ek fool ki chaah - samvad lekhan
Hi Ashika,
घर में सन्नाटा है। कोई कमरे में चहल-कदमी कर रहा है। तभी बाहर से आवाज आती है। लड़का :सुखिया! जल्दी आ, खेल शुरू हो रहा है।
सुखिया : (तेज़ी से) ऐ ठहरो! मैं भी आई।
पिता : (परेशान होकर) सुखिया कहाँ जा रही हो? तुम्हें कितनी बार बोला है, बाहर महामारी का प्रकोप फ़ैला है, बाहर खेलने मत जाया करो।
सुखिया : (रोते हुए) पिताजी मुझे कुछ नहीं होगा। जाने दीजिए न।
पिता : तुम मानोगी नहीं। अच्छा जाओ पर अपना ध्यान रखना..............
में आपको 'एक फूल की चाह' का संवाद लेखन भेज रही हूँ परन्तु यह पुरा नहीं है। कविता को पढ़कर इसे आप स्वयं पुरा करो, इससे आपका अच्छा अभ्यास होगा और आपको संवाद लेखन लिखना भी आएगा।
मैं आशा करती हूँ की आपको आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
ढेरों शुभकामनाएँ !