Board Paper of Class 10 2010 Hindi Delhi(SET 2) - Solutions
(ii) चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
(iii) यथासंभव प्रत्येक खण्ड के उत्तर क्रमश: दीजिए।
- Question 1
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यनपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
हमारे यहाँ सारे देश में भारतीयता की भावना एक राष्ट्रव्यापी स्तर पर सदैव वर्तमान रही है। यह भावना किसी धर्म, राजनीति या भूगोल से संबद्ध न होकर मूलत: संस्कृति से संबद्ध थी। यदि भारतीयता के मूल स्रोत की बात की जाए तो हम कहेंगे कि यहाँ सदा आदर्श के प्रति निष्ठा रही है। यहाँ समय-समय पर कुछ महापुरूष हुए हैं, जिन्होंने देश के सामने कुछ आदर्श रखे। उन्होंने उन आदर्शों को अपने जीवन में अपनाया और वे सबके आदर्श बन गए। एक साझे आदर्श की इस भावना ने सारे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोए रखा है। अब हम चाहें इसे भारतीयता कहें या राष्ट्रीयता।
भारतीय आदर्शों ने सदा से यही शिक्षा दी है कि शक्ति का उपयोग दूसरों पर अत्याचार करने में नहीं, बल्कि पीड़ितों की रक्षा करने में करना चाहिए। हमारी निष्ठा मानव मूल्यों के प्रति रही है। गौतम के दर्शन ने भोग पर त्याग की विजय पर बल दिया। नानक, तुलसी, कबीर ने इन्हीं आदर्शों का सम्मान किया। रामकृष्ण, विवेकानन्द एवं गाँधी भी इन्हीं आदर्शों के प्रचारक थे। यह कहना भ्रामक होगा कि हमारी संस्कृति हमें कमज़ोर बनना सिखाती है। वह तो कहती है कि शक्तिशाली बनो, पर शक्ति का दुरूपयोग न करो। उसका उपयोग न्याय की रक्षा के लिए करो। देश-विदेश में गाँधी जी को जितना नाम मिला, उसका कारण यही था कि उन्हें भारतीय मूल्यों और आदर्शों का प्रतीक माना जाता था। उन्होंने देश में इन्हीं मानव-मूल्यों को जगाया और आत्मविश्वास की भावना का संचार किया। आदर्श के प्रति निष्ठा या प्रतिबद्धता ही किसी देश को एक सूत्र में पिरोती है। आज की समस्याओं का समाधान हमारे आदर्श मानवीय मूल्यों में ही निहित है। देश में इस समय जो विघटनकारी प्रवृत्तियाँ उभरती दिखाई दे रही हैं, उनका कारण भारतीय आदर्शों एवं मूल्यों की जानकारी का अभाव ही नहीं है, बल्कि अब हम में उदारता नहीं रही है, हमारा दृष्टिकोण संकुचित हो गया है, इस संकुचित मनोवृत्ति के कारण हम कमज़ोर होने लगे हैं। हम भूल गए हैं कि समाज की आधारशिला जितनी व्यापक होगी, उसके ऊपर उठने वाली इमारत भी उतनी ही ऊँची होगी।
(i) भारतीयता की भावना की क्या विशेषता रही है? (1)
(ii) समूचे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोए रखने वाली भावना को आप क्या कहना चाहेंगे और क्यों? (2)
(iii) शक्ति के प्रयोग के बारे में भारतीय आदर्श क्या सिखाते हैं? (1)
(iv) भारत के महापुरूषों का देश के लिए क्या योगदान रहा है? (1)
(v) भारतीय आदर्शों का प्रतीक किसको माना गया और क्यों? (1)
(vi) विघटनकारी प्रवृत्तियाँ क्या हैं? ये प्रवृत्तियाँ देश में क्यों उभर रही हैं? (2)
(vii) गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए। (1)
(viii) निम्नलिखित शब्दों के समानार्थी बताइए – (1)
राष्ट्र, विशाल।
(ix) आदर्श, व्यापक – शब्दों के विपरीतार्थी बताइए। (1)
(x) दुरूपयोग एवं प्रतिबद्धता शब्दों से उपसर्ग एवं प्रत्यय अलग कीजिए। (1)
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- Question 2
मैं चला, तुम्हें भी चलना है असिधारों पर,
सर काट हथेली पर लेकर बढ़ आओ तो।
इस युग को नूतन स्वर तुमको ही देना है,
अपनी क़ूवत को आज जरा आजमाओ तो।
तुम बना सकोगे भूतल का इतिहास नया,
मैं गिरे हुओं को, बढ़कर गले लगाऊँगा।
क्यों नीच-ऊँच, कुल, जाति, रंग का भेद-भाव?
