बुजुर्ग समाज की रीढ़ explain with introduction, importance, profit
परिवार में बड़ा-बुजुर्ग होना बहुत आवश्यक होता है। उनके होने से घर में आशार्वाद की छाँव बनी रहती है। उनके अनुभवों से बहुत सहायता भी मिलती है। लोग अकसर अपने बड़े बुज़ुर्गों की अवहेलना करते हैं। उनकी ज़िम्मेदारी लेने से कतराते हैं। वह यह भूल जाते हैं कि इन्हीं बड़े-बुजुर्गों के कारण वह समाज में सर उठा कर खड़े हो पाएँ हैं। हमें चाहिए कि इनकी छाँव को अपने जीवन में बनाए रखें। इनकी सेवा करके जहाँ हम अपने कर्त्तव्यों की ओर अग्रसर होते हैं, वहीं अपने बच्चों को बड़ों की सेवा करने की शिक्षा देते हैं।
कहा जाता है शिक्षा का आरंभ बच्चों के अपने घर से होता है। बच्चों को घर पर जो सिखाया जाता है, वह उसी आचरण को वरण करते हैं। यदि हम उनके अंदर बड़ों का आदर और सेवाभाव को जागृत करना चाहते हैं, तो हमें स्वयं इन आचरण का पालन करना पड़ेगा। हमारे जीवन में बड़ों बुजुर्गों का महत्व भी बहुत हैं। वे हमें गलत मार्ग में बढ़ने से रोकते हैं। उनके अनुभवों से प्रेरणा लेकर हम स्वयं को सही दिशा दे सकते हैं। उनकी जानकारी हमारे लिए बहुत सी जगह लाभदायक हो सकती हैं। परंपराओं और संस्कृति को समझने में वे सहायता कर सकते हैं।
आज के जीवन में एकल परिवार का चलन बढ़ गया हैं। इसमें परिवार बड़े न होकर छोटे-छोटे होते हैं। ऐसे परिवारों में बच्चों की देखभाल के लिए यदि घर में बड़े बुजुर्ग विद्यमान है, तो बना चिंता के घर से कार्य करने के लिए जाया जा सकता है। उनके भरोसे घर की ज़िम्मेदारी सौंपी जा सकती है। एकल परिवार चोरों की नज़रों में होते हैं, जहाँ उन्हें अवसर मिलता है, वे घर को साफ कर देते हैं. ऐसे में यदि कोई बड़ा बुजुर्ग घर में हैं तो घर सुरक्षित रहता है। इस भागदौड़ वाली जिंदगी में हर काम अकेले कर पाना संभव नहीं होता है, परन्तु ऐसे में बड़ों की उपस्थिति काम के बोझ को कम कर देती है।