Aasaye sapat kijiye . Clear the meaning of the line underlined
 
` तीसरी कसम ` वह फिल्म है जिसमें हिंदी साहित्य की एक अत्यंत मार्मिक कृति को सैल्यूलाइड पर पूरी सार्थकता से उतारा। ` तीसरी कसम ` फिल्म नहीं , सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी।  

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तीसरी कसम फिल्म एक दिल को छूने वाली कहानी है। साहित्य की रचना को कैमरे के माध्यम से फिल्म बनाना ही सैल्यूलाइड पर उतरना कहते हैं। शैलेन्द्र एक भावुक कवि थे। उनकी फिल्म में भावनाओं को पूरी तरह से दिखाया गया है। उन्होंने पैसा कमाने के लिए फिल्म नहीं बनाई थे अपितु साहित्य की एक रचना को आम आदमी तक पहुँचाया।

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