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Question 1:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤-दॠपà¤à¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ दà¥à¤à¤¿à¤ −
रà¤à¤ à¤à¥ शà¥à¤à¤¾ नॠà¤à¥à¤¯à¤¾ à¤à¤° दिया?
Answer:
उत्तर दिशा में लाल रंग बिखर गया, पूरी लाली छा गई परन्तु थोड़े समय के लिए।
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Question 2:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤-दॠपà¤à¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ दà¥à¤à¤¿à¤ −
बादल à¤à¤¿à¤¸à¤à¥ तरह हॠà¤à¤ थà¥à¥¤
Answer:
बादल एकदम सफ़ेद रूई की तरह हो गए थे।
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Question 3:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤-दॠपà¤à¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ दà¥à¤à¤¿à¤ −
लà¥à¤ à¤à¤¿à¤¨-à¤à¤¿à¤¨ à¤à¥à¤à¤¼à¥à¤ à¤à¤¾ वरà¥à¤£à¤¨ à¤à¤°à¤¤à¥ हà¥à¤?
Answer:
लोग आकाश, पृथ्वी, जलाशयों का वर्णन करते हैं।
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Question 4:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤-दॠपà¤à¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ दà¥à¤à¤¿à¤ −
à¤à¥à¤à¤¡à¤¼ सॠà¤à¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤¤à¤¾ हà¥?
Answer:
कीचड़ से कपड़े गन्दे होते हैं, शरीर पर भी मैल चढ़ता है। परन्तु कीचड़ में कमल जैसा फूल भी होता है।
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Question 5:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤-दॠपà¤à¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ दà¥à¤à¤¿à¤ −
à¤à¥à¤à¤¡à¤¼ à¤à¥à¤¸à¤¾ रà¤à¤ à¤à¥à¤¨ लà¥à¤ पà¤à¤¸à¤¦ à¤à¤°à¤¤à¥ हà¥à¤?
Answer:
कीचड़ जैसा रंग कला प्रेमी, कलाकार और फोटोग्राफर बहुत पसंद करते हैं। गत्तो दिवारों और वस्त्रों पर यह रंग पसंद करते हैं।
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Question 6:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤-दॠपà¤à¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ दà¥à¤à¤¿à¤ −
नदॠà¤à¥ à¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤°à¥ à¤à¥à¤à¤¡à¤¼ à¤à¤¬ सà¥à¤à¤¦à¤° दिà¤à¤¤à¤¾ हà¥?
Answer:
कीचड़ जब सूख जाता है तो उसमें आड़ी तिरछी दरारे पड़ जाती हैं। वह देखने में बहुत सुन्दर लगता है जैसे सुखाया हुआ हो। कभी-कभी किनारे पर समतल फैला कीचड़ भी सुन्दर लगता है।
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Question 7:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤-दॠपà¤à¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ दà¥à¤à¤¿à¤ −
à¤à¥à¤à¤¡à¤¼ à¤à¤¹à¤¾à¤ सà¥à¤¦à¤à¤° लà¤à¤¤à¤¾ हà¥?
Answer:
सूखा कीचड़ सुंदर लगता है जब उसके ऊपर बगुले, पक्षी, गाय, बैल, भैंस, पोड़, बकरी सीगों आदि के चिह्न बने हुए हो, तो वह और भी सुन्दर लगता है।
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Question 8:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤-दॠपà¤à¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ दà¥à¤à¤¿à¤ −
'पà¤à¤' à¤à¤° 'पà¤à¤à¤' शबà¥à¤¦ मà¥à¤ à¤à¥à¤¯à¤¾ ठà¤à¤¤à¤° हà¥?
