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पत्र लेखन - औपचारिक पत्र

ए.टी.एम. मशीन से प्राप्त होने वाले नकली नोटों की समस्या पर संपादक को पत्र लिखिए।

सी-23, करोलबाग,
नई दिल्ली।
दिनांक:............

सेवा में,
मुख्य संपादक,
हिन्दुस्तान टाइम्स,
बहादुरशाह जफ़र मार्ग,
दिल्ली।

विषय: ए.टी.एम. मशीन से प्राप्त होने वाले नकली नोटों की समस्या दर्शाने हेतु पत्र।

महोदय,
मैं भारत का एक ज़िम्मेदार नागरिक हूँ। मैं आपके प्रसिद्ध समाचार-पत्र द्वारा ए.टी.एम. मशीन से प्राप्त होने वाले नकली नोटों की समस्या पर प्रशासन और सरकार का ध्यान आकृष्ट करवाना चाहता हूँ।

आज हर जगह नकली नोटों का धंधा फल-फूल रहा है। आप किसी भी दुकान या स्थान पर चले जाएँ आपको नकली नोट मिल ही जाएँगे। भारत की आर्थिक व्यवस्था को नकली नोटों का जाल नुकसान पहुँचा रहा है। साथ ही भारत में नकली नोटों का जाल इस तरह फैल गया है कि बैंक भी इससे अछूते नहीं रह गए हैं। आम आदमी अपनी ज़रूरत के अनुसार बैंक द्वारा दी गई ए.टी.एम. सुविधा से रुपये निकाल लेता है। वह इन पर इतना विश्वास करता है कि इन नोटों को लेते हुए देखता भी नहीं है।

इस विश्वास के चलते वह मारा जाता है। उसके हाथ लगते हैं, तो नकली नोट। बैंक के पास जाएँ, तो वह इस बात की ज़िम्मेदारी लेने से मना कर देते हैं। इस कारण आम आदमी या तो पुलिसवालों के हाथों तंग किया जाता है या फिर उन नोटों को चलाने के लिए मजबूर हो जाता है।

अत: आपसे निवेदन है कि आप इस समस्या की ओर प्रशासन का ध्यान दिलवाएँ और इस समस्या से हमारे शहर को मुक्त करवाएँ।

धन्यवाद,

भवदीय,
उमेश बंसलसी-23, करोलबाग,
नई दिल्ली।
दिनांक:............

सेवा में,
मुख्य संपादक,
हिन्दुस्तान टाइम्स,
बहादुरशाह जफ़र मार्ग,
दिल्ली।

विषय: ए.टी.एम. मशीन से प्राप्त होने वाले नकली नोटों की समस्या दर्शाने हेतु पत्र।

महोदय,
मैं भारत का एक ज़िम्मेदार नागरिक हूँ। मैं आपके प्रसिद्ध समाचार-पत्र द्वारा ए.टी.एम. मशीन से प्राप्त होने वाले नकली नोटों की समस्या पर प्रशासन और सरकार का ध्यान आकृष्ट करवाना चाहता हूँ।

आज हर जगह नकली नोटों का धंधा फल-फूल रहा है। आप किसी भी दुकान या स्थान पर चले जाएँ आपको नकली नोट मिल ही जाएँगे। भारत की आर्थिक व्यवस्था को नकली नोटों का जाल नुकसान पहुँचा रहा है। साथ ही भारत में नकली नोटों का जाल इस तरह फैल गया है कि बैंक भी इससे अछूते नहीं रह गए हैं। आम आदमी अपनी ज़रूरत के अनुसार बैंक द्वारा दी गई ए.टी.एम. सुविधा से रुपये निकाल लेता है। वह इन पर इतना विश्वास करता है कि इन नोटों को लेते हुए देखता भी नहीं है।

इस विश्वास के चलते वह मारा जाता है। उसके हाथ लगते हैं, तो नकली नोट। बैंक के पास जाएँ, तो वह इस बात की ज़िम्मेदारी लेने से मना कर देते हैं। इस कारण आम आदमी या तो पुलिसवालों के हाथों तंग किया जाता है या फिर उन नोटों को चलाने के लिए मजबूर हो जाता है।

अत: आपसे निवेदन है कि आप इस समस्या की ओर प्रशासन का ध्यान दिलवाएँ और इस समस्या से हमारे शहर को मुक्त करवाएँ।

धन्यवाद,

भवदीय,
उमेश बंसल

पता: ...............
दिनांक: ................

सेवा में,
संपादक महोदय,
हिन्दुस्तान टाइम्स,
बहादुरशाह ज़फ़र मार्ग,
नई दिल्ली।

विषय: दिल्ली में पेट्रोल की बढ़ रही कीमतों पर चिन्ता व्यक्त करने हेतु पत्र।

महोदय,
'दिल्ली' भारत की राजधानी कहलाती है। इस महानगर में लोग अपने सपनों को साकार करने के लिए आते हैं। परंतु आज यहाँ पर लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसना पड़ता है; जैसे- रहने के लिए घर नहीं हैं, पीने के लिए साफ़ पानी नहीं है, खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता पर विश्वास नहीं किया जा सकता, बिजली जो आती कम है पर जाती ज्यादा है, बढ़ती मंहगाई ने सबको तंग किया हुआ है इत्यादि।

इस मंहगाई का सबसे ज्यादा असर पेट्रोल की कीमतों पर दिखाई देने लगा है। कुछ समय से बार-बार पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी हो रही है। सरकार पेट्रोल कंपनियों का घाटा पूरा करने के लिए आम आदमी के ऊपर भार बढ़ा रही है। इस कारण से आम आदमी का जीवन मुश्किल हो गया है। आमदनी इतनी तेज़ी से नहीं बढ़ रही जितनी तेज़ी से पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है। पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी होती है, तो बस या टैक्सी आदि के किरायों में अपने आप बढ़ोतरी हो जाती है। आम आदमी की आमदनी का बढ़ा हिस्सा किराया देने में ही निकल जाता है। सरकार लोगों की परेशानियों को अनदेखा कर रही है।

सरकार से अनुरोध है कि इन समस्याओं की तरफ़ बड़े ग़ौर से ध्यान देकर सुलझाने की कोशिश करें।

धन्यवाद,

भवदीय,
धनपत मिश्रा
पता: ...............
दिनांक: ................

सेवा में,
संपादक महोदय,
हिन्दुस्तान टाइम्स,
बहादुरशाह ज़फ़र मार्ग,
नई दिल्ली।

विषय: दिल्ली में पेट्रोल की बढ़ रही कीमतों पर चिन्ता व्यक्त करने हेतु पत्र।

महोदय,
'दिल्ली' भारत की राजधानी कहलाती है। इस महानगर में लोग अपने सपनों को साकार करने के लिए आते हैं। परंतु आज यहाँ पर लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसना पड़ता है; जैसे- रहने के लिए घर नहीं हैं, पीने के लिए साफ़ पानी नहीं है, खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता पर विश्वास नहीं किया जा सकता, बिजली जो आती कम है पर जाती ज्यादा है, बढ़ती मंहगाई ने सबको तंग किया हुआ है इत्यादि।

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