें से एक यह भी था। ऐसी मंडलियाँ, मुख्यत: गाँव को ही केंद्र में रखकर अपने प्रयोग करना चाहती थीं और अक्सर लोग-बाग उनकी खिल्ली उड़ाया करते थे कि पिछड़े हुए गाँवों में जाकर क्या करोगे? यह प्रयोग निश्चय ही सफल हुआ।"

    वह कह रहे थे, "इसका गठन किया था, बंकर राय नाम के एक सुशिक्षित व्यक्ति ने। वे अपने साथ एख टाइपिस्ट और फ़ोटोग्राफ़र को लेकर यहाँ चले आए थे। यही उनकी मंडली थी। यह 1972 की बात है। सरकार से उन्होंने लीज़ पर 45 एकड़ सरकारी ज़मीन ली, साथ में तपेदिक के मरीज़ों के लिए किसी ज़माने में बनाए गए सेनेटोरियम के 21 छोटे-मोटे मकान थे। ज़मीन को एक रूपया महीना के हिसाब से लीज़ पर लिया और अपने संस्थान की स्थापना कर दी। संस्थान का नाम था –सामाजिक कार्य तथा शोध संस्थान (एस.डब्ल्यू.आर.सी.)। उन दिनों तिलोनिया गाँव की आबादी दो हज़ार की रही होगी।"

    मेरे मन में संशय उठने लगे थे। आज के ज़माने में वैज्ञानिक उपकरणों और जानकारी के बल पर ही तरक्की करते हुए नहीं की जा सकती। एक पिछड़े हुए गाँव के लोग अपनी समस्याएँ स्वयं सुलझा लेंगे, यह नामुमकिन था। पर वह सज्जन कहे जा रहे थे - "हमारे पूर्वज रहते आ रहे हैं। पहले ज़माने में भी हमारे लोग अपनी सूझ और पहलकदमी के बल पर ही अपनी दिक्कतें सुलझाते रहे होंगे। ज़रूरत इस बता की है कि हम शताब्दियों की इस परंपरागत जानकारी को नष्ट नहीं होने दें। उसका उपयोग करें।" फिर मुझे समझाते हुए बोले - "हम बाहर की जानकारी से भी पूरा-पूरा लाभ उठाते हैं, पर हम मूलत: स्वावलंबी बनना चाहते हैं, स्वावलंबी, आत्मनिर्भर।"

    वह सज्जन अपने प्रयासों की चर्चा कर रहे थे और मुझे बार-बार गांधी जी के कथन याद आ रहे थे। मैंने गांधी जी का ज़िक्र किया तो वह बड़े उत्साह से बोले - "आपने ठीक ही कहा है। यह संस्थान गांधी जी की मान्यताओं के अनुरूप ही चलता है –सादापन, कर्मठता, अनुशासन, सहभागिता। यहाँ सभी निर्णय मिल बैठकर किए जाते हैं। आत्मनिर्भरता.......।"


    "आत्मनिर्भरता से क्या मतलब?" "आत्मनिर्भरता से मतलब कि ग्रामवासियों की छिपी क्षमताओं को काम में लाया जाए। और गांधी जी के अनुसार ग्रामवासी अपनी अधिकांश बुनियादी ज़रूरत की वस्तुओं का उत्पादन स्वयं करें...।" मैं बड़े ध्यान से सुन रहा था। वह कह रहे थे - "कोई भी काम हाथ में लेने से पहले सभी ग्रामवासियों को प्रतिनिधित्व करने वाली बैठक बुलाई जाती है। ग्रामवासियों की अपनी समिति चुनी जाती है, जिसमें गरीब लोगों तथा महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती है, विशेष रूप से दलित तथा गरीब महिलाओं को। हमारे संस्थान का मूल आशय गाँव की दरिद्र जनता की मूलभूत ज़रूरतों को पूरा करने के लिए परंपरागत जानकारी और व्यावहारिक अनुभव के आधार पर, साझे प्रयासों द्वारा, गाँव की अर्थव्यवस्था का विकास करना है। हमारे बहुत से काम बाहर के विशेषज्ञों और स्थानीय ग्रामवासियों के साझे प्रयास से हुए। पर उनके निर्णय और संचालन में आधारभूत भूमिका स्थानीय ग्रामवासियों की ही रही है......।"