Answer:
'पंक' का अर्थ है कीचड़ और पंक् + अज अर्थात कीचड़ में उत्तपन्न अर्थात कमल। पंक अच्छा नहीं लगता जबकि पंकज को सिर माथे पर लगाया जाता है।
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Question 1:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (25-30 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
à¤à¥à¤à¤¡à¤¼ à¤à¥ पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¤¿à¤¸à¥ à¤à¥ सहानà¥à¤à¥à¤¤à¤¿ à¤à¥à¤¯à¥à¤ नहॠहà¥à¤¤à¥?
Answer:
लोग उपरी सुंदरता देखते हैं। कीचड़ के प्रति किसी को सहानुभूति नहीं होती क्योंकि इसे गंदगी का प्रतीक मानते हैं। कोई कीचड़ में नहीं रहना चाहता, न कपड़े, न शरीर गंदा करना चाहता है। कभी किसी कवि ने भी कीचड़ के सौंदर्य के बारे में नहीं लिखा।
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Question 2:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (25-30 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
à¤à¤¼à¤®à¥à¤¨ ठà¥à¤¸ हà¥à¤¨à¥ पर à¤à¤¸ पर à¤à¤¿à¤¨à¤à¥ पदà¤à¤¿à¤¹à¥à¤¨ ठà¤à¤à¤¿à¤¤ हà¥à¤¤à¥ हà¥à¤à¥¤
Answer:
à¤à¥à¤²à¥ à¤à¥à¤à¤¡à¤¼ मà¥à¤ à¤à¤¬ पशà¥-पà¤à¥à¤·à¥ à¤à¥à¤°à¥à¤¡à¤¼à¤¾ à¤à¤°à¤¤à¥ हà¥à¥à¤, तॠà¤à¤¨à¤à¥ पदà¤à¤¿à¤¹à¥à¤¨ à¤à¤¸ पर à¤à¤ª à¤à¤¾à¤¤à¥ हà¥à¤à¥¤ सà¥à¤à¤¨à¥ पर यॠपदà¤à¤¿à¤¹à¥à¤¨ बहà¥à¤¤ हॠसà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° लà¤à¤¤à¥ हà¥à¤à¥¤ लड़तॠहà¥à¤ पाड़ॠà¤à¥ पदà¤à¤¿à¤¹à¥à¤¨à¥à¤ à¤à¥ तॠशà¥à¤à¤¾ निरालॠहà¥à¤¤à¥ हà¥à¥¤ à¤à¤¨à¤à¥ सà¥à¤à¤à¥à¤ सॠà¤à¥à¤à¤¡à¤¼ à¤à¤à¤¹-à¤à¤à¤¹ à¤à¤à¤¡à¤¼ à¤à¤¾à¤¤à¤¾ हà¥, तॠसà¥à¤à¤¨à¥ पर बहà¥à¤¤ ठà¤à¥à¤à¤¾ लà¤à¤¤à¤¾ हà¥à¥¤
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Question 3:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (25-30 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¥ à¤à¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¾à¤¨ हà¥à¤¤à¤¾ हॠà¤à¤¿à¤¸à¤¸à¥ वह à¤à¥à¤à¤¡à¤¼ à¤à¤¾ तिरसà¥à¤à¤¾à¤° न à¤à¤°à¤¤à¤¾?
Answer:
जब मनुष्य को यह भान हो जाता कि उसका अन्न और कई खाद्य पदार्थ कीचड़ में ही उत्पन्न होते हैं तो वह कीचड़ का तिरस्कार नहीं करते।
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Question 4:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (25-30 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
पहाड़ लà¥à¤ªà¥à¤¤ à¤à¤° दà¥à¤¨à¥ वालॠà¤à¥à¤à¤¡à¤¼ à¤à¥ à¤à¥à¤¯à¤¾ विशà¥à¤·à¤¤à¤¾ हà¥?