मैं रूढ़िवाद का कल्मष महल ढहाऊँगा।तुम बढ़ा सकोगे कदम ज्वलित अंगारों पर?
मैं काँटों पर बिंधते-बिंधते बढ़ जाऊँगा।
सागर की विस्तृत छाती पर हो ज्वार नया
मैं कूद स्वयं पतवार हाथ में थामूँगा।है अगर तुम्हें यह भूख 'मुझे भी जीना है'
तो आओ मेरे साथ नींव में गड़ जाओ।
ऊपर से निर्मित होना है आनंद महल
मरते-मरते भी दुनिया में कुछ कर जाओ।(i) यह कविता किसे संबोधित है? कवि उन्हें तलवार की धार पर चलने को क्यों कह रहा है?
(ii) 'भूतल का नया इतिहास' कैसे बनाया जा सकता है?
(iii) देश और समाज के कल्याण के लिए कवि किन-किन चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है?
(iv) है अगर तुम्हें यह भूख 'मुझे भी जीना है'
तो आओ मेरे साथ नींव में गड़ जाओ।
उपर्युक्त काव्यांश का आशय समझाइए।अथवा
तुम कुछ न करोगे तो भी विश्व चलेगा ही,
फिर क्यों गर्वीले बन लड़ते अधिकारों को?
सो गर्व और अधिकार हेतु लड़ना छोड़ो,
अधिकार नहीं, कर्तव्य-भाव का ध्यान करो!है तेज वही, अपने सान्निध्य मात्र से जो
सहचर-परिचर के आँसू तुरत सुखाता है,
उस मन को हम किस भाँति वस्तुत: सु-मन कहें,
औरों को खिलता देख, न जो खिल जाता है?काँटे दिखते हैं जब कि फूल से हटता मन,
अवगुण दिखते हैं जब कि गुणों से आँख हटे;
उस मन के भीतर दुख कहो क्यों आएगा;
जिस मन में हों आनंद और उल्लास डटे!यह विश्व-व्यवस्था अपनी गति से चलती है,
तुम चाहो तो इस गति का लाभ उठा देखो,
व्यक्तित्व तुम्हारा यदि शुभ गति का प्रेमी हो
तो उसमें विभु का प्रेरक हाथ लगा देखो!(i) कवि अधिकारों की चिंता न करने और कर्तव्य-भाव का ध्यान करने के लिए क्यों कह रहा है?
(ii) 'तेज' और 'सुमन' के क्या लक्षण बताए गए हैं?
(iii) दुख कैसे मन के भीतर प्रवेश नहीं कर पाता और क्यों?
(iv) आशय स्पष्ट कीजिए :
'काँटे दिखते हैं जब कि फूल से हटता मन,
अवगुण दिखते हैं जब कि गुणों से आँख हटे'
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- Question 3
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखिए :
(क) ग्राम्य जीवन – नगरों की जगमगाहट और गहमा-गहमी से दूर, कच्चे-पक्के घर, सीधे-सादे निवासी, छोटे-बड़े खेत, खेतों में फैली हरियाली, आनन्दप्रद परिवेश।
(ख) बढ़ती आबादी – एक विकराल समस्या : बढ़त के कारण, देश की आर्थिक स्थिति, संसाधनों एवं योजनाओं पर इसका दुष्प्रभाव, बढ़त रोकने के उपाय, समाधान के प्रयास।
(ग) रेल के अनारक्षित डिब्बे में यात्रा – यात्रा का प्रयोजन, डिब्बे के भीतर और बाहर का दृश्य, छोटे-बड़े स्टेशन, प्लेटफार्म के दृश्य, भीड़ के कारण डिब्बे का दमघोंटू वातावरण।
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- Question 4
यातायात-व्यवस्था को सुधारने के अभियान में नगर की यातायात पुलिस को ग्रीष्मावकाश में आप अपनी सेवाएँ समर्पित करना चाहते हैं। पुलिस अधीक्षक (यातायात) को इस आशय का एक पत्र लिखिए।
अथवा
छात्रावास में रहने वाले छोटे भाई को एक पत्र लिखिए जिसमें योग एवं प्राणायाम का महत्व बताया गया हो और नियमित रूप से इनका अभ्यास करने का सुझाव भी दिया गया हो।
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- Question 5
(क) क्रियापद छाँटकर उनके भेद भी लिखिए : (2)
(i) इस जंगल में पशु भी रहते हैं।
(ii) अजीब उलझन को तुम सुलझाओ।
(ख) दो अव्यय पद छाँटकर उनके भेद भी लिखिए : (2)
(i) दीपक रातभर जलता रहा।
(ii) वह आया किंतु पानी पीकर चला गया।
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- Question 6
- Question 7
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार बदलिए :
(i) निर्भीक के लिए कुछ भी भयावना नहीं है। (मिश्र वाक्य में)
(ii) तेज चलने पर भी हम गाड़ी नहीं पकड़ सके। (संयुक्त वाक्य में)
(iii) जो मनुष्य अनपढ़ है उसके लिए इस प्रश्न का उत्तर संभव नहीं। (सरल वाक्य में)
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- Question 8
निर्देशानुसार वाच्य बदलिए :
(i) आप नहीं बोल पाएँगे। (भाव वाच्य में)
(ii) सबको पूरी बात समझा दी है। (कर्म वाच्य में)
(iii) प्रकृति द्वारा हमारे देश को नदियों का वरदान दिया गया है। (कर्तृ वाच्य में)
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- Question 9
निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकारों का नामोल्लेख कीजिए :
(i) देखूँ उसे मैं नित बार-बार,
मानो मिला मित्र मुझे पुराना।
(ii) प्रीति नदी में पाऊँ न बोर्यौ।
(iii) मन काँचै नाचै वृथा, साँचे राचे राम।
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- Question 10
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
फ़सल क्या है?