    (i) गाँव में पानी की समस्या किस प्रकार हल की गई? (2)

    (ii) बंकर राय ने संस्थान की स्थापना किस प्रकार की? (2)

    (iii) तिलोनिया में स्थापित संस्थान का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए। (2)

    (iv)गाँव के लोगों को किस प्रकार आत्मनिर्भर बनाया जाता है। (2)

    (v) इस गद्यांश का शीर्षक दीजिए। (2)

    (vi) उपरोक्त गद्यांश से दो विशेषण छांटिए। (2)


     

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  • Question 10

    निम्नलिखित काव्याशं को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –
    खुब गए
    दुधिया निगाहों में
    फटी बिवाइयों वाले खुरदरे पैर
    धँस गए
    कुसुम-कोमल मन में
    गुट्ठल घट्ठों वाले कुलिश-कठोर पैर
    दे रहे थे गति
    रबड़-विहीन ठूँठ पैडलों को
    चला रहे थे
    एक नहीं, दो नहीं, तीन-तीन चक्र
    कर रहे थे मात त्रिविक्रम वामन के पुराने पैरों को
    नाप रहे थे धरती का अनहद फासला
    घंटों के हिसाब से ढोए जा रहे थे।
    देर तक टकराए।
    उस दिन इन आँखों से वे पैर
    भूल नहीं पाऊँगा फटी बिवाइयाँ
    खुब गई दूधिया निगाहों में
    धँस गई कुसुम-कोमल मन में

    (i) इन पंक्तियों में कवि किसके खुरदरे पैरों की बात कर रहा है? (1)

    (ii) रिक्शा चालक के पैरों में बिवाइयाँ और घट्ठे क्यों पड़ गए हैं? (1)

    (iii) कवि ने रिक्शा चालक के पैरों की तुलना किससे की है? (2)

    (iv) रिक्शा चालक के खुरदरे पैर त्रिविक्रम वामन को कैसे मात दे रहे थे? (2)

    (v) कवि को क्यों लगता है कि वह रिक्शा चालक के बिवाई पड़े पैरों को भूल नहीं पाएगा? (2)

    अथवा

    बातें –
    हँसी में घुली हुईं
    सौजन्य चंदन में बसी हुईं
    बातें –
    चितवन में घुली हुईं
    व्यंग्य बंधन में कसी हुईं
    बातें –
    उसाँस में झुलसीं
    रोष की आँच में तली हुईं
    बातें –
    चुहल से हुलसीं
    नेह-साँचे में ढली हुईं
    बातें –
    विष की फुहार-सी
    बातें-
    अमृत की धार-सी
    बातें –
    मौत की काली डोर-सी
    बातें –
    जीवन की दूधिया हिलोर-सी
    बातें –
    अचूक वरदान-सी
    बातें –
    घृणित नाबदान-सी
    बातें –
    फल प्रसू, सुशोभन, फूल-सी
    बातें –
    अमंगल, विषगर्भ शूल-सी
    बातें –
    क्या करूँ मैं इनका?
    मान लूँ कैसे इन्हें तिनका?
    बातें –
    साथ नहीं छोड़ेंगी मेरा
    बना लूँ वाहन इन्हें घुटन का, घिन का?
    क्या करूँ मैं इनका?
    बातें –
    साथ नहीं छोड़ेंगी मेरा
    स्तुति करूँ रात की, ज़िक्र न करूँ दिन का?
    क्या करूँ मैं इनका?

    (i)  कवि ने सौजन्य को चन्दन क्यों कहा है? (1)

    (ii) किस प्रकार का हास मनोमालिन्य को धो देता है? (1)

    (iii) हम दृष्टि के माध्यम से कब बोलते हैं? (2)

    (iv) कवि बातों को तुच्छ मानने के लिए तैयार क्यों नहीं है? (2)

    (v) प्रस्तुत कविता में परस्पर विरोधी स्थितियों की ओर संकेत करने वाली पंक्तियों को छाँटकर लिखिए। (2)

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  • Question 11

    किसी एक विषय पर निबन्ध 300 शब्दों में निबन्ध लिखिए –


    (क) जीवन में अवसर का उपयोग करने वाले व्यक्ति ही सफलता प्राप्त करते हैं। अवसर की पहचान कर उसका सर्वोत्तम उपयोग करना चाहिए। अच्छे अवसर बार-बार लौटकर नहीं आते वास्तव में अवसर का सदुपयोग ही सफलता का मूल मंत्र है।

    (ख) भोर का सौन्दर्य सबसे निराला होता है। भोर के विविध दृश्य मानव मन को आनंद से भर देते हैं। भोर में प्रकृत्ति का रूप सर्वाधिक मनमोहक होता है। यह समय भ्रमण के लिए उपयुक्त होता है। भोर में जागने वाले व्यक्ति आलस्य से दूर रहते हैं तथा अपना प्रत्येक कार्य समय पर करते हैं।

    (ग) परोपकार ही सर्वश्रेष्ठ धर्म है। परोपकारी को परोपकार करते समय स्वयं भी सुख की अनुभूति होती है। व्यक्ति को परोपकार करते समय भेदभाव नहीं करना चाहिए। वस्तुत: परोपकार करने वाला व्यक्ति ही मनुष्य कहलाने का अधिकारी होता है।

    (घ) हमारे समाज में अनेक बुरी प्रथाएँ प्रचलित हैं। दहेज प्रथा सर्वाधिक निंदनीय कुप्रथा है। यह एक प्राचीन प्रथा है। परन्तु आधुनिक युग में इसका स्वरूप बहुत विकृत हो गया है। इस प्रथा के अनेक दुष्परिणाम हैं। कानून की दृष्टि में दहेज लेना और देना अपराध है। इसे रोकने के लिए हमें कटिबद्ध होना चाहिए।

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  • Question 12

    'नवभारत टाइम्स' नई दिल्ली के संपादक को दीक्षा की ओर से एक पत्र लिखिए, जिसमें सड़क-परिवहन के नियमों की उपेक्षा करने वालों के प्रति पुलिस के ढीले-ढाले रवैये पर चिंता व्यक्त की गई हो।


    अथवा


    फैशन में समय और धन का अपव्यय करने वाली छोटी बहन को बड़ी बहन सुषमा की ओर से एक प्रेरणाप्रद पत्र लिखिए।

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  • Question 13

    निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त क्रियाओं के भेद लिखिए –

    (i) शेखर कार में चलता है।

    (ii) माली ने मुझे आम खिलाए।

    (iii) पुलिस ने चोर पकड़वाया।

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  • Question 14

    निर्देशानुसार उत्तर दीजिए –

    (i) खूब मन लगाकर पढ़ो ताकि परीक्षा में प्रथम आओ।

    (समुच्चय बोधक शब्द छाँटिए)

    (ii) वह प्रात: उठकर स्नान करता है।

    (क्रिया विशेषण छाँटिए)

    (iii) आज धन के बिना कोई नहीं पूछता।

    (संबंध बोधक अव्यय छाँटिए)

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  • Question 15

    निम्नलिखित वाक्यों में निर्देशानुसार परिवर्तन कीजिए –


    (i) जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं वे अच्छे लगते हैं। (साधारण वाक्य में)

    (ii) सच बोलने वाले व्यक्ति को कोई डरा नहीं सकता। (मिश्र वाक्य में)

    (iii) आप द्वार पर बैठ कर उसकी प्रतीक्षा करें। (संयुक्त वाक्य में)

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  • Question 16

    वाच्य परिवर्तन कीजिए –

    (i) कमल ने सुन्दर कविताएँ लिखी हैं।

    (ii) क्या वे रोएँगे?

    (iii) नानी द्वारा कहानी सुनाई जाती थी।

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  • Question 17

    (क) निम्नलिखित समासों का विग्रह कीजिए तथा भेद भी बताइए – (2)

    नीलकमल, आजीवन


    (ख) निम्नलिखित शब्दों के एकाधिक अर्थ लिखिए – (1)

    कनक, पय


     

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