A paragraph on "Agar mai adhyapika hoti" is required. Please help

कक्षा में अध्यापक और अध्यापिकाओं को देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता होती है। विद्यालय ऐसा स्थान है, जहाँ विद्यार्थी शिक्षा पाते हैं। विद्यालय में शिक्षकों के द्वारा ही विद्यार्थी ज्ञान के सागर से अवगत हो पाते हैं। एक विद्यार्थी ज्ञान के माध्यम से ही अपने सुनहरे भविष्य की नींव रखता है। हर मनुष्य के जीवन में विद्यार्थीकाल स्वर्णयुग के समान होता है।
मेरे मस्तिष्क में शिक्षक को लेकर एक छवि विद्यमान है कि एक शिक्षक (अध्यापक या अध्यापिका) कैसा होना चाहिए। मैं कड़ा परिश्रम करूँगा और यदि मेरे भाग्य ने मेरा साथ दिया, तो मैं अपने स्वप्न को यर्थाथ में अवश्य पूरा करूँगा।
परन्तु मेरे मन में यह प्रश्न अवश्य उठता है कि अगर मैं अध्यापक होता तो मैं क्या करता? उसका उत्तर यह है कि यदि मैं अध्यापक होता तो मेरा पहला कार्य बच्चों में अनुशासन बनाना होता। कई बार अनुशासन की कमी बच्चों के विकास को सही दिशा नहीं दे पाती। विद्यार्थियों के लिए अनुशासन बहुत आवश्यक है। सही समय पर उठना, व्यायाम करना, विद्यालय जाना, पढ़ाई करना, समय पर खेलना इत्यादि बातें विद्यार्थियों को समय सारणी (टाइम टेबल) के अनुसार करनी चाहिए। एक शिक्षक का यह कर्तव्य होता है कि वह अपने विद्यार्थियों को अनुशासन में रहना सिखाए। दूसरे, मैं अपने विद्यार्थियों के साथ मैत्री संबंध भी कायम करूँगा। कई बार विद्यालयों में शिक्षक विद्यार्थियों के साथ मैत्री संबंध नहीं बना पाते। इसका परिणाम यह होता है कि विद्यार्थियों और शिक्षक के बीच स्नेहभाव में कमी दिखाई देती है। मैं पूरा प्रयत्न करूँगा कि विद्यार्थियों और शिक्षक के बीच उस स्नेहभाव को ज्यादा बेहतर बना सकूँ।
विद्यार्थियों के साथ विनम्रता और स्नेह से बात करूँगा, स्थिति चाहे कितनी भी खराब क्यों न हो। ऐसा देखा गया है कि विद्यार्थियों के व्यवहार के कारण शिक्षक अपना आपा खो देते हैं और विद्यार्थियों के साथ दुर्व्यवहार करने लगते हैं। कई शिक्षक तो बच्चों के साथ सख्तीपूर्ण व्यवहार करते हैं। मैं प्रयास करूँगा कि मैं बच्चों के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं करूँ। मैं सभी विद्यार्थियों के साथ एक-सा व्यवहार करूँगा। कमज़ोर विद्यार्थियों के साथ अधिक परिश्रम करूँगा ताकि उनकी कमज़ोरी को दूर किया जा सके। विद्यार्थियों की समस्या को सुलझाने के लिए हर समय तैयार रहूँगा। उनके हित के आगे अपने हित को गौण समझूँगा।

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