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सर्वर्तुकुसुमै रम्यै: फलवद्भिश्च पादपै:।
पुष्पितानामशोकानां श्रिया सूर्योदयप्रभाम्‌ ॥1॥

सरलार्थ

सभी ऋतओं में होने वाले पुष्पों की सुन्दरता से और फलदार वृक्षों स…

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