और तो कुछ नहीं है वह
नदियों के पानी का जादू है वह
हाथों के स्पर्श की महिमा है
भूरी-काली-संदली मिट्टी का गुण धर्म है
रूपांतर है सूरज की किरणों का
सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का।(i) फ़सल को नदियों के पानी का जादू क्यों कहा गया है?
(ii) फ़सल हाथों के स्पर्श की महिमा कैसे है?
(iii) भाव स्पष्ट कीजिए – सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का!
अथवा
हमारैं हरि हारिल की लकरी।
मन क्रम वचन नंद-नंदन उर, यह दृढ़ करि पकरी।
जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, कान्ह-कान्ह जक री।
सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यौं करूई ककरी।
सु तौ ब्याधि हमकौं लै आए, देखी सुनी न करी।
यह तौ 'सूर' तिनहिं लै सौंपौ, जिनके मन चकरी।।(i) श्रीकृष्ण को 'हारिल की लकड़ी' क्यों कहा है?
(ii) गोपियों को योग की बातें कड़वी ककड़ी-सी क्यों लगती हैं?
(iii) 'जिनके मन चकरी' कथन का भाव स्पष्ट कीजिए और बताइए कि योग की बातें कैसे प्राणियों को सुनानी चाहिए?
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- Question 11
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन के उत्तर दीजिए : (3 + 3 + 3)
(क) बच्चे की 'दंतुरित मुसकान' का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ा?
(ख) 'राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद' पाठ में लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या-क्या विशेषताएँ बताई हैं?
(ग) देव रचित 'कवित्त' के आधार पर बताइए कि चाँदनी रात की सुंदरता को कवि ने किन-किन रूपों में देखा है?
(घ) 'कन्यादान' कविता में माँ ने क्यों कहा - 'लड़की होना पर लड़की जैसी दिखाई मत देना।'
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- Question 12
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
पाँयनि नूपुर मंजु बजैं, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
साँवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
माथे किरीट बड़े दृग चंचल, मंद हँसी मुखचंद जुन्हाई।
जै-जग-मंदिर-दीपक सुंदर, श्रीब्रजदूलह 'देव' सहाई।(i) यह काव्यांश किस भाषा में रचा गया है?
(ii) 'अनुप्रास' अलंकार का एक उदाहरण चुनकर लिखिए।
(iii) 'जग-मंदिर-दीपक' का भाव-सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए।
(iv) 'मुख-चंद-जुन्हाई' में कौन सा अलंकार है?
(v) काव्यांश किस छंद में लिखा गया है?
अथवा
छाया मत छूना
मन, होगा दुख दूना।
जीवन में हैं सुरंग सुधियाँ सुहावनी
छवियों की चित्र-गंध फैली मनभावनी;
तन-सुगंध शेष रही, बीत गई यामिनी,
कुंतल के फूलों की याद बनी चाँदनी।
भूली-सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण-
छाया मत छूना
मन, होगा दुख दूना।(i) 'छाया' शब्द किस संदर्भ में प्रयुक्त हुआ है?
(ii) अनुप्रास अलंकार का एक उदाहरण चुनकर लिखिए।
(iii) कविता की एक भाषागत विशेषता बताइए।
(iv) बीती यादों को कवि ने किन शब्दों से चित्रित किया है?
