हिंदी कविताएँ में आधिकाल, भक्तिकाल, रीतिकाल, और छायावाधि काल क्या होता है ?
इन काल के विशेषथाएँ , 5 - 5 प्रमुख कवि और उनके कृतियाँ को लिकिये ।
भारत का साहित्यिक इतिहास बहुत पुराना है। इसका आरंभ आदिकाल से हुआ माना जाता है। इसे आदिकाल, भक्तिकाल, रीतिकाल, छायावादी इत्यादि में विभाजित किया जाता है। हर काल का एक समय है और इन कालों में साहित्य ने अगल-अलग तरह से विकास करते हुए उसे इस स्थान तक पहुँचाया है।
1. आदिकाल (1000-1300)- कुक्कुरिपा, लुइपा, कण्हपा, शबरपा, डोम्भिपा इत्यादि आदिकाल के कवि हैं।
2. भक्तिकाल (1300-1650)- भक्तिकाल निम्नलिखित भागों में बाँटा गया है; जैसे- निर्गुण भक्तिधारा और सगुण भक्तिधारा।
1. निर्गुण भक्तिधारा के भी दो भाग हैं; ज्ञानमार्गी तथा प्रेममार्गी।
- ज्ञानमार्गी- कबीरदास, रैदास, दादूदयाल, नानक, मलूकदास, सुंदरदास आदि।
- प्रेममार्गी- मलिक मोहम्मद जायसी, उसमान आदि।
2. सगुण भक्ति धारा को भी दो भागों में विभक्त किया गया है; राममार्गी और कृष्णमार्गी
- राममार्गी- तुलसीदास, नाभादास, अग्रदास आदि।
- कृष्णमार्गी- मीराबाई, रसखान, सूरदास, घनानंद, नंददास, हरिदास, रहीम, नरोत्तमदास इत्यादि।
3. रीतिकाल (1650-1850)- बिहारी, रहीम, घनानंद, देव इत्यादि रीतिकाल के कवि हैं।
4. आधुनिककाल (1850 से लेकर अभी तक का समय) -हिन्दी साहित्य का यह काल कई भागो में बंटा है। इसका एक शाखा है छायावाद वह इस प्रकार है-