goswami tulsidas ka jivan parichay bataye

तुलसीदास का जन्म संवत 1553 में अयोध्या के गोंडा जिले के सूकरखेत राजापुर गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम आत्माराम दूबे व माता का नाम हुलसी था। यह बारह महीने माँ के गर्भ में रहे। पैदा होते ही इनके मुँह में दो दाँत थे तथा अशुभ नक्षत्र में जन्म के कारण माता-पिता ने इनका परित्याग कर दिया। इनका पालन-पोषण इनकी धाय ने किया। इनकी शिक्षा-दीक्षा का भार इनके गुरू श्री नरहरि ने लिया। कुछ समय पश्चात काशी में रहकर शेष सनातन जी की छाया में रहते हुए इन्होंने धार्मिक ग्रंथों की शिक्षा ली। तद्पश्चात सनातन जी की आज्ञा ले इन्होंने रत्नावली नामक की कन्या के साथ विवाह कर गृहस्थ आश्रम में प्रवेश किया। कहा जाता है कि यह अपनी पत्नी पर बड़े आसक्त थे। एक बार इनकी पत्नी अपनी मायके गई हुई थी। यह उनके पीछे आँधी-तुफ़ान वाली रात में ही ससुराल जा पहुँचे। पति को आधी रात में आया हुआ देखकर उनकी पत्नी को उन पर बहुत क्रोध आया। उन्होंने कहा जितना प्रेम आपको मेरे इस तन से है यदि इतना प्रेम आपको श्री राम से होता तो वह आपको मिल गए होते। पत्नी के इस प्रकार के वचन सुनकर वह सदा के लिए श्री राम के चरणों में समर्पित हो गए। इनकी मृत्यु संवत 1623 में हुई। तुलसीदास जी को संस्कृत, अवधी और ब्रज तीनों भाषाओं में समान अधिकार प्राप्त था। आरम्भ में इन्होंने रामचरितामानस की रचना संस्कृत में की थी। पूरे दिन यह श्लोकों की रचना करते परन्तु वह रात में गायब हो जाते थे। भगवान शंकर की प्रेरणा से इन्होंने जनभाषा अवधी में रामचरितमानस की रचना कि। कहा जाता है भगवान शंकर और भगवान राम की इन पर अपार कृपा थी। तुलसीदास जी की रचनाएँ इस प्रकार है- रामललानहछू, वैराग्यसंदीपनी, रामाज्ञाप्रश्न, रामचरितमानस, सतसई, जानकी-मंगल, विनय-पत्रिका, पार्वती-मंगल, गीतावली, बरवै, रामायण, कृष्ण-गीतावली, कवितावली और दोहावली। रामचरितमानस इनकी सबसे महत्वपूर्ण रचना थी।

  • 6

Book mein saaf-saaf likha hai. .

usme dekh le yaar . .

  • -3

it is too short give me answer of atleast of 2-3 pages

  • -5
What are you looking for?