Essay of 250 words on prakritik prakop sunami lehre in hindi.. pls.

प्रकृति और मनुष्य का बहुत गहरा संबंध है। प्रकृति के बिना मनुष्य अधुरा है। प्रकृति उसके जीवन के लिए हर महत्वपूर्ण तत्व उपलब्ध कराती है। मनुष्य की हर छोट-बड़ी आवश्यकता इसी से पूरी होती है। परन्तु अपने स्वार्थ के लिए वह लगातार प्रकृति का दोहन करता जा रहा है। उसके इस कार्य से प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है, जो प्रकृति उसके लिए जीवनदायनी थी आज वह विनाशकारी बन रही है।
मनुष्य ने अपने हस्तक्षेप से प्रकृति के क्रोध को जगा दिया है। मनुष्य को कई तरह की प्रकृति आपदाओं का सामना करना पड़ता है। जैसे बाढ़, भूकंप, ज्वालामुखी प्रकोप, चक्रवात, तुफानों आदि का सामना मनुष्य को करना पड़ता है। परन्तु सुनामी ऐसी आपदा है जिससे मनुष्य का सामना हाल के दशकों में अत्यधिक करना पड़ रहा है।
वैसे तो समुद्र में आने वाले तुफानों से मनुष्यों को अकसर सामना करना पड़ता है परन्तु वह बड़ी भारी क्षति पहुँचाए यह कम ही देखने को मिलता है। लेकिन कुछ सालों में समुद्र ने जो विनाशलीला दिखाई है वह ह्दय को काँपा देती है। समुद्री तुफान जापानी भाषा में सुनामी कहलाता है। समुद्र को जापानी भाषा में 'सु ' कहा जाता है और 'नामी ' लहरों को कहा जाता है। इसका अर्थ होता है, वह समुद्री लहरें जो बंदरगाह के समीप होती है। सुनामी लहर 14-19 किलोमीटर तक ऊँची उठी होती है। यह 400 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलती हैं। भूकंप, ज्वालामुखी के फटने से, जमीन के धंसने आदि कारणों को सुनामी का कारण माना जाता है। प्राय: समुद्र में इन लहरों के उठने का कारण समुद्र की सतह में आने वाला भूकंप होता है। इसको देखकर ऐसा लगता है मानो समुद्र का जल विशाल दीवार के समान हो गया हो। यह दीवार तटों के समीप आती है, तो उसके गिरने से जो उसके संपर्क में आता है तबाह हो जाता है। सुनामी का खतरा तटीय क्षेत्रों में बना रहता है। इस आपदा का पहले से अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। इसी कारण इस तबाही को रोकना संभव नहीं होता है।
26, दिसंबर 2004 ऐसा दिन था जब भारत के तटीय स्थानों को सुनामी ने अपने कहर से तबाह और बर्बाद कर डाला था। अंदमान निकोबार द्वीप समूह आदि इसके कहर से बच नहीं पाए थे। कई तटीय देशों को भी इस सुनामी का ग्रास बनना पड़ा था। भारतीय इतिहास में शायद यह प्रथम ऐसी त्रासदी थी, जिससे उन्हें रूबरू होना पड़ा था। अभी लोग उस त्रासदी को भुल ही पाए थे कि 13 मार्च 2011 को जापान में सुनामी ने जो कहर बरपाया उसे भुलाया नहीं जा सकता है। जापान जैसा समुद्ध देश सुनामी के सम्मुख घास के तिनके समान नज़र आया। सुनामी लहरें उसके कई शहरों में घुस गई और वहाँ के घरों बिल्डिगों को उसने नष्ट कर दिया। लाखों लोग बेघर हो गए। करोड़ो की संपति बर्बाद हो गई। हज़ारों जाने चली गई। जापान जैसा संपन्न देश इस आपदा के आगे बेबस और लाचार हो गया।

  • 11
What are you looking for?