Answer:
पहाड़ लुप्त कर देने वाले कीचड़ की विशेषता है कि बहुत अधिक कीचड़ होता है ऐसा कीचड़ गंगा नदी के किनारे खंमात की खाड़ी सिंधु के किनारे पर होता है।
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Question 1:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ शबà¥à¤¦à¥à¤ à¤à¥ तà¥à¤¨-तà¥à¤¨ परà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤µà¤¾à¤à¥ शबà¥à¤¦ लिà¤à¤¿à¤ −
1. |
à¤à¤²à¤¾à¤¶à¤¯ |
- |
........................ |
2. |
सिà¤à¤§à¥ |
- |
........................ |
3. |
पà¤à¤à¤ |
- |
........................ |
4. |
पà¥à¤¥à¥à¤µà¥ |
- |
........................ |
5. |
à¤à¤à¤¾à¤¶ |
- |
........................ |
Answer:
1. |
जलाशय |
- |
ताल, सरोवर, सर |
2. |
सिंधु |
- |
जलधि, सागर, रत्नाकर |
3. |
पंकज |
- |
कमल, जलज, अंबुज, राजीव |
4. |
पृथ्वी |
- |
भू, भूमि, धरा, वसुधा |
5. |
आकाश |
- |
नभ, गगन, व्योम, अंबर |
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Question 2:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ वाà¤à¥à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ à¤à¤¾à¤°à¤à¥à¤ à¤à¥ रà¥à¤à¤¾à¤à¤à¤¿à¤¤ à¤à¤° à¤à¤¨à¤à¥ नाम à¤à¥ लिà¤à¤¿à¤ −
(à¤) |
à¤à¥à¤à¤¡à¤¼ à¤à¤¾ नाम लà¥à¤¤à¥ हॠसब बिà¤à¤¡à¤¼ à¤à¤¾à¤¤à¤¾ हà¥à¥¤ |
........................ |
(à¤) |
à¤à¥à¤¯à¤¾ à¤à¥à¤à¤¡à¤¼ à¤à¤¾ वरà¥à¤£à¤¨ à¤à¤à¥ à¤à¤¿à¤¸à¥ नॠà¤à¤¿à¤¯à¤¾ हà¥? |
........................ |
(à¤) |
हमारा ठनà¥à¤¨ à¤à¥à¤à¤¡à¤¼ सॠहॠपà¥à¤¦à¤¾ हà¥à¤¤à¤¾ हà¥à¥¤ |
........................ |
(à¤) |
पदà¤à¤¿à¤¹à¥à¤¨ à¤à¤¸à¤ªà¤° ठà¤à¤à¤¿à¤¤ हà¥à¤¤à¥ हà¥à¤à¥¤ |
........................ |
(à¤) |
à¤à¤ª वासà¥à¤¦à¥à¤µ à¤à¥ पà¥à¤à¤¾ à¤à¤°à¤¤à¥ हà¥à¤à¥¤ |
........................ |
Answer:
(क) |
कीचड़ का नाम लेते सब बिगड़ जाता है। |
का सबंध कारक |
(ख) |
क्या कीचड़ का वर्णन कभी किसी ने किया है? |
ने कर्ता कारक |
(ग) |
हमारा अन्न कीचड़ से ही पैदा होता है। |
हमारा संबध कारक, से करण कारक |
(घ) |
पदचिह्न उसपर अंकित होते हैं। |
उस पर अधिकरण कारक |
(ङ) |
आप वासुदेव की पूजा करते हैं। |
की सबंध कारक |
