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वाच्य

वाच्य की परिभाषा

वाच्य :- क्रिया के जिस रुप से यह ज्ञात हो कि वाक्य में क्रिया के विधान का मुख्य विषय कर्ता है, कर्म है या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं;

जैसे -

(i) लड़के गेंद से खेल रहे हैं।

(ii) लड़के द्वारा गेंद से खेला जा रहा है।

यहाँ पर एक ही वाक्य को दो अलग-अलग तरह से बताया गया है। पहले वाक्य में कर्ता प्रधान है लड़के कर्ता है तथा दूसरे वाक्य में भाव प्रधान है।

इसी आधार पर वाच्य को तीन भागों में बाँटा गया है -

(1) कर्तृवाच्य

(2) कर्मवाच्य

(3) भाववाच्य

वाच्य :- क्रिया के जिस रुप से यह ज्ञात हो कि वाक्य में क्रिया के विधान का मुख्य विषय कर्ता है, कर्म है या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं;

जैसे -

(i) लड़के गेंद से खेल रहे हैं।

(ii) लड़के द्वारा गेंद से खेला जा रहा है।

यहाँ पर एक ही वाक्य को दो अलग-अलग तरह से बताया गया है। पहले वाक्य में कर्ता प्रधान है लड़के कर्ता है तथा दूसरे वाक्य में भाव प्रधान है।

इसी आधार पर वाच्य को तीन भागों में बाँटा गया है -

(1) कर्तृवाच्य

(2) कर्मवाच्य

(3) भाववाच्य

जिन वाक्यों में 'कर्ता' प्रधान होता है, वे कर्तृवाच्य होते हैं। इन वाक्यों में क्रिया का सीधा सम्बन्ध कर्ता से होता है; जैसे -

(i) हम बाज़ार जाएँगे।

(ii) राधा कल स्कूल नहीं जाएगी।

(iii) योगेश ने चित्र बनाया है।

कर्तृवाच्य में सकर्मक तथा अकर्मक क्रिया दोनों प्रकार की क्रियाओं का प्रयोग किया जाता है।

जिन वाक्यों में 'कर्ता' प्रधान होता है, वे कर्तृवाच्य होते हैं। इन वाक्यों में क्रिया का सीधा सम्बन्ध कर्ता से होता है; जैसे -

(i) हम बाज़ार जाएँगे।

(ii) राधा कल स्कूल नहीं जाएगी।

(iii) योगेश ने चित्र बनाया है।

कर्तृवाच्य में सकर्मक तथा अकर्मक क्रिया दोनों प्रकार की क्रियाओं का प्रयोग किया जाता है।

जिन वाक्यों में 'कर्म' प्रधान होता है, वे कर्मवाच्य होते हैं। इन वाक्यों में क्रिया का सीधा सम्बन्ध कर्म से होता है। कर्मवाच्य में क्रियाएँ कर्म के अनुसार होती हैं; जैसे -

(i) हमसे बाज़ार नहीं जाया जाएगा।

(ii) राधा द्वारा कल स्कूल नहीं जाया जाएगा।

(iii) ज्योति द्वारा चित्र बनाया गया।

कर्मवाच्य में केवल सकर्मक क्रिया का प्रयोग किया जाता है।

जिन वाक्यों में 'कर्म' प्रधान होता है, वे कर्मवाच्य होते हैं। इन वाक्यों में क्रिया का सीधा सम्बन्ध कर्म से होता है। कर्मवाच्य में क्रियाएँ कर्म के अनुसार होती हैं; जैसे -

(i) हमसे बाज़ार नहीं जाया जाएगा।

(ii) राधा द्वारा कल स्कूल नहीं जाया जाएगा।

(iii) ज्योति द्वारा चित्र बनाया गया।

कर्मवाच्य में केवल सकर्मक क्रिया का प्रयोग किया जाता है।

जिन वाक्यों में कर्ता तथा कर्म दोनों ही प्रमुख नहीं होते, परन्तु भाव प्रधान होता है, वे भाववाच्य कहलाते हैं। इन वाक्यों में क्रिया में वचन तथा काल का प्रयोग भाव के अनुसार होता है; जैसे -

(i)

बच्चों के द्वारा जाया जा रहा है।

(ii) चलो ज़रा खेला जाए।

(iii) पक्षियों द्वारा रात में सोया जाता है।

भाववाच्य में कर्म नहीं होता है। इसमें अकर्मक क्रिया का प्रयोग होता है।

जिन वाक्यों में कर्ता तथा कर्म दोनों ही प्रमुख नहीं होते, परन्तु भाव प्रधान होता है, वे भाववाच्य कहलाते हैं। इन वाक्यों में क्रिया में वचन तथा काल का प्रयोग भाव के अनुसार होता है; जैसे -

(i)

बच्चों के द्वारा जाया जा रहा है।

(ii) चलो ज़रा खेला जाए।

(iii) पक्षियों द्वारा रात में सोया जाता है।

भाववाच्य में कर्म नहीं होता है। इसमें अकर्मक क्रिया का प्रयोग होता है।

कर्मवाच्य और भाववाच्य में अंतर

कर्मवाच्य :-

(i) राम से केला खाया जाता है

कर्ता कर्म क्रिया

(ii) महिमा द्वारा अखबार पढ़ा जाता है।

कर्ता कर्म क्रिया

भाववाच्य :-

(i) राम से चला नहीं जाता है

कर्ता क्रिया

(ii) महिमा से सोया जाता है

कर्ता क्रिया

इन दोनों …

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