(v) 'क्षण' के लिए प्रयुक्त 'जीवित' विशेषण के सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
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- Question 13
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
बालगोबिन भगत की मौत उन्हीं के अनुरूप हुई। वह हर वर्ष गंगा-स्नान करने जाते। स्नान पर उतनी आस्था नहीं रखते, जितनी संत-समागम और लोक-दर्शन पर। पैदल ही जाते। करीब तीस कोस पर गंगा थी। साधु को संबल लेने का क्या हक? और गृहस्थ किसी से भिक्षा क्यों माँगे? अत: घर से खाकर चलते, तो फिर घर पर ही लौटकर खाते। रास्ते भर खँजड़ी बजाते, गाते, जहाँ प्यास लगती, पानी पी लेते। चार-पाँच दिन आने-जाने में लगते; किन्तु इस लम्बे उपवास में भी वही मस्ती! अब बुढ़ापा आ गया था, किन्तु टेक वही जवानी वाली।
(i) 'बालगोबिन भगत की मौत उन्हीं के अनुरूप हुई' – कथन का आशय समझाइए।
(ii) 'संबल' शब्द का अर्थ स्पष्ट कीजिए और बताइए कि भगत को संबल लेने का हक क्यों नहीं था?
(iii) आशय स्पष्ट कीजिए - 'बुढ़ापा आ गया था किन्तु टेक वही जवानी वाली।'
अथवा
मैं नहीं जानता इस संन्यासी ने कभी सोचा था या नहीं कि उसकी मृत्यु पर कोई रोएगा। लेकिन उस क्षण रोने वालों की कमी नहीं थी। (नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है।) इस तरह हमारे बीच से वह चला गया जो हममें से सबसे अधिक छायादार, फल-फूल गंध से भरा और सबसे अलग, सबका होकर, सबसे ऊँचाई पर, मानवीय करूणा की दिव्य चमक में लहलहाता खड़ा था। जिसकी स्मृति हम सबके मन में, जो उनके निकट थे, किसी यज्ञ की पवित्र आग की आँच की तरह आजीवन बनी रहेगी। मैं इस पवित्र ज्योति की याद में श्रद्धानत हूँ।
(i) अर्थ स्पष्ट कीजिए - 'नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है।'
(ii) 'सबसे अधिक छायादार, फल-फूल गंध से भरा......' किसे और क्यों कहा गया है?
(iii) यज्ञ की आग की क्या विशेषता होती है? संन्यासी की स्मृति की तुलना इस आग की 'आँच' से क्यों की गई है?
- Question 14
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन के उत्तर दीजिए : (3 + 3 + 3)
(क) शहरों के चौराहों पर किसी प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का क्या उद्देश्य होता है? उस मूर्ति के प्रति लोगों के क्या कर्तव्य होने चाहिए? 'नेतीजी का चश्मा' पाठ को दृष्टि में रखते हुए उत्तर दीजिए।
(ख) 'एक कहानी यह भी' – आत्मकथ्य की लेखिका के व्यक्तित्व को बनाने में किस-किस का, किन रूपों में योगदान रहा?
(ग) 'स्त्री-शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन' पाठ में स्त्री शिक्षा के विरोधियों ने किन तर्कों के आधार पर अपने पक्ष को पुष्ट किया है?
(घ) 'नौबतखाने में इबादत' पाठ के आधार पर उस्ताद विस्मिल्ला खाँ का प्रारम्भिक परिचय देते हुए बताइए कि उनमें संगीत के प्रति आसक्ति किनके गायन और संगीत को सुनकर हुई थी?
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- Question 15
(क) 'संस्कृति' पाठ के लेखक ने वास्तविक अर्थों में संस्कृत व्यक्ति किसे कहा है और क्यों? (3)
(ख) 'लखनवी अंदाज़' पाठ के नवाब साहब के किन हावभावों से लगता है कि वे बातचीत के लिए उत्सुक नहीं हैं? (2)
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- Question 16
निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए :
(क) 'माता का आँचल' पाठ के शीर्षक की उपयुक्तता पर विचार कीजिए।
(ख) झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस तरह सम्मोहित कर रहा था? 'साना-साना हाथ जोड़ि' पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
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- Question 17
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन के उत्तर दीजिए : (2 + 2 + 2)
(क) 'और देखते ही देखते नई दिल्ली का कायापलट होने लगा' – नई दिल्ली के कायापलट के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए गए होंगे? 'जॉर्ज पंचम की नाक' पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(ख) प्रकृति ने जल-संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है? 'साना-साना हाथ जोड़ि' पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
(ग) 'एही ठैंयाँ झुलनी हेरानी हो रामा' पाठ के आधार पर बताइए कि भारत के स्वाधीनता आंदोलन में दुलारी ने अपना योगदान किस प्रकार किया?
(घ) 'मैं क्यों लिखता हूँ' पाठ के लेखक ने अपने आपको हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता किस तरह महसूस किया?
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