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Question 3:
निम्नलिखित शब्दों की बनावट को ध्यान से देखिए और इनका पाठ भिन्न किसी नए प्रसंग में वाक्य प्रयोग कीजिए −
आकर्षक |
यथार्थ |
तटस्थता |
कलाभिज्ञ |
पदचिह्न |
अंकित |
तृप्ति |
सनातन |
लुप्त |
जाग्रत |
घृणास्पद |
युक्तिशून्य |
वृत्ति |
Answer:
1. |
आकर्षक |
− |
यह गमला बहुत आकर्षक है। |
2. |
अंकित |
− |
हमें वस्तु पर अंकित मूल्य पर ही वस्तु नहीं खरीदना चाहिए। |
3. |
घृणास्पद |
− |
वह बहुत ही घृणास्पद बातें करता है। |
4. |
यथार्थ |
− |
यथार्थ से हमेशा जुड़े रहना चाहिए। |
5. |
तृप्ति |
− |
मुख से पीड़ित व्यक्ति को भोजन दिया तो उसे तृप्ति हो गई। |
6. |
युक्तिशून्य |
− |
उसने बहुत ही युक्तिशून्य बातें की। |
7. |
तटस्थता |
− |
हमारा देश अक्सर बाह्रय युद्धों में तटस्थता की नीति बनाए रखता है। |
8. |
सनातन |
− |
भारत में बहुत लोग सनातन धर्म को मानते हैं। |
9. |
वृत्ति |
− |
वह बहुत अच्छी वृत्ति का व्यक्ति है। |
10. |
कलाभिज्ञ |
− |
कलाभिज्ञ गन्दगी में भी सुन्दरता देखते हैं। |
11. |
लुप्त |
− |
आजकल भारतीय संस्कृति और परम्पराएं लुप्त सी हो रही हैं। |
12. |
पदचिह्न |
− |
लोगों ने गाँधी जी के पदचिह्नों पर चलकर भारत माता की सेवा की। |
13. |
जाग्रत |
− |
आजकल टेलीवीजन पर लोगों को जाग्रत करने का प्रयास किया जा रहा है। |
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Question 4:
नà¥à¤à¥ दॠà¤à¤ सà¤à¤¯à¥à¤à¥à¤¤ à¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤à¤ à¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¯à¥à¤ à¤à¤°à¤¤à¥ हà¥à¤ à¤à¥à¤ ठनà¥à¤¯ वाà¤à¥à¤¯ बनाà¤à¤ −
(à¤) दà¥à¤à¤¤à¥-दà¥à¤à¤¤à¥ वहाठà¤à¥ बादल शà¥à¤µà¥à¤¤ पà¥à¤¨à¥ à¤à¥à¤¸à¥ हॠà¤à¤à¥¤
....................................................................
(à¤) à¤à¥à¤à¤¡à¤¼ दà¥à¤à¤¨à¤¾ हॠतॠसà¥à¤§à¥ à¤à¤à¤à¤¾à¤¤ पहà¥à¤à¤à¤¨à¤¾ à¤à¤¾à¤¹à¤¿à¤à¥¤
.....................................................................
(à¤) हमारा ठनà¥à¤¨ à¤à¥à¤à¤¡à¤¼ मà¥à¤ सॠहॠपà¥à¤¦à¤¾ हà¥à¤¤à¤¾ हà¥à¥¤
.....................................................................
