Board Paper of Class 10 2006 Hindi Delhi(SET 2) - Solutions
(ii) चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
(iii) यथासंभव प्रत्येक खण्ड के उत्तर क्रमश: दीजिए।
- Question 1
निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
'गोदान' में होरी की करुण मृत्यु के पश्चात् हृदय एकबारगी विदीर्ण हो गया था। 'गोदान' एक नहीं अनेक बार पढ़ा और दिल हर बार चाक-चाक हुआ। संवेदना-विचलित हृदय कहता था, "काश होरी न मरे!" हम उसे क्यों जीवित देखना चाहते थे? क्योंकि वह इतना अच्छा इंसान था। पाठक को प्रतीत होता था कि होरी की हार उसकी अपनी हार है, मानवता की हार है।
यह एक असहनीय विडंबना प्रतीत होती थी कि निरीह होरी का शोषण करने वाली दातादीन प्रभृति जोंकें तो जीवित थीं, जबकि वह सरल, प्रेममय और धर्मभीरु इंसान वृद्धावस्था में भी गिट्टी तोड़ते-तोड़ते मर गया।
फिर भी, एक बार मर गया तो बात खत्म हो जानी चाहिए थी। भला हो प्रेमचंद जी की धन्य लेखनी का कि बरसों तक होरी की मृत्यु सालती रही। समय के साथ-साथ वह पीड़ा हलकी होती गई, विस्मृत-सी हो गई। 'गोदान' पढ़े हुए आज लगभग 30 वर्ष हो गए, फिर भी कभी-कभी कल्पना में धनिया की वह मूर्ति साकार करुणा बन कर आँखों के सामने आ जाती है जब वह क्रूर पंडित की हथेली पर सुतली कात कर मिले पैसे रख देती है और "महाराज, यही है इनका गोदान" कह कर पछाड़ खाकर गिर जाती है। होरी तो जीवन से छुटकारा पा गया किंतु क्या हम होरी से छुटकारा पा सके?
भारत की क्रूर नौकरशाही को होरी को एक बार मृत्यु के मुख ढकेल कर संतोष नहीं हुआ। आश्चर्य की बात है कि भारत में होरी रोज़-रोज़ मर रहा है, रक्तबीज की तरह शत-सहस्र रुप धारण करके मर रहा है। आपको विश्वास न हो तो अखबार को ज़रा आँख खोल कर पढ़िए तो आपको पन्ने-पन्ने पर होरी मरते हुए दिखाई देंगे। मैं विदर्भ की बात लेती हूँ। इस क्षेत्र में जून 2005 से अक्टूबर के तीसरे सप्ताह तक 1000 किसानों ने आत्महत्या की। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और आंध्रप्रदेश के आँकड़े भी कमोबेश इतने ही दर्द भरे और शर्मनाक हैं। इस बार विदर्भ के गाँवों में अँधेरी दीपावली न हुई। भोजन जुटाने का साधन न हो, कर्ज़ चुकाने की हैसियत न हो, बच्चों की सिसकती आँखें दो रोटी नहीं, बस दो टुकड़े माँगती हों, तब कैसी दीवाली, कैसा त्यौहार?
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विदर्भ के किसानों के लिए हज़ारों-करोड़ों के अनुदान का घोष किया। उसके बाद से 20 अक्टूबर तक 392 किसानों ने आत्महत्या की। सभी जानते हैं कि सरकारी सहायता का अधिकाँश घूसखोर अफ़सरों की जेबों में पहुँचता है। साथ ही ये नौकरशाह सहायता-वितरण का अतिरिक्त कार्यभार क्यों उठाएँ, जबकि वे काम करें या न करें, उनका वेतन-भत्ता, सुविधाएँ संविधान द्वारा सुरक्षित हैं। कुछ वर्ष पूर्व उड़ीसा में आए चक्रवात में देश के सहृदय नागरिकों द्वारा भेजी गई सहायता सामग्री के ट्रक के ट्रक इन सरकारी नौकरों ने अपने उपयोग में आने वाली वस्तुएँ निकाल कर, शेष सामग्री को वितरण के सिरदर्द से बचने के लिए, नदियों के तलों में द़फन कर दिया था। क्या सरकारी नौकरी में आते ही अधिकांश व्यक्तियों की संवेदना तथा नैतिकता मर जाती है? 14 दिसंबर 2006 के डेकेन क्रॉनिकल में नैशनल एग्रीकल्चरल कुऑपरेटिव मार्केटिंग फ़ैडरेशन ऑफ़ इंडिया द्वारा किए गए घोटालों का उल्लेख है जिन्होंने एम.एफ.हुसैन का एक चित्र 100 करोड़ रुपयों में खरीदा है। सेना को मनुष्यों के खाने के अयोग्य दाल बेची है। लेख के अनुसार भ्रष्ट अफ़सरों ने हज़ारों करोड़ रुपयों की संपत्ति बना ली है। सहस्रों किसान आत्महत्या करते रहें, किंतु इन भ्रष्ट अधिकारियों की धन-लिप्सा में कोई कमी नहीं आती।
