i want a poem on nature in hindi

प्रकृति की सुन्दरता देखो 
बिखरी चारों ओर है 
कहीं पर पीपल कहीं अशोक 
कहीं पर बरगद घोर है 

लाल गुलाब से सुर्ख है 
देखो धरती के दोनों गाल 
लिली मोगरा और चमेली 
मचा रहे है धमाल 

देखो हिम से भरा हिमालय 
नंदा की ऊँची पर्वत चोटी 
कल कल करती बहती देखो 
गंगा यमुना की निर्मल सोती 

प्रकृति ने हम सबको दिया 
जीवन का अनुपम संदेश 
आओ मिटाए मन की दूरी 
दूर हटाये कष्ट कलेश !
 

रवि प्रकाश केशरी
वाराणसी

  • 36

Chhutti bit gayi garmi ki,
baadal ghir-ghir chhaye,
basta lekar chalo saathiyo,
parhne ke din aaye.

rimjhim-rimjhim paani girta,
sabki tapan mitaata hai,
mehnat ke bal par kisaan,
kheton mein dhaan ugaata hai,
yahaan-kahaan har jagah,
fudak kar medhak tarraaye hain.

liye prerna aao hilmil hum bhi apna dharm nibhaayein,
bematlab ki baat chhod kar bastaa le vidyalya jaayein.

my own

  • 11

प्रकृति की सुन्दरता देखो 
बिखरी चारों ओर है 
कहीं पर पीपल कहीं अशोक 
कहीं पर बरगद घोर है 

लाल गुलाब से सुर्ख है 
देखो धरती के दोनों गाल 
लिली मोगरा और चमेली 
मचा रहे है धमाल 

देखो हिम से भरा हिमालय 
नंदा की ऊँची पर्वत चोटी 
कल कल करती बहती देखो 
गंगा यमुना की निर्मल सोती 

प्रकृति ने हम सबको दिया 
जीवन का अनुपम संदेश 
आओ मिटाए मन की दूरी 
दूर हटाये कष्ट कलेश !

रवि प्रकाश केशरी
वाराणसी
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