Answer:
(क) मेरे देखते-देखते ही वहाँ भीड़ जमा हो गई।
(ख) थोड़ी भी तबीयत खराब हो तो सीधे डाक्टर के पास पहुँचना चाहिए।
(ग) कमल कीचड़ में ही पैदा होता है।
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Question 1:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ à¤à¤¾ à¤à¤¶à¤¯ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤ à¤à¥à¤à¤¿à¤ −
नदॠà¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤°à¥ ठà¤à¤à¤¿à¤¤ पदà¤à¤¿à¤¹à¥à¤¨ à¤à¤° सà¥à¤à¤à¥à¤ à¤à¥ à¤à¤¿à¤¹à¥à¤¨à¥à¤ सॠमानॠमहिषà¤à¥à¤² à¤à¥ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥à¤¯ यà¥à¤¦à¥à¤§ à¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾ à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸ हॠà¤à¤¸ à¤à¤°à¥à¤¦à¤® लà¥à¤ मà¥à¤ लिà¤à¤¾ हॠà¤à¤¸à¤¾ à¤à¤¾à¤¸ हà¥à¤¤à¤¾ हà¥à¥¤
Answer:
इस गद्यांश का आशय यह है कि नदी के किनारे जब दो मदमस्त पाड़े अपने सींगों से कीचड़ को रौंदकर आपस में लड़ते हैं, जब नदी के किनारे उनके पैरों तथा सींगों के चिह्न अंकित हो जाते हैं, ऐसा लगता है मानो महिषकुल का युद्ध हुआ हो और उसके चिह्न अंकित हो गए। यह दृश्य बहुत सुन्दर लगता है। जैसे कोई इतिहास रचा गया हो।
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Question 2:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ à¤à¤¾ à¤à¤¶à¤¯ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤ à¤à¥à¤à¤¿à¤ −
"à¤à¤ª वासà¥à¤¦à¥à¤µ à¤à¥ पà¥à¤à¤¾ à¤à¤°à¤¤à¥ हà¥à¤ à¤à¤¸à¤²à¤¿à¤ वसà¥à¤¦à¥à¤µ à¤à¥ तॠनहà¥à¤ पà¥à¤à¤¤à¥, हà¥à¤°à¥ à¤à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¥ मà¥à¤²à¥à¤¯ दà¥à¤¤à¥ हà¥à¤ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¤à¥ à¤à¥à¤¯à¤²à¥ या पतà¥à¤¥à¤° à¤à¤¾ नहà¥à¤ दà¥à¤¤à¥ à¤à¤° मà¥à¤¤à¥ à¤à¥ à¤à¤ मà¥à¤ बाà¤à¤§à¤à¤° फिरतॠहà¥à¤ à¤à¤¿à¤à¤¤à¥ à¤à¤¸à¤à¥ मातà¥à¤¶à¥à¤°à¥ à¤à¥ à¤à¤²à¥ मà¥à¤ नहà¥à¤ बाà¤à¤§à¤¤à¥à¥¤" à¤à¤¸-सà¥-à¤à¤® à¤à¤¸ विषय पर à¤à¤µà¤¿à¤¯à¥à¤ à¤à¥ साथ à¤à¤°à¥à¤à¤¾ न à¤à¤°à¤¨à¤¾ हॠà¤à¤¤à¥à¤¤à¤® !
Answer:
कवियों का कहना है कि एक अच्छी और सुंदर वस्तु को स्वीकार करते हैं तो उससे जुड़ी चीज़ों को भी स्वीकार करना चाहिए। हीरा कीमती होता है परन्तु उसके उत्पादक कार्बन को ज़्यादा नहीं पूछा जाता। श्री कृष्ण को वासुदेव कहते हैं लोग उन्हें पूजते भी हैं परन्तु उनके पिता वसुदेव को भी पूजे यह ज़रूरी नहीं है। इसी तरह मोती इतना कीमती होता है लोग इसे गले में पहनते हैं पर सीप जिसमें मोती होता है इसे गले में बाँधे यह ज़रूरी नहीं है। अत: कवियों के अपने तर्क होते हैं। उनसे इस विषय पर बहस करना बेकार है।
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Question 6:
न, नहीं, मत का सही प्रयोग रिक्त स्थानों पर कीजिए −
(क) तुम घर ........... जाओ।
(ख) मोहन कल ............ आएगा।
(ग) उसे ......... जाने क्या हो गया है?
(घ) डाँटो .......... प्यार से कहो।
(ङ) मैं वहाँ कभी ........... जाऊँगा।
(च) ........... वह बोला ......... मैं।
Answer:
(क) तुम घर ...मत... जाओ।
(ख) मोहन कल ..नहीं.... आएगा।
(ग) उसे ..न.. जाने क्या हो गया है?
(घ) डाँटो ..मत.... प्यार से कहो।
(ङ) मैं वहाँ कभी ..नहीं..... जाऊँगा।
(च) ..न... वह बोला ..न.. मैं।
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