विदर्भ जन आंदोलन समिति का कहना है कि इस वर्ष की खरीफ़ फसल के बाद स्थिति पिछले वर्ष से अधिक बिगड़ गई है। गत वर्ष 1 जून से 20 अक्टूबर तक विदर्भ के केवल 91 किसानों ने आत्महत्या की थी जबकि इस वर्ष इतने ही समय में 460 किसानों ने आत्महत्या की। सरकार ने कपास के लिए जो कीमत निर्धारित की है उससे स्थिति और भी बिगड़ गई है। 1971 में एक किसान एक क्विंटल कपास की बिक्री के द्वारा एक तोला सोना खरीद सकता था, इसी कारण कपास को सफ़ेद सोना कहा जाता था। आज एक क्विंटल कपास बेच कर मात्र एक चौथाई तोला सोना खरीदा जा सकता है; अर्थात विगत 35 वर्षों में कपास के किसानों की आय घट कर एक चौथाई रह गई है।
इस विंडबना का मूल वही है जो होरी के काल में था–कर्ज़ और कर्ज़ पर सूद की 400-500 प्रतिशत दर। जी हाँ, आज भारतीय गाँवों में ब्याज की दरे इतनी अधिक हैं कि आज के खटमल महाजन दातादीन प्रभृति प्रेमचंद कालीन सूदखोरों को बहुत पीछे छोड़ देते हैं। मेरे एक संबंधी बहुत सच्चे समाजसेवी हैं। वे 500 गाँवों के निवासियों को सूदखोरों के चंगुल से मुक्त कराने में एक बड़ी सीमा तक सफल हुए हैं। उन्होंने चक्रवर्ती ब्याज के जो आँकड़े मुझे सुनाए उन्हें सुन कर दिल सकते में आ गया। हाय, मुहम्मद यूनूस सदृश व्यक्ति भारत के गाँव-गाँव में क्यों नहीं है?
पंजाब को ही लें। अकाली दल के नेता कह रहे हैं कि पंजाब के किसानों के ऊपर 35,000 करोड़ ऋण है जबकि भूतपूर्व मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह के अनुसार ऋण केवल 25,000 करोड़ है। यह स्थिति तो जब है कि सरकार 8 रुपए यूनिट की दर से बिजली खरीद कर किसानों को पंप चलाने के लिए मुफ़्त दे रही है। स्थिति इतनी पेचीदा है कि किसी एक सुधार द्वारा स्थिति को सुधारा नहीं जा सकता। सूदखोरों को सूद का लालच, सरकार को वोट का लालच, किसानों को अति लाभ का लालच–परिणति है निराशा और मृत्यु। हाँ, आज गाँव-गाँव में सहस्रों होरी मर रहे हैं।
(i) लेखिका क्यों चाहती थी कि होरी की मृत्यु न हो? (2)
(ii) लेखिका की आँखों के सामने धनिया का रुप बार-बार क्यों उभरता है? (2)
(iii) इस बार विदर्भ के गाँवों में दीपावली क्यों फीकी रही? (2)
(iv) निर्धनों को दी गई सरकारी सहायता के बावजूद उनकी स्थिति में परिवर्तन क्यों नहीं होता? (2)
(v) उपरोक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए? (2)
(vi) 'विडंबना' और 'धर्मभीरु' शब्दों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए? (2)
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- Question 2
निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –
उसके बाद सर्दियाँ आ जायेंगी।
और मैंने देखा है कि सर्दियाँ जब भी आती हैं
तो माँ थोड़ा और झुक जाती है
अपनी परछाई की तरफ
ऊन के बारे में उसके विचार
बहुत सख्त हैं
मृत्यु के बारे में बेहत कोमल
पक्षियों के बारे में
वह कभी कुछ नहीं कहती
हालाँकि नींद में
जब वह बहुत ज़्यादा थक जाती है
तो उठा लेती है सुई और तागा
मैंने देखा है कि जब सब सो जाते हैं
तो सुई चलाने वाले उसके हाथ
देर रात तक
समय को धीरे-धीरे सिलते हैं
जैसे वह मेरा फटा हुआ कुर्ता हो
पिछले साठ बरसों से
एक सुई और तागे के बीच
दबी हुई है माँ
हालाँकि वह खुद एक करघा है
जिस पर साठ बरस बुने गये हैं
धीरे-धीरे तह पर तह
खूब मोटे और गझिन और खुरदरे
साठ बरस(i) जब माँ थक जाती है तो वह क्या करती है? (2)
(ii) 'खूब मोटे और गझिन और खुरदरे साठ बरस' का आशय स्पष्ट कीजिए? (2)
(iii) 'सर्दियाँ जब भी आती हैं तो माँ थोड़ा और झुक जाती है' पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। (2)
(iv) उपरोक्त पंक्तियों के आधार पर माँ की स्थिति का वर्णन कीजिए। (2)
अथवा
मुहल्ले में वह शांति बेचता है
लाउडस्पीकरों की
एक दुकान है उसकी
मेरे घर से बिल्कुल लगी हुई।
सुबह-सुबह मुँह अंधेरे दो घंटे
लाउडस्पीकर न बजाने के
वह मुझसे सौ रुपये महीने लेता है
वह जानता है कि मैं
उन अभागों में से हूँ
जो शांति के बिना
जीवित नहीं रह सकते।
वह जानता है कि आने वाले वक्तों में
साफ पानी और साफ हवा से भी ज़्यादा
शांति की किल्लत रहेगी।
वह जानता है
कि क्रांति के ज़माने अब लद चुके :
अब उसे अपना पेट पालने के लिए
शांति का धंधा अपनाना है।
मैं उसका आभारी हूँ
भारत जैसे देश में जहाँ कीमतें आसमान
छू रहीं
सौ रुपए महीने की दर से
अगर दो घंटा रोज़ भी शांति मिल सके
तो महँगी नहीं।(i) इस कविता में कवि ने स्वयं को अभागा क्यों कहा है? (2)
(ii) इस कविता में कवि व्यापारी को किस लिए सौ रुपए महीना देता है? (2)
(iii) आने वाले समय में साफ पानी और साफ हवा की अपेक्षा किस वस्तु की अधिक कमी रहेगी? (2)
(iv) 'क्रान्ति के ज़माने अब लद चुके' का आशय स्पष्ट कीजिए। (2)
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- Question 3
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 300 शब्दों का निबन्ध लिखिए –
(क) घर बालक की प्रारम्भिक पाठशाला होती है। माता-पिता प्रथम शिक्षक होते हैं। विद्यालय में शिक्षक ही माता-पिता होते हैं। शिक्षक का दायित्व पढ़ाना तथा सत्यकार्यों के लिए प्रेरणा देना होता है। छात्रों का भी परिवार तथा समाज के प्रति दायित्व होता है। इन तथ्यों के आधार पर छात्र और शिक्षक विषय पर निबन्ध लिखिए।
(ख) प्रकृति और मानव का सम्बन्ध बहुत गहरा है। सुन्दर प्राकृतिक स्थलों को देखकर मानव को आनंद मिलता है। आपने कुछ समय पूर्व कौन से प्राकृतिक स्थल की यात्रा की। वहाँ जाने का आपको कब और कैसे अवसर मिला। वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन कीजिए।
(ग) आलसी व्यक्ति ही दैव (भाग्य) का सहारा लेता है। भाग्यवादी निकम्मा होता है तथा विघ्न-बाधाओं का मुकाबला करने से डरता है। ऐसे व्यक्ति निराश, उदासीन और पराश्रित रहते हैं। वस्तुत: परिश्रम ही सौभाग्य का निर्माता है। इन्हीं तथ्यों के आधार पर 'दैव-दैव आलसी पुकारा' विषय पर निबन्ध लिखिए।
- Question 4
बाल भवन, उदयपुर के विवेक व्यास की ओर से उसके मित्र के पिता की असामयिक मृत्यु पर एक संवेदना पत्र लिखिए।
अथवा
कावेरी छात्रावास के अधीक्षक को अनुराधा की ओर से पत्र लिखकर, छात्रावास की भोजनशाला के निरंतर गिरते स्तर की ओर उनका ध्यान आकृष्ट कीजिए।
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- Question 6
निर्देशानुसार उत्तर दीजिए –
(i) मोहन और राधा एक ही विद्यालय में पढ़ते हैं। (समुच्चयबोधक छाँटिए)
(ii) मनोहर यहाँ आया था। (क्रिया विशेषण छाँटिए)
(iii) परीक्षा से पहले खूब पढ़ो। (संबंधबोधक छाँटिए)
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- Question 16
'साना-साना हाथ जोड़ि' के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि प्राकृतिक सौंदर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कौन-कौन से दृश्य झकझोर गए?
अथवा
आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खानपान सम्बन्धी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा हैं। इस प्रकार की पत्रकारिता के बारे में आपके क्या विचार हैं?
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