plsprovide me with an essay onकुटीर उद्योग पर आधुनिक तकनिक का प्रभाव

भारत में सदैव से कुटीर उद्योग-धंधों का  बोलबाला रहा है। यही कारण है कि प्राचीन भारत अपने सामान के लिए विदेशों तक प्रसिद्ध था। ये चीन, यूनान, मिस्त्र आदि देशों में अपनी पहचान बनाए हुए  थे। इसमें मसाले, हाथ से बने सामान, कालीन इत्यादि थे। भारत की सारे विश्व में धाक थी। भारतीयों की इसी प्रसिद्धि के कारण अंग्रेज़ों ने भारत की ओर रुख किया। वे व्यापार के लिए आए और यहाँ की समुद्धि देखकर धीरे-धीरे इसे अपना गुलाम बना लिया। उन्होंने भारत को गुलाम बनाया और यहाँ के कच्चे माल पर अपना अधिकार कर लिया। इसके साथ ही उन्होंने भारत के कुटीर उद्योगों का नाश कर दिया। आज़ादी के बाद आशा की गई थी कि भारत का कुटीर उद्योग दोबारा से साँस लेगा परन्तु आधुनिक तकनीकी ज्ञान ने उस उम्मीद को भी धुँधला कर दिया।
हाथ से बने सामान को बनने में समय अधिक लगता था तथा बाज़ार में उसकी कीमत अधिक हुआ करती थी। इसके  विपरीत तकनीक के माध्यम से उसे फैक्टरियों में कम समय और कम दाम में बनाया जाने लगा। बाज़ार में इसकी कम कीमत ने लोगों का रूझान अपनी ओर किया। परिणाम कुटीर उद्योग के लिए संकट उभरने लगा। जो कुटीर उद्योग बचे हुए थे, वह  दम  तोड़ने लगे। जहाँ तकनीकी ज्ञान भारत को विश्व के विकसित देशों की श्रेणी में ला रहा है, वहीं वे भारत के कुटीर उद्योग-धंधों के लिए क्रब का काम कर रहा  है। तकनीक के कारण ही कारखानें, फैक्टरियाँ आदि अस्तित्व मेंं आएँ हैं। इन्होंने भारत की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई परन्तु उसकी कीमत कुटीर उद्योग धंधों ने चुकायी है।
आज सरकार इस ओर से सतर्क हो गई है। अब वह दोबारा से इन कुटीर उद्योग को पुनः जीवित करने के लिए तत्पर है। छोटे व्यापारियों का ध्यान भी पुनः इस ओर गया है। सरकार द्वारा अब इन्हें पुर्नजीवित करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। व्यापारियों का प्रोत्साहन बढ़ाया जा रहा है।
 

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