Anuched on 'parhit updesh kushal bahutere' plssss fast experts

मित्र!
आपके प्रश्न का उतर इस प्रकार है।-​

दूसरे को उपदेश देने वाले तो बहुत होते हैं मगर उस पर अमल करने वाले बहुत कम होते हैं। जो बातें हम दूसरों को करने के लिए कहते हैं, वह स्वयं करना पड़े, तो हम आँखें चुरा लेते हैं। जीवन एक कड़ा संघर्ष है। हर मनुष्य के जीवन में विषम परिस्थितियाँ आती हैं। वह मनुष्य क्या करे और क्या न करे उसे कुछ समझ नहीं आता है। ऐसे में उसे उपदेश देने वाले हज़ार आ जाते हैं। मगर जब उपदेश देने वाले मनुष्य उस स्थिति में आते हैं, तो उनकी दशा ही कुछ और होती है। अतः किसी को उपदेश देने से पहले सोच-समझ लें।

  • 2
What are you looking for?