Board Paper of Class 10 2008 Hindi All India(SET 1) - Solutions
(ii) चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
(iii) यथासंभव प्रत्येक खण्ड के उत्तर क्रमश: दीजिए।
- Question 1
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
हमें संसार के सभी जीव-जंतुओं से प्यार करना चाहिए और उनके प्रति अपना व्यवहार भी मधुर रखना चाहिए। मानव-मात्र के प्रति हमें अपने हृदय को हर क्षण खुला ही रखना चाहिए। कहने का तात्पर्य है कि समाज का हर व्यक्ति –अमीर-गरीब, शिक्षित-अशिक्षित, परिचित-अपरिचित हमारे उचित स्नेह और सम्मान का अधिकारी है। साधारणत: किशोर एवं किशोरियों के जीवन में उनके माता-पिता, गुरुजन एवं उनके सहपाठियों का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। इनमें माता-पिता और गुरुजन प्रत्येक स्थिति में हमारी श्रद्धा और हमारे सत्कार के पात्र हैं। यही नहीं, ऐसा प्रत्येक व्यक्ति जो हमसे आयु में छोटा किन्तु विद्या, बुद्धि, पद एवं सामर्थ्य में हमसे श्रेष्ठ हो वह भी हमारे आदर का पात्र है।अपने से किसी गुण में श्रेष्ठ व्यक्ति से जब भी भेंट हो जाए तब उसके प्रति अभिवादन का भाव प्रकट करें। विनम्रतापूर्वक उनको प्रणाम करना ही सर्वश्रेष्ठ ढंग है। हम उनके चरण-स्पर्श करते हुए भी उन्हें प्रणाम कर सकते हैं। यदि हम बैठे हों और वे पहुँच जाएँ तो यथाशीघ्र हमें स्थान से उठकर खड़े हो जाना चाहिए। अभिवादन के पश्चात् उनकी आज्ञा पाकर उचित स्थान ग्रहण करें, किन्तु तभी जब उन्होंने स्थान ग्रहण कर लिया हो। उनके साथ बातचीत करते समय पूरी विनम्रता और शालीनता बरतें। क्रोध, क्षोभ अथवा घृणा का भाव मन में उठे तो उसे किसी भी रूप में प्रकट न होने दें। शब्द का प्रयोग भी सोच-समझकर करें। गुरुजनों से आँखें न मिलाएँ और न उनके किसी कथन को चुनौती दें। उनसे बातें करते समय अपनी आँखें सदैव नीची रखें। यदि किसी बात से आप असहमत हों और अपनी असहमति स्पष्ट करना चाहें तो बड़ी विनम्रता के साथ क्षमा-याचनापूर्वक असहमति प्रकट करें। इसका उन पर बड़ा ही अच्छा प्रभाव पड़ेगा और आपकी असहमति से उनको ज़रा भी कष्ट या क्रोध नहीं होगा। संभव है वे स्वयं आपसे सहमत हो जाएँ।
(i) हमारे स्नेह और सम्मान का अधिकारी कौन है? (2)(ii) किशोर-किशोरियों के जीवन में किनका महत्त्व अधिक है और क्यों? (2)
(iii) आयु में छोटे व्यक्तियों को आदर देने में यहाँ क्या कारण बताया गया है? (2)
(iv) किसी भी गुणी व्यक्ति के प्रति सम्मान का भाव कैसे प्रकट किया जाए? (2)
(v) बड़ों के साथ विनम्रता और शालीनता बरतने के लिए हमें क्या करना चाहिए? (2)
(vi) 'व्यवहार' शब्द का विशेषण लिखिए। (1)
(vii) उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए। (1)
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- Question 2
निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
ग्राम, नगर या कुछ लोगों का
नाम नहीं होता है देश
संसद्, सड़कों, आयोगों का
नाम नहीं होता है देश।
देश नहीं होता है केवल
सीमाओं से घिरा मकान।
देश नहीं होता है कोई
सजी हुई ऊँची दूकान।
देश नहीं क्लब जिसमें बैठे
करते रहें सदा हम मौज।
देश नहीं होता बंदूकें
देश नहीं होता है फ़ौज।
जहाँ प्रेम के दीपक जलते
वहीं हुआ करता है देश।
हर दिल में अरमान मचलते,
वहीं हुआ करता है देश।
सज्जन सीना ताने चलते,
वहीं हुआ करता है देश।
देश वही होता जो सचमुच,
आगे बढ़ता क़दम-क़दम।
धर्म, जाति, सीमाएँ जिसका,
ऊँचा रखते हैं परचम।
पहले हम खुद को पहचानें,
फिर पहचानें अपना देश
एक दमकता सत्य बनेगा,
नहीं रहेगा सपना देश।(i) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने किन्हें देश नहीं माना है? (2)
(ii) "पहले हम ख़ुद को पहचाने, फिर पहचानें अपना देश" – काव्य-पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। (2)
(iii) देश के मस्तक को ऊँचा रखने में किन-किन का योगदान होता है? (2)
(iv) प्रस्तुत काव्यांश का मूल भाव लिखिए। (2)
अथवा
मन समर्पित, तन समर्पित
और यह जीवन समर्पित
चाहता हूँ, देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ।
माँ, तुम्हारा ऋण बहुत है, मैं अकिंचन,
किंतु इतना कर रहा फिर भी निवेदन।
थाल में लाऊँ सजाकर भाल जब भी,
कर दया स्वीकार लेना वह समर्पण।
गान अर्पित, प्राण अर्पित,
रक्त का कण-कण समर्पित।
चाहता हूँ, देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ।
कर रहा आराधना मैं आज तेरी,
एक विनती तो करो स्वीकार मेरी।
भाल पर मल दो चरण की धूल थोड़ी,
शीश पर आशीष की छाया घनेरी।
स्वप्न अर्पित, प्रश्न अर्पित,
आयु का क्षण-क्षण समर्पित।
चाहता हूँ, देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ।
तोड़ता हूँ मोह का बंधन, क्षमा दो
गाँव मेरे, द्वार, घर, आँगन क्षमा दो।
देश का जयगान अधरों पर सजा है
देश का ध्वज हाथ में केवल थमा दो।
ये सुमन लो, यह चमन लो,
नीड़ का तृण-तृण समर्पित।
चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ।(i) मातृभूमि का हम पर क्या ऋण है? कवि उस ऋण को कैसे चुकाना चाहता है? (2)
(ii) कवि ने देश की आराधना में क्या निवेदन किया है और क्यों? स्पष्ट कीजिए। (2)
(iii) देश के प्रति कवि आयु का क्षण-क्षण समर्पित करने के बाद भी सन्तुष्ट क्यों नहीं है? (2)
(iv) प्रस्तुत काव्यांश का मुख्य भाव स्पष्ट कीजिए